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अभियान चला कर अस्पतालों के फायर फाइटिंग सिस्टम की जांच कर रहा अग्निशमन विभाग, देखें ये खास रिपोर्ट... - Jaipur Fire Department campaign

जयपुर अग्निशमन विभाग विशेष अभियान चलाकर शहर के निजी और सरकारी अस्पतालों में लगे फायर फाइटिंग सिस्टम की जांच कर रहा है. जिससे समय रहते आग लगने जैसी घटनाओं पर काबू पाया जा सके. देखिए ये रिपोर्ट...

Fire Safety in Hospitals, Jaipur Fire Department campaign
फायर फाइटिंग सिस्टम की जांच
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Published : Sep 8, 2020, 10:45 PM IST

जयपुर. कोरोना के इस दौर में जहां सरकार द्वारा सरकारी अस्पतालों में मरीजों का इलाज किया जा रहा है. वहीं, राजधानी के कुछ निजी अस्पतालों को भी इसके लिए अधिकृत किया गया है. इसके अलावा बाहर से आ रहे लोगों के लिए अलग से क्वॉरेंटाइन सेंटर भी बनाया गया है. जहां संदिग्ध मरीजों को रखा जा रहा है. ऐसे में आग की घटनाओं को रोकने के लिए अग्निशमन विभाग भी लगातार सतर्कता बरत रहा है.

हाल ही में देश के कुछ स्थानों पर बनाए गए क्वॉरेंटाइन सेंटर पर आग लगने के मामले सामने आए थे. जिसके बाद जयपुर अग्निशमन विभाग की ओर से भी अब एक विशेष अभियान चलाकर शहर के निजी और सरकारी अस्पतालों में लगे फायर फाइटिंग सिस्टम की जांच की जा रही है. ताकि समय रहते आग जैसी घटनाओं पर काबू पाया जा सके. खास तौर पर निजी अस्पतालों को लेकर अग्निशमन विभाग विशेष सतर्कता बरत रहा है.

देखिए ये रिपोर्ट...

ये भी पढ़ें- Special : कोरोना काल में निजी अस्पतालों की मनमानी पर नकेल...मॉनिटरिंग के साथ कार्रवाई भी करेगी सरकार

विशेष अभियान

अग्निशमन विभाग के चीफ फायर ऑफिसर जगदीश फुलवारी ने बताया कि देश के कुछ स्थानों पर क्वॉरेंटाइन सेंटर में आग की घटनाएं सामने आई थी. जिसके बाद अग्निशमन विभाग एक विशेष अभियान चला रहा है. शहर में छोटे बड़े लगभग 500 से ज्यादा निजी अस्पताल मौजूद है और विभाग की ओर से सभी अस्पतालों का निरीक्षण किया जा रहा है. ताकि समय रहते आग जैसी बड़ी घटना पर काबू पाया जा सके.

एनओसी के बाद ही संचालन

चीफ फायर ऑफिसर जगदीश फुलवारी ने यह भी बताया कि जब भी कोई नया अस्पताल खोला जाता है, तो सबसे पहले फायर सेफ्टी को लेकर एनओसी जरूरी होती है और फायर सेफ्टी एनओसी मिलने के बाद ही निजी और सरकारी दोनों अस्पतालों को संचालन की अनुमति दी जाती है. इसके अलावा समय-समय पर इन अस्पतालों में लगे फायर इक्विपमेंट्स की जांच भी की जाती है. जिसमें कमी पाए जाने पर जुर्माना भी लगाया जाता है.

ये भी पढ़ें- SPECIAL : कोरोना की भेंट चढ़ा टेंट व्यापार, 25 करोड़ से ज्यादा का नुकसान

इमरजेंसी एग्जिट

जगदीश फुलवारी ने यह भी बताया कि प्रत्येक अस्पताल में एक इमरजेंसी एग्जिट बनाया जाता है. ताकि किसी भी तरह का हादसा होने पर आसानी से मरीजों को अस्पताल के बाहर निकाला जा सके. उन्होंने बताया कि विभाग किसी भी अस्पताल को एनओसी देने से पूर्व यह भी देखता है कि किसी भी आपातकालीन परिस्थिति में मरीजों को किस तरह अस्पताल से बाहर निकाला जाए.

