जयपुर. राजधानी जयपुर में बाल श्रमिकों के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. दूसरे राज्यों से जयपुर में लाकर नन्हें-मुन्ने बच्चों से काम करवाया जाता है, जिसको लेकर पुलिस की ओर से लगातार कार्रवाई भी की जा रही है. राजधानी जयपुर में डीसीपी नॉर्थ राजीव पचार के निर्देशन में पुलिस ने एक दिन में तीन थाना इलाकों में विभिन्न स्थानों पर दबिश देकर 33 बाल श्रमिकों को मुक्त करवाया है.
नॉर्थ जिला पुलिस ने एडीसीपी नॉर्थ धर्मेंद्र सागर के नेतृत्व में शास्त्री नगर, भट्टा बस्ती और कोतवाली थाना इलाकों में ताबड़तोड़ कार्रवाई की गई हैं. पुलिस ने कार्रवाई की योजना बनाकर चूड़ी बनाने वाले कारखानों को चिन्हित किया, जिसके बाद पुलिस की स्पेशल टीमों ने तीनों थाना इलाकों में दबिश देकर कार्रवाई को अंजाम दिया और आधा दर्जन कारखाना संचालकों को विरासत में लिया गया है.
पुलिस ने काम करने वाले सभी बच्चों को मुक्त करवाया है. बच्चे बिहार और उत्तर प्रदेश के रहने वाले बताए जा रहे हैं. आरोपी कारखाना संचालक अच्छी शिक्षा और बेहतर करियर बनाने का झांसा देकर बच्चों को जयपुर लाते हैं और फिर चूड़ी कारखानों में काम करवाते हैं. बच्चों को समय पर खाना भी नहीं दिया जाता और 16 से 18 घंटे काम करवाया जाता है. इसके साथी पूछताछ के दौरान सामने आया कि बच्चों को कारखाने से बाहर आने पर भी प्रतिबंध रहता है.
पढ़ें- बिना अनुमति डीजे बजाने पर पुलिस ने की कार्रवाई, पिकअप जब्त, दो आरोपी गिरफ्तार
भट्टा बस्ती थाना इलाके में 7 बाल श्रमिकों को मुक्त करवाया गया है और एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया है. कोतवाली थाना इलाके में 10 बाल श्रमिकों को मुक्त करवा कर 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और शास्त्री नगर थाना इलाके में 16 बच्चों को मुक्त करवाकर 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है.
राजस्थान सरकार के श्रम विभाग के शासन सचिव नीरज के पवन के निर्देशानुसार बाल श्रम के खिलाफ कार्रवाई की गई है. श्रम विभाग, बचपन बचाओ आंदोलन और मानव तस्करी विरोधी यूनिट की टीमों के सहयोग से कार्रवाई को अंजाम दिया गया है. पुलिस गिरफ्तार किए गए आरोपियों से पूछताछ कर जांच पड़ताल में जुटी हुई है.