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Exclusive : चोरी के वाहन बरामद कर मालिक को सौंपने की बजाए जयपुर पुलिस ने कर दिए नीलाम

जयपुर पुलिस की ओर से अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए कबाड़ से भी कम कीमत पर वाहन बेच दिया जाता है. इस खुलासे के बाद पुलिस का एक और कारनामा सामने आया है. जिसमें पुलिस चोरी हुए वाहनों को बरामद करने के बाद उसकी जानकारी वाहन मालिक को दिए बगैर ही वाहनों की नीलामी कर देती है. देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट...

Vehicle theft case in Jaipur,  Jaipur Police Latest News
पुलिस का नायाब कारनामा
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Published : Sep 16, 2020, 7:24 PM IST

जयपुर. प्रदेश में जयपुर पुलिस की ओर से अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए कबाड़ से भी कम कीमत पर वाहन बेचे जाने का खुलासा करने के बाद ईटीवी भारत की ओर से इस प्रकरण में एक और चौंकाने वाला खुलासा किया जा रहा है. जयपुर पुलिस की ओर से थाने के बाहर खड़े और पुलिस एक्ट में जब्त किए गए वाहनों को महज 50-100 रुपए में बेचा गया. इसके साथ ही जयपुर पुलिस की ओर से एक और कारनामा किया गया है.

जयपुर पुलिस का एक और कारनामा...

बता दें कि जयपुर पुलिस की ओर से चोरी हुए वाहनों को बरामद करने के बाद उसकी जानकारी वाहन मालिक को दिए बगैर ही वाहनों को नीलाम कर दिया गया है. ईटीवी भारत की पड़ताल में ऐसे 3 प्रकरण सामने आए हैं, जहां पुलिस की ओर से चोरी के वाहन बरामद करने के बाद उन्हें नीलाम कर दिया गया.

वाहनों की नीलामी में पुलिस की मिलीभगत के खेल का खुलासा करने के बाद प्रकरण में नित नए खुलासे हो रहे हैं. जहां जयपुर पुलिस की ओर से महज 50 रुपए में स्कूटर और 100 रुपए में बाइक नीलाम कर दी गई तो वहीं 8 हजार रुपए में ट्रैक्टर और 15 हजार रुपए में ट्रक नीलाम कर दिया गया. साथ ही जयपुर पुलिस ने ऐसे दुपहिया वाहन भी नीलाम किए हैं जो चोरी के थे और उन्हें बरामद करने के बाद वाहन मालिक को उसकी जानकारी तक नहीं दी गई.

Vehicle theft case in Jaipur,  Jaipur Police Latest News
चोरी की गई बाइक बरामद...

पढ़ें- EXCLUSIVE: ये जयपुर पुलिस है साहब...कुछ भी कर सकती है

वहीं, ऐसा ही एक मामला शिप्रापथ थाने में सामने आया. जहां पर वर्ष 2016 में नरेंद्र नाम के एक व्यक्ति की बाइक चोरी हुई थी और वह बाइक आज तक नरेंद्र को नहीं मिली है. जबकि पुलिस की ओर से चोरी की बाइक को बरामद करने के बाद नीलाम कर दिया गया.

पीड़ित को नहीं मिली बाइक मिलने की सूचना...इंश्योरेंस कंपनी ने भी नहीं दिया क्लेम

ईटीवी भारत की ओर से जब इस पूरे प्रकरण में पड़ताल की गई और प्रकरण से जुड़े हुए दस्तावेज जुटाए गए तो उसमें इस बात का भी खुलासा हुआ कि पुलिस की ओर से चोरी के वाहन बरामद करने के बाद उन्हें वाहन मालिकों को नहीं सौंपा गया और नीलाम कर दिया गया. ऐसे ही पीड़ित व्यक्ति नरेंद्र ने वर्ष 2016 में शिप्रापथ थाने में बाइक चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. पीड़ित ने बताया कि जिस दिन उसकी बाइक चोरी हुई थी उसने उसी दिन पुलिस कंट्रोल रूम में फोन कर इसकी सूचना दी थी.

Vehicle theft case in Jaipur,  Jaipur Police Latest News
पुलिस थाना में पड़ा हुआ वाहन...

