जयपुर. प्रदेश में फैले कोरोना का असर नगर निगम की वित्तीय स्थिति भी पड़ा. हेरिटेज नगर निगम की मेयर ने पदभार संभालने के दौरान निगम की कंगाली को दूर करने के जो दावे किए थे, वो भी फेल साबित हुए. तमाम कवायद के बावजूद निगम पिछले राजस्व के आंकड़े को अर्जित करने में पिछड़ गया. यही वजह है कि अब ठेकेदारों के कर्जे को चुकाने और विकास कार्य पर खर्च करने के लिए हुडको से कर्जा लिया जा रहा है.
हेरिटेज नगर निगम राजस्व
इन आंकड़ों के बावजूद हेरिटेज निगम के अधिकारी कुछ मदों में बेहतर प्रदर्शन करने से संतुष्ट दिख रहे हैं. उनका मानना है कि कोरोना का बीते वित्तीय वर्ष में राजस्व पर असर पड़ा है. जिसकी भरपाई इस वित्तीय वर्ष में की जाएगी. जिस प्राइवेट फर्म से राजस्व वसूली कराई जा रही थी उसे भी निगम के अधिकारी डिफेंड करते हुए दिखे.
इसे कोरोना का साइड इफेक्ट ही कहेंगे कि बीते साल शहरी सरकार को राजस्व का टोटा पड़ा. नगर निगम के आय का मुख्य स्रोत यूडी टैक्स और होर्डिंग से होने वाली वसूली में भी इस साल हेरिटेज निगम पिछड़ गया. हालांकि ग्रेटर नगर निगम ने करीब 17 करोड़ ज्यादा राजस्व वसूल किया. होर्डिंग में भले ही ग्रेटर निगम पिछड़ा हो लेकिन यूडी टैक्स और विवाह स्थलों से वसूली कर निगम ने अपनी तिजोरी भरी.
ग्रेटर नगर निगम राजस्व
आर्थिक तंगी से जूझ रहे जयपुर नगर निगम प्रशासन ने अपने रेवेन्यू सोर्स बढ़ाए हैं. जल्द पीजी हॉस्टल, कोचिंग सेंटर, निजी अस्पताल, तंबाकू उत्पाद बेचने वाले और ट्रेड लाइसेंस के 5 नियमों के तहत वसूली की जाएगी. इस संबंध में राज्य सरकार का गजट नोटिफिकेशन जारी हो चुका है.