जयपुर. शहर में सिलसिलेवार बम धमाकों की आज 12वीं बरसी है. आज ही के दिन 13 मई 2008 को शहर में एक के बाद एक हुए 8 बम धमाकों में 72 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे. घटना को लेकर विशेष न्यायालय में सालों चली लंबी बहस के बाद आखिरकार गत वर्ष 20 दिसंबर को अदालत ने चार अभियुक्तों मोहम्मद सैफ, सैफुर्रहमान, सलमान और सरवर आजमी को फांसी की सजा सुनाते हुए शाहबाज हुसैन को दोषमुक्त कर दिया था.
अभियुक्तों को अदालत ने भले ही सजा सुना दी हो, लेकिन शहरवासी आज भी उस दिन का इंतजार कर रहे हैं. जब इन दरिंदों को फांसी पर लटकाया जाएगा. हालांकि फांसी लगने में एक लंबी कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी होती है. ऐसे में संभावना है कि अगले कुछ सालों तक इन अभियुक्तों को फांसी की सजा नहीं मिल पाएगी. फिलहाल, अभियुक्तों को मिली सजा के खिलाफ उनकी अपील हाईकोर्ट में लंबित है. वहीं, राज्य सरकार ने भी सजा की पुष्टि के लिए हाइकोर्ट में डेथ रेफरेंस पेश कर रखा है.
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सत्र न्यायालय की ओर से किसी भी मामले में फांसी की सजा दिए जाने पर राज्य सरकार उस सजा को पुष्ट करने के लिए हाईकोर्ट में डेथ रेफरेंस पेश करती है. हाईकोर्ट से निचली अदालत के फैसले पर मुहर लगने के बाद ही फांसी की सजा के फैसले को मान्य माना जाता है.
वहीं, हाईकोर्ट से हारने के बाद अभियुक्त पक्ष अपने बचाव के लिए सुप्रीम कोर्ट जाता है. दूसरी ओर अगर हाईकोर्ट में फैसला अभियुक्तगणों के पक्ष में होता है, तो राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जाती है. इसके अलावा अभियुक्तों के पास राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका पेश करने का भी विकल्प होता है. इस सारी प्रक्रिया में माना जा रहा है कि अभी अभियुक्तों को कई सालों तक फांसी नहीं हो पाएगी.
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गौरतलब है कि विशेष न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए अभियुक्त मोहम्मद सैफ को माणक चौक थाने के पास, सैफुर्रहमान को फूलों के खंदे में, सलमान को सांगानेरी गेट हनुमान मंदिर के पास और अभियुक्त सरवर आजमी को चांदपोल हनुमान मंदिर के पास बम रखने का दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी.
इन चारों अभियुक्तों के अलावा आरोपी साजिद बड़ा, मोहम्मद खालिद और शादाब फरार चल रहे हैं. जबकि मामले का सरगना मोहम्मद आतिफ और छोटा साजिद बाटला हाउस एनकाउंटर में मारे जा चुके हैं. जबकि आरिज उर्फ जुनैद, असदुल्ला अख्तर उर्फ हड्डी और अहमद सिद्दी उर्फ यासीन भटकल जेल में बंद हैं.