जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान मेडिकल रिलीफ सोसायटी में लगे संविदाकर्मी को हटाने पर रोक लगाते हुए स्वास्थ्य विभाग से जवाब तलब किया है. न्यायाधीश एसपी शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश कसम मोहम्मद की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता राकेश कुमार सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता आरएमआरएस स्कीम के तहत चार साल से संविदा पर काम कर रहा है. राज्य सरकार की ओर से अब एक आदेश जारी कर याचिकाकर्ता को प्लेसमेंट एजेन्सी के अधीन संविदा पर काम करने के लिए बाध्य किया जा रहा है.
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जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को सेवा से हटाने पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
हाईकोर्ट का आदेश, अन्य अभ्यर्थियों के समान दिए जाए परिलाभ-
राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह समान भर्ती में वर्ष 1998 में चयनित अन्य अभ्यर्थियों के समान, याचिकाकर्ता को वरिष्ठता और अन्य परिलाभ अदा करे. न्यायाधीश एसपी शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश शमीम बानो की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता वाईसी शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता का तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती 1998 में चयन हुआ था, लेकिन उसे वर्ष 2007 में नियुक्ति दी गई जबकि समान भर्ती में दूसरे अभ्यर्थियों को उसी वर्ष नियुक्तियां दी गई थी.
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ऐसे में याचिकाकर्ता को भी अन्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति तिथि से सेवा में मानते हुए वरिष्ठता व अन्य परिलाभ दिए जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को अन्य अभ्यर्थियों के समान वरिष्ठता व अन्य परिलाभ देने को कहा है.