जयपुर. आपराधिक मामले में बरी होने के बावजूद भी चयनित अभ्यर्थी को नियुक्ति से वंचित करना गलत है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता को कांस्टेबल भर्ती- 2018 में नियुक्ति के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश एसपी शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश रमेश गोस्वामी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
वहीं याचिका में अधिवक्ता प्रेमचंद देवन्दा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता कांस्टेबल भर्ती में चयनीत होकर दस्तावेज भी सत्यापित करवा चुका था. वहीं विभाग ने उसे यह कहते हुए नियुक्ति से वंचित कर दिया कि साल 2013 में उसके खिलाफ आपराधिक मामले में आरोप पत्र पेश हुआ था. साथ ही याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज चोरी के मामले में वह साल 2013 में ही बरी हो गया था. ऐसे में उसे नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने के आदेश दिए हैं.
प्रिंसीपल के तबादले पर रोक
राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण ने कुछ ही महीनों बाद रिटायर्ड होने वाले प्रिंसिपल का तबादला बांसवाड़ा करने पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया. जिसमें अधिकरण ने यह आदेश शंकर लाल शर्मा की अपील पर दिए. जिसमें अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अधिकरण को बताया कि याचिकाकर्ता डांगरवाडा में प्रिंसीपल के पद पर कार्यरत है. याचिकाकर्ता कुछ माह बाद ही रिटायर्ड हो रहा है. इसके बावजूद भी राज्य सरकार ने उनका तबादला बांसवाड़ा के पांसी छोटी में कर दिया. ऐसे में उसके तबादला आदेश को निरस्त किया जाए,जिस पर सुनवाई करते हुए अधिकरण ने तबादला आदेश पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है.