फायर सेफ्टी उपकरण

अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि हाल ही में बागराना में सरकार की ओर से एक क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाया गया है. जिसमें वंदे भारत मिशन के तहत विदेश से आ रहे लोगों को रखा जा रहा है. ऐसे में इस क्वॉरेंटाइन सेंटर पर भी फायर सेफ्टी उपकरण लगाए गए हैं. समय-समय पर उपकरणों की जांच भी की जा रही है. ताकि किसी तरह का हादसा ना हो सके.

जयपुर. कोरोना के इस दौर में जहां सरकार द्वारा सरकारी अस्पतालों में मरीजों का इलाज किया जा रहा है. वहीं, राजधानी के कुछ निजी अस्पतालों को भी इसके लिए अधिकृत किया गया है. इसके अलावा बाहर से आ रहे लोगों के लिए अलग से क्वॉरेंटाइन सेंटर भी बनाया गया है. जहां संदिग्ध मरीजों को रखा जा रहा है. ऐसे में आग की घटनाओं को रोकने के लिए अग्निशमन विभाग भी लगातार सतर्कता बरत रहा है.

हाल ही में देश के कुछ स्थानों पर बनाए गए क्वॉरेंटाइन सेंटर पर आग लगने के मामले सामने आए थे. जिसके बाद जयपुर अग्निशमन विभाग की ओर से भी अब एक विशेष अभियान चलाकर शहर के निजी और सरकारी अस्पतालों में लगे फायर फाइटिंग सिस्टम की जांच की जा रही है. ताकि समय रहते आग जैसी घटनाओं पर काबू पाया जा सके. खास तौर पर निजी अस्पतालों को लेकर अग्निशमन विभाग विशेष सतर्कता बरत रहा है.

देखिए ये रिपोर्ट...

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विशेष अभियान

अग्निशमन विभाग के चीफ फायर ऑफिसर जगदीश फुलवारी ने बताया कि देश के कुछ स्थानों पर क्वॉरेंटाइन सेंटर में आग की घटनाएं सामने आई थी. जिसके बाद अग्निशमन विभाग एक विशेष अभियान चला रहा है. शहर में छोटे बड़े लगभग 500 से ज्यादा निजी अस्पताल मौजूद है और विभाग की ओर से सभी अस्पतालों का निरीक्षण किया जा रहा है. ताकि समय रहते आग जैसी बड़ी घटना पर काबू पाया जा सके.

एनओसी के बाद ही संचालन

चीफ फायर ऑफिसर जगदीश फुलवारी ने यह भी बताया कि जब भी कोई नया अस्पताल खोला जाता है, तो सबसे पहले फायर सेफ्टी को लेकर एनओसी जरूरी होती है और फायर सेफ्टी एनओसी मिलने के बाद ही निजी और सरकारी दोनों अस्पतालों को संचालन की अनुमति दी जाती है. इसके अलावा समय-समय पर इन अस्पतालों में लगे फायर इक्विपमेंट्स की जांच भी की जाती है. जिसमें कमी पाए जाने पर जुर्माना भी लगाया जाता है.

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इमरजेंसी एग्जिट

जगदीश फुलवारी ने यह भी बताया कि प्रत्येक अस्पताल में एक इमरजेंसी एग्जिट बनाया जाता है. ताकि किसी भी तरह का हादसा होने पर आसानी से मरीजों को अस्पताल के बाहर निकाला जा सके. उन्होंने बताया कि विभाग किसी भी अस्पताल को एनओसी देने से पूर्व यह भी देखता है कि किसी भी आपातकालीन परिस्थिति में मरीजों को किस तरह अस्पताल से बाहर निकाला जाए.

फायर सेफ्टी उपकरण

अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि हाल ही में बागराना में सरकार की ओर से एक क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाया गया है. जिसमें वंदे भारत मिशन के तहत विदेश से आ रहे लोगों को रखा जा रहा है. ऐसे में इस क्वॉरेंटाइन सेंटर पर भी फायर सेफ्टी उपकरण लगाए गए हैं. समय-समय पर उपकरणों की जांच भी की जा रही है. ताकि किसी तरह का हादसा ना हो सके.

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