पुलिस कंट्रोल रूम में सूचना देने के बाद जब पीड़ित व्यक्ति ने शिप्रापथ थाने पहुंच FIR दर्ज करानी चाही तो पुलिसकर्मियों ने 2 से 3 दिन तक इंतजार करने को कहा और फिर 4 दिन बाद एफआईआर दर्ज की गई. वहीं, इंश्योरेंस कंपनी की ओर से पीड़ित व्यक्ति को FIR देरी से दर्ज कराने का हवाला देकर क्लेम खारिज कर दिया गया. पीड़ित व्यक्ति को ना तो इंश्योरेंस कंपनी से क्लेम मिला और ना ही बाइक. वहीं, पुलिस की ओर से नरेंद्र की चोरी हुई बाइक को बरामद किया गया. इसकी सूचना नरेंद्र को नहीं दी गई और बरामद की गई बाइक को पुलिस ने दस्तावेजों में 38 पुलिस एक्ट में जब्त हुआ दिखाकर नीलाम कर दिया.

यह मामले भी हुए उजागर...

जब इस पूरे प्रकरण में ईटीवी भारत की ओर से दस्तावेज जुटाकर पड़ताल की गई तो सांगानेर थाने का भी एक मामला इसमें उजागर हुआ है. जिसमें रामचरण नाम के व्यक्ति की बाइक चोरी हुई थी जो उसे आज तक नहीं मिली है. उस बाइक को भी पुलिस ने बरामद कर नीलाम कर दिया है. इसी तरह से सांगानेर सदर थाने में वर्ष 2016 में अंशुल गुप्ता ने स्कूटी चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. उस चोरी की एक्टिवा को भी पुलिस ने बरामद किया और अंशुल को उसकी सूचना तक नहीं दी.

Vehicle theft case in Jaipur,  Jaipur Police Latest News
चोरी के वाहन बरामद...

पढ़ें- Special: जेल में बैठकर गैंग ऑपरेट करने वाले गैंगस्टर्स पर रखी जा रही खास नजर, SDM और ADM कर रहे औचक निरीक्षण

स्कूटी को 38 पुलिस एक्ट के तहत जब्त दिखाकर पुलिस की ओर से नीलाम कर दिया गया. इस तरह के अनेक मामले और भी हैं, जहां पुलिस ने बड़ा गड़बड़झाला करते हुए चोरी के वाहनों को बरामद तो किया, लेकिन उसकी सूचना वाहन मालिक को दिए बगैर ही उन वाहनों को 38 पुलिस एक्ट में दस्तावेजों में जब्त दिखाकर नीलाम कर दिया.

आला अधिकारी ने दिया जांच का आश्वासन...

ईटीवी भारत की ओर से जयपुर पुलिस के इस काले कारनामे को उजागर करने के बाद आला अधिकारी की ओर से इस प्रकरण को गंभीरता से लिया जा रहा है. डीजीपी भूपेंद्र सिंह यादव की ओर से इस पूरे प्रकरण की जानकारी लेने और उसकी जांच कराने का आश्वासन दिया गया है. इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए एक कमेटी बनाने की बात भी कही गई है.

जयपुर. प्रदेश में जयपुर पुलिस की ओर से अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए कबाड़ से भी कम कीमत पर वाहन बेचे जाने का खुलासा करने के बाद ईटीवी भारत की ओर से इस प्रकरण में एक और चौंकाने वाला खुलासा किया जा रहा है. जयपुर पुलिस की ओर से थाने के बाहर खड़े और पुलिस एक्ट में जब्त किए गए वाहनों को महज 50-100 रुपए में बेचा गया. इसके साथ ही जयपुर पुलिस की ओर से एक और कारनामा किया गया है.

जयपुर पुलिस का एक और कारनामा...

बता दें कि जयपुर पुलिस की ओर से चोरी हुए वाहनों को बरामद करने के बाद उसकी जानकारी वाहन मालिक को दिए बगैर ही वाहनों को नीलाम कर दिया गया है. ईटीवी भारत की पड़ताल में ऐसे 3 प्रकरण सामने आए हैं, जहां पुलिस की ओर से चोरी के वाहन बरामद करने के बाद उन्हें नीलाम कर दिया गया.

वाहनों की नीलामी में पुलिस की मिलीभगत के खेल का खुलासा करने के बाद प्रकरण में नित नए खुलासे हो रहे हैं. जहां जयपुर पुलिस की ओर से महज 50 रुपए में स्कूटर और 100 रुपए में बाइक नीलाम कर दी गई तो वहीं 8 हजार रुपए में ट्रैक्टर और 15 हजार रुपए में ट्रक नीलाम कर दिया गया. साथ ही जयपुर पुलिस ने ऐसे दुपहिया वाहन भी नीलाम किए हैं जो चोरी के थे और उन्हें बरामद करने के बाद वाहन मालिक को उसकी जानकारी तक नहीं दी गई.

