जयपुर. मानसून आते ही डेंगू और मलेरिया के केस बढ़ जाते हैं. मानसून के साथ वायरस और बैक्टीरिया से पैदा हुए इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है. इसको देखते हुए ग्रेटर नगर निगम ने अभी से छिड़काव का काम शुरू कर दिया है.
राजधानी में अब तक मानसून (monsoon in Rajasthan) ने भले ही दस्तक नहीं दी हो लेकिन प्री मानसून की बारिश में कुछ स्थानों पर जलजमाव की स्थिति नजर आई. परकोटा क्षेत्र हो या बाहरी इलाके, पोश एरिया भी बारिश के दिनों में इस समस्या से दो चार होता ही है. बारिश के बाद एकत्र पानी में मच्छर का लार्वा पनपने से कोरोना (corona in Jaipur) के साथ-साथ डेंगू का डर भी लोगों को सताता है. इसके बावजूद चिकित्सा महकमा जागा नहीं है. आलम ये है कि 2020 के बाद विभाग के पास मौसमी बीमारियों (seasonal disease) से जुड़े आंकड़े ही नहीं है. हालांकि, बीते साल के आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि मानसून के दौरान डेंगू ने (dengue in Jaipur) शहर वासियों को परेशान जरूर किया है.
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हालांकि, निगम प्रशासन (Jaipur Municipal Corporation) ने कमर जरूर कसी है. ग्रेटर निगम चीफ हेल्थ ऑफिसर के अनुसार कोरोना का प्रकोप खत्म नहीं हुआ है. तीसरी लहर आने की भी संभावना है. उसके साथ शहर वासियों को मौसमी बीमारी डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया (Chikungunya) से प्रभावित ना हो, इसके लिए निगम प्रशासन ने कीटनाशक छिड़काव करना शुरू किया है. कीटनाशक के रूप में टेमेफोस और फिनायल का छिड़काव रुके हुए पानी, नाली-नालों में किया जा रहा है. इसका वार्ड वाइज प्रोग्राम बनाया गया है. बारिश के बाद फॉगिंग का काम भी किया जाएगा.
पिछले साल का आंकड़ा
बीमारी | राजस्थान | जयपुर |
डेंगू | 550 | 187 |
चिकनगुनिया | 310 | 1 |
मलेरिया | 400 | 0 |
बहरहाल, निगम प्रशासन ने मौसमी बीमारियों को लेकर छिड़काव शुरू कर दिया है लेकिन स्वास्थ्य विभाग कोरोना में ही पूरी तरह उलझा हुआ है. यही वजह है कि अब तक विभाग ने किसी तरह की गाइडलाइन तक नहीं बनाई है.