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नामी ऑटोमोबाइल फर्म की फर्जी ईमेल आईडी बनाकर 49.25 लाख रुपए की ठगी, दो साइबर ठग गिरफ्तार - राजस्थान न्यूज

जयपुर की ऑटोमोबाइल फर्म की फर्जी ईमेल आईडी के माध्यम से ठगी करने के आरोप में पुलिस ने दो साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है. दोनों ठगों ने करीब 49.25 लाख रुपए की ठगी की थी.

Jaipur Police, Rajasthan crime news
जयपुर ऑटोमोबाइल कंपनी का फर्जी ईमेल से ठगी
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Published : Oct 22, 2021, 6:31 PM IST

Updated : Oct 22, 2021, 7:09 PM IST

जयपुर. राजधानी की एक नामी ऑटोमोबाइल फर्म की फर्जी ईमेल आईडी बनाकर बैंक को ईमेल कर आरटीजीएस के माध्यम से 49.25 लाख रुपए की ठगी की गई थी. इस मामले में पुलिस ने यूपी के लखनऊ से दो साइबर ठग को गिरफ्तार किया है.

दो साइबर ठगों को विशेष अपराध साइबर थाना जयपुर पुलिस ने उत्तर प्रदेश के लखनऊ से गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की है. पुलिस ने ठगी के प्रकरण में कार्रवाई करते हुए तौसीफ अहमद और कुणाल गुप्ता को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने दोनों आरोपियों के पास से मोबाइल, सिम कार्ड, लैपटॉप, डेबिट कार्ड, फिंगरप्रिंट उपकरण व अन्य सामान बरामद किया है. पुलिस दोनों आरोपियों को लखनऊ से गिरफ्तार करने के बाद जयपुर लेकर आई है जहां पर उनसे पूछताछ की जा रही है.

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बैंक को चेकबुक खत्म होने का झांसा देकर बनाते हैं ठगी का शिकार

पुलिस की गिरफ्त में आए शातिर साइबर ठग तौसीफ अहमद और कुणाल गुप्ता ने प्रारंभिक पूछताछ में इस बात का खुलासा किया है कि वह किसी भी बड़े शहर की प्रतिष्ठित कंपनियों की मिलती-जुलती फर्जी ईमेल आईडी बनाते हैं. उसके बाद फर्जी ईमेल आईडी से उस बैंक को ईमेल किया जाता है. जिस बैंक में उस संबंधित कंपनी का करंट अकाउंट होता है.

यह भी पढ़ें. क्या आप भी साइबर ब्लैकमेलिंग का शिकार हो रहे हैं तो यह खबर पढ़ें ?

फर्जी मेल आईडी से बैंक को चेकबुक खत्म होने का झांसा देकर इमेल किया जाता है और बैंक को कंपनी के फर्जी लेटर हेड के जरिए बिहार, यूपी व अन्य राज्यों के विभिन्न बैंक खातों में आरटीजीएस या एनईएफटी के जरिए राशि ट्रांसफर करने के लिए कहा जाता है. जैसे ही बैंक ठगों के बताए गए खातों में राशि ट्रांसफर करता है, वैसे ही ठग पेमेंट गेटवे मोबिक्विक के वॉलेट में उस राशि को ट्रांसफर कर लेते हैं. उसके बाद अन्य फर्जी खातों में अलग-अलग टुकड़ों में राशि को ट्रांसफर कर एटीएम के जरिए कैश निकाल लिया जाता है.

ठग किराए के पते पर फर्जी आईडी कार्ड बनवाते हैं और फिर अपना ठिकाना बदल लेते हैं. इसके बाद फर्जी आईडी से मोबाइल सिम कार्ड लेते हैं और बैंक खाता खुलवाते हैं. फिलहाल, पुलिस गिरफ्त में आए दोनों ठगों से पूछताछ में जुटी है. जिसमें अन्य वारदातों का भी खुलासा होने की संभावना है. इसके साथ ही गैंग में शामिल उनके अन्य सदस्यों के बारे में भी पूछताछ की जा रही है. वहीं ठगी के इस पूरे प्रकरण में संबंधित बैंक के कर्मचारियों और अधिकारियों की भूमिका को लेकर भी जांच जारी है.

जयपुर. राजधानी की एक नामी ऑटोमोबाइल फर्म की फर्जी ईमेल आईडी बनाकर बैंक को ईमेल कर आरटीजीएस के माध्यम से 49.25 लाख रुपए की ठगी की गई थी. इस मामले में पुलिस ने यूपी के लखनऊ से दो साइबर ठग को गिरफ्तार किया है.

दो साइबर ठगों को विशेष अपराध साइबर थाना जयपुर पुलिस ने उत्तर प्रदेश के लखनऊ से गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की है. पुलिस ने ठगी के प्रकरण में कार्रवाई करते हुए तौसीफ अहमद और कुणाल गुप्ता को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने दोनों आरोपियों के पास से मोबाइल, सिम कार्ड, लैपटॉप, डेबिट कार्ड, फिंगरप्रिंट उपकरण व अन्य सामान बरामद किया है. पुलिस दोनों आरोपियों को लखनऊ से गिरफ्तार करने के बाद जयपुर लेकर आई है जहां पर उनसे पूछताछ की जा रही है.

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बैंक को चेकबुक खत्म होने का झांसा देकर बनाते हैं ठगी का शिकार

पुलिस की गिरफ्त में आए शातिर साइबर ठग तौसीफ अहमद और कुणाल गुप्ता ने प्रारंभिक पूछताछ में इस बात का खुलासा किया है कि वह किसी भी बड़े शहर की प्रतिष्ठित कंपनियों की मिलती-जुलती फर्जी ईमेल आईडी बनाते हैं. उसके बाद फर्जी ईमेल आईडी से उस बैंक को ईमेल किया जाता है. जिस बैंक में उस संबंधित कंपनी का करंट अकाउंट होता है.

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फर्जी मेल आईडी से बैंक को चेकबुक खत्म होने का झांसा देकर इमेल किया जाता है और बैंक को कंपनी के फर्जी लेटर हेड के जरिए बिहार, यूपी व अन्य राज्यों के विभिन्न बैंक खातों में आरटीजीएस या एनईएफटी के जरिए राशि ट्रांसफर करने के लिए कहा जाता है. जैसे ही बैंक ठगों के बताए गए खातों में राशि ट्रांसफर करता है, वैसे ही ठग पेमेंट गेटवे मोबिक्विक के वॉलेट में उस राशि को ट्रांसफर कर लेते हैं. उसके बाद अन्य फर्जी खातों में अलग-अलग टुकड़ों में राशि को ट्रांसफर कर एटीएम के जरिए कैश निकाल लिया जाता है.

ठग किराए के पते पर फर्जी आईडी कार्ड बनवाते हैं और फिर अपना ठिकाना बदल लेते हैं. इसके बाद फर्जी आईडी से मोबाइल सिम कार्ड लेते हैं और बैंक खाता खुलवाते हैं. फिलहाल, पुलिस गिरफ्त में आए दोनों ठगों से पूछताछ में जुटी है. जिसमें अन्य वारदातों का भी खुलासा होने की संभावना है. इसके साथ ही गैंग में शामिल उनके अन्य सदस्यों के बारे में भी पूछताछ की जा रही है. वहीं ठगी के इस पूरे प्रकरण में संबंधित बैंक के कर्मचारियों और अधिकारियों की भूमिका को लेकर भी जांच जारी है.

Last Updated : Oct 22, 2021, 7:09 PM IST
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