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चोरी की गई बाइक बरामद...

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वहीं, ऐसा ही एक मामला शिप्रापथ थाने में सामने आया. जहां पर वर्ष 2016 में नरेंद्र नाम के एक व्यक्ति की बाइक चोरी हुई थी और वह बाइक आज तक नरेंद्र को नहीं मिली है. जबकि पुलिस की ओर से चोरी की बाइक को बरामद करने के बाद नीलाम कर दिया गया.

पीड़ित को नहीं मिली बाइक मिलने की सूचना...इंश्योरेंस कंपनी ने भी नहीं दिया क्लेम

ईटीवी भारत की ओर से जब इस पूरे प्रकरण में पड़ताल की गई और प्रकरण से जुड़े हुए दस्तावेज जुटाए गए तो उसमें इस बात का भी खुलासा हुआ कि पुलिस की ओर से चोरी के वाहन बरामद करने के बाद उन्हें वाहन मालिकों को नहीं सौंपा गया और नीलाम कर दिया गया. ऐसे ही पीड़ित व्यक्ति नरेंद्र ने वर्ष 2016 में शिप्रापथ थाने में बाइक चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. पीड़ित ने बताया कि जिस दिन उसकी बाइक चोरी हुई थी उसने उसी दिन पुलिस कंट्रोल रूम में फोन कर इसकी सूचना दी थी.

Vehicle theft case in Jaipur,  Jaipur Police Latest News
पुलिस थाना में पड़ा हुआ वाहन...

पुलिस कंट्रोल रूम में सूचना देने के बाद जब पीड़ित व्यक्ति ने शिप्रापथ थाने पहुंच FIR दर्ज करानी चाही तो पुलिसकर्मियों ने 2 से 3 दिन तक इंतजार करने को कहा और फिर 4 दिन बाद एफआईआर दर्ज की गई. वहीं, इंश्योरेंस कंपनी की ओर से पीड़ित व्यक्ति को FIR देरी से दर्ज कराने का हवाला देकर क्लेम खारिज कर दिया गया. पीड़ित व्यक्ति को ना तो इंश्योरेंस कंपनी से क्लेम मिला और ना ही बाइक. वहीं, पुलिस की ओर से नरेंद्र की चोरी हुई बाइक को बरामद किया गया. इसकी सूचना नरेंद्र को नहीं दी गई और बरामद की गई बाइक को पुलिस ने दस्तावेजों में 38 पुलिस एक्ट में जब्त हुआ दिखाकर नीलाम कर दिया.

यह मामले भी हुए उजागर...

जब इस पूरे प्रकरण में ईटीवी भारत की ओर से दस्तावेज जुटाकर पड़ताल की गई तो सांगानेर थाने का भी एक मामला इसमें उजागर हुआ है. जिसमें रामचरण नाम के व्यक्ति की बाइक चोरी हुई थी जो उसे आज तक नहीं मिली है. उस बाइक को भी पुलिस ने बरामद कर नीलाम कर दिया है. इसी तरह से सांगानेर सदर थाने में वर्ष 2016 में अंशुल गुप्ता ने स्कूटी चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. उस चोरी की एक्टिवा को भी पुलिस ने बरामद किया और अंशुल को उसकी सूचना तक नहीं दी.

Vehicle theft case in Jaipur,  Jaipur Police Latest News
चोरी के वाहन बरामद...

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स्कूटी को 38 पुलिस एक्ट के तहत जब्त दिखाकर पुलिस की ओर से नीलाम कर दिया गया. इस तरह के अनेक मामले और भी हैं, जहां पुलिस ने बड़ा गड़बड़झाला करते हुए चोरी के वाहनों को बरामद तो किया, लेकिन उसकी सूचना वाहन मालिक को दिए बगैर ही उन वाहनों को 38 पुलिस एक्ट में दस्तावेजों में जब्त दिखाकर नीलाम कर दिया.

आला अधिकारी ने दिया जांच का आश्वासन...

ईटीवी भारत की ओर से जयपुर पुलिस के इस काले कारनामे को उजागर करने के बाद आला अधिकारी की ओर से इस प्रकरण को गंभीरता से लिया जा रहा है. डीजीपी भूपेंद्र सिंह यादव की ओर से इस पूरे प्रकरण की जानकारी लेने और उसकी जांच कराने का आश्वासन दिया गया है. इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए एक कमेटी बनाने की बात भी कही गई है.

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