जयपुर. नगर निगम, बीवीजी कंपनी और डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाले हूपर संचालकों का विवाद शहर की स्वच्छता पर भारी पड़ रहा है. शनिवार से मंगलवार बीत गया. लेकिन विवाद नहीं सुलझा. शहर के निवर्तमान 8 जोन में से महज 3 में ही डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाले हूपर पहुंच रहे हैं. जबकि वेंडर्स अपने सवा साल से लंबित चल रहे भुगतान की वजह से काम बंद करे बैठे हैं.
ऐसे में शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है. वहीं विवाद का निपटारा न होता देख अब नगर निगम प्रशासन ने बीवीजी कंपनी को भी 30 दिन में व्यवस्थाएं दुरुस्त करने को लेकर अल्टीमेटम दिया है. तब तक निगम कीओर से हाल ही में खरीदे गए 100 हूपर को कंपनी को किराए पर देने का फैसला लिया गया है.
इस संबंध में ग्रेटर नगर निगम कमिश्नर दिनेश यादव ने कहा कि, कंपनी निगम के पास भुगतान लंबित बता रही है. जबकि मार्च तक का पूरा पेमेंट किया जा चुका है. हालांकि इस आरोप-प्रत्यारोप के बीच अब एक कमेटी बनाकर इससे सुलझाने की कोशिश की जा रही है. वहीं तात्कालिक सफाई की समस्या को ध्यान में रखते हुए बीवीजी कंपनी को किराए पर हूपर दिए जाएंगे. और व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए किसी भी कीमत पर 30 दिन से ज्यादा का समय नहीं दिया जाएगा. इसके बाद कठोर कदम उठाया जाएगा.
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बता दें कि राजधानी में करीब 527 डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाली गाड़ियां संचालित है. इनमें से बीवीजी की गाड़ियां महज 106 हैं. जबकि 421 गाड़ियां वेंडर्स की है, जो निगम से सीधे न जुड़कर बीवीजी के मार्फत शहर भर से कचरा संग्रहण कर रहे हैं. कंपनी की तरफ से इनका भुगतान नहीं किया गया है. जिसकी वजह से काम का बहिष्कार किए हुए हैं.