जयपुर. राजस्थान और खास तौर पर राजधानी जयपुर चाहे राज्य कोई भी हो अपने विधायकों को तोड़फोड़ से बचाने के लिए पॉलिटिकल टूरिज्म के तौर पर जयपुर ही लाए जाते रहे हैं.
पहले महाराष्ट्र फिर मध्य प्रदेश और गुजरात के विधायकों को तोड़फोड़ से बचाने के लिए इसी 1 साल के अंदर राजधानी जयपुर भेजा गया जो जयपुर में पॉलिटिकल टूरिज्म करते हुए दिखाई दिए, लेकिन राजधानी जयपुर दूसरे राज्यों के पॉलिटिकल टूरिज्म के बाद राजस्थान के कांग्रेस विधायकों के लिए भी उस समय पॉलिटिकल टूरिज्म का केंद्र बन गया जब राजस्थान में सियासी संकट आया.
जिसके बाद कांग्रेस के सभी विधायकों को पहले जयपुर और फिर जैसलमेर के होटलों में ले जाकर बाड़ेबंदी में रखा गया. अब एक बार फिर राजस्थान में बाड़ेबंदी चल रही है और नेता पॉलिटिकल टूरिज्म करते हुए नजर आ रहे हैं. इस बार का कारण है नगर निगम के चुनाव. जिनमें जयपुर ग्रेटर और जयपुर हेरिटेज के भाजपा और कांग्रेस के पार्षदों की बाड़ेबंदी तो जयपुर में हो ही चुकी है.
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इसके साथ ही कोटा दक्षिण के भी पार्षदों को जयपुर ही पॉलिटिकल टूरिज्म में लाया गया है. राजधानी जयपुर की बात करें तो यहां करीब 290 पार्षद बाड़ाबंदी में थे. इनमें जयपुर के भाजपा और कांग्रेस के पार्षदों के साथ ही निर्दलीय पार्षद और कोटा दक्षिण के पार्षद भी शामिल हैं.
इसके साथ ही इन नेताओं की देखरेख के लिए एक दर्जन से ज्यादा बड़े नेता भी जुटे हुए हैं. ऐसे में कहा जाए कि 300 नेताओं का पॉलिटिकल टूरिज्म केंद्र अभी जयपुर बना हुआ है तो कोई बड़ी बात नहीं होगी. बता दें कि महाराष्ट्र में सरकार बनने से पहले कांग्रेस के विधायकों को जयपुर के एक रिसॉर्ट में लाया गया था. उसके बाद मध्य प्रदेश के कांग्रेस विधायकों को मध्य प्रदेश के सियासी संकट के समय सरकार बचाने के लिए जयपुर लाया गया और फिर गुजरात में राज्यसभा चुनाव में संभावित तोड़फोड़ से बचने के लिए कांग्रेस ने अपने विधायकों को राजधानी जयपुर के रिसोर्ट में ही शिफ्ट किया था.
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इन तीनों राज्यों के विधायकों के साथ ही खुद राजस्थान में भी जब कांग्रेस पार्टी में सियासी संकट आया तो राजस्थान के सभी कांग्रेस विधायकों को जयपुर में ही बाड़ेबंदी में रखा गया था. हालांकि बीच में कुछ दिनों के लिए इन विधायकों को जैसलमेर के एक रिसॉर्ट में भी शिफ्ट किया गया था.