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Corona: सोशल डिस्टेंसिंग में फेल जयपुर रसद विभाग, गेहूं लेने के लिए उचित मूल्य की दुकानों पर उमड़ी भीड़ - covid 19

कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए ही पूरे देश में 21 दिनों का लॉकडाउन किया गया है, ताकि लोग घरों से न निकले और सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे, लेकिन अब रसद विभाग ही इस सोशल डिस्टेंसिंग के फॉर्मूले को सफल करने में फेल साबित हो रहा है. गेहूं लेने के लिए उचित मूल्य की दुकानों पर भारी भीड़ नजर आ रही है.

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गेहूं लेने के लिए उचित मूल्य की दुकानों पर उमड़ी भीड़
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Published : Apr 1, 2020, 11:50 AM IST

जयपुर. कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में 21 दिन का लॉकडाउन घोषित किया हुआ है ताकि लोग घरों से बाहर नहीं निकले और सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे. अब खुद रसद विभाग ही सोशल डिस्टेंसिंग की व्यवस्था को फेल करने में लगा है. उचित मूल्य की दुकानों पर खाद्य सुरक्षा योजना के लाभार्थियों को निशुल्क गेहूं वितरण प्रशासन ने शुरू करवाया है, लेकिन इस व्यवस्था से सोशल डिस्टेंसिंग पूरी तरह से नदारद रही. उचित मूल्य की दुकानों पर लोगों की अधिक भीड़ देखी जा रही है.

गेहूं लेने के लिए उचित मूल्य की दुकानों पर उमड़ी भीड़

जयपुर जिला प्रशासन का स्पष्ट निर्देश है कि यदि दुकानों पर सोशल डिस्टेंसिंग की व्यवस्था नहीं होती है और 5 से ज्यादा लोग गेहूं लेने के लिए आते हैं. तो गेहूं का वितरण नहीं किया जाए. रसद विभाग को ओर से खाद्य सुरक्षा योजना के लाभार्थियों को पहले घर-घर जाकर गेहूं को बांटने की योजना थी. इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से राशन डीलरों को वाहन और वालंटियर भी मुहैया कराने थे, लेकिन राशन डीलरों के पास वाहन की व्यवस्था नहीं हो पाई. इसके कारण वे लाभार्थियों को घर-घर गेहूं नहीं दे पाए.

लापरवाही बरतने पर 4 अधिकारियों को नोटिस

एक तरफ जिला प्रशासन कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रहा है. दूसरी तरफ रसद विभाग के कुछ कर्मचारी आदेशों की अवहेलना करने में लगे हैं. जिला कलेक्टर ने जिला रसद शाखा के चार प्रवर्तन अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया.

यह भी पढे़ं- DGP ने की लॉकडाउन के हालातों पर चर्चा, संक्रमित इलाकों में पुलिसकर्मियों को मास्क और सेनेटाइजर देने के निर्देश

इन धाराओं के तहत होगी कार्रवाई

जिला कलेक्टर जोगाराम ने 30 मार्च को लॉकडाउन के दौरान खाद्य पदार्थों की आपूर्ति के संबंध में एक बैठक बुलाई थी, जिसमें यह चारों प्रवर्तन अधिकारी नहीं पहुंचे. ऐसी स्थिति में लापरवाही बरतने और आदेशों की अवहेलना पर जिला कलेक्टर जोगाराम ने प्रवर्तन अधिकारी सरोज मीणा, गोरा मीणा, निर्मला चौधरी और कविता शर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर इन अधिकारियों के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 51, 57 और भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत कार्रवाई की जाएगी.

जयपुर. कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में 21 दिन का लॉकडाउन घोषित किया हुआ है ताकि लोग घरों से बाहर नहीं निकले और सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे. अब खुद रसद विभाग ही सोशल डिस्टेंसिंग की व्यवस्था को फेल करने में लगा है. उचित मूल्य की दुकानों पर खाद्य सुरक्षा योजना के लाभार्थियों को निशुल्क गेहूं वितरण प्रशासन ने शुरू करवाया है, लेकिन इस व्यवस्था से सोशल डिस्टेंसिंग पूरी तरह से नदारद रही. उचित मूल्य की दुकानों पर लोगों की अधिक भीड़ देखी जा रही है.

गेहूं लेने के लिए उचित मूल्य की दुकानों पर उमड़ी भीड़

जयपुर जिला प्रशासन का स्पष्ट निर्देश है कि यदि दुकानों पर सोशल डिस्टेंसिंग की व्यवस्था नहीं होती है और 5 से ज्यादा लोग गेहूं लेने के लिए आते हैं. तो गेहूं का वितरण नहीं किया जाए. रसद विभाग को ओर से खाद्य सुरक्षा योजना के लाभार्थियों को पहले घर-घर जाकर गेहूं को बांटने की योजना थी. इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से राशन डीलरों को वाहन और वालंटियर भी मुहैया कराने थे, लेकिन राशन डीलरों के पास वाहन की व्यवस्था नहीं हो पाई. इसके कारण वे लाभार्थियों को घर-घर गेहूं नहीं दे पाए.

लापरवाही बरतने पर 4 अधिकारियों को नोटिस

एक तरफ जिला प्रशासन कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रहा है. दूसरी तरफ रसद विभाग के कुछ कर्मचारी आदेशों की अवहेलना करने में लगे हैं. जिला कलेक्टर ने जिला रसद शाखा के चार प्रवर्तन अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया.

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इन धाराओं के तहत होगी कार्रवाई

जिला कलेक्टर जोगाराम ने 30 मार्च को लॉकडाउन के दौरान खाद्य पदार्थों की आपूर्ति के संबंध में एक बैठक बुलाई थी, जिसमें यह चारों प्रवर्तन अधिकारी नहीं पहुंचे. ऐसी स्थिति में लापरवाही बरतने और आदेशों की अवहेलना पर जिला कलेक्टर जोगाराम ने प्रवर्तन अधिकारी सरोज मीणा, गोरा मीणा, निर्मला चौधरी और कविता शर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर इन अधिकारियों के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 51, 57 और भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत कार्रवाई की जाएगी.

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