जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त शिक्षकों को पेंशन परिलाभ नहीं देने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने 28 अगस्त तक पालना नहीं करने पर अवमाननाकर्ता अफसरों को पेश होकर अवमानना की कार्रवाई का सामना करने की चेतावनी दी है.
न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश नरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश प्रोफेसर बीडी रावत की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार एएजी और वीवी की ओर से अधिवक्ता अलंकृता शर्मा ने अदालत को बताया कि अदालती आदेश की आंशिक पालना कर याचिकाकर्ता सहित अन्य को पेंशन जारी की जा चुकी है. वहीं कैरियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत पेंशन की गणना कर 4 सप्ताह में पेंशन जारी कर देंगे.
वहीं याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वीवी के 272 पूर्व शिक्षकों को अब तक लाभ नहीं मिला है. हाईकोर्ट के आदेश को भी डेढ़ साल बीत चुका है. इस पर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी की गई थी. एसएलपी गत 29 नवंबर को खारिज हुई है. जिसके चलते हाईकोर्ट के आदेश की पालना में समय लगा. सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने 28 अगस्त तक पालना नहीं करने पर अवमाननाकर्ता अफसरों को पेश होने के आदेश दिए हैं.
शहर की सफाई व्यवस्था को लेकर दिए आदेश की पालना में शपथ पत्र पेश करने के आदेश
वहीं राजस्थान हाईकोर्ट ने नगर निगम आयुक्त को शपथ पत्र पेश कर बताने को कहा है कि अदालत की ओर से शहर की सुचारू सफाई व्यवस्था के संबंध में दिए निर्देशों की पालना में क्या कार्रवाई की गई. अदालत ने आयुक्त से पूछा है कि सड़कों और गलियों में सिंगल टायर सिस्टम से सफाई आदि के संबंध में क्या किया जा रहा है. न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश नरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश विमल चौधरी की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता विमल चौधरी ने कहा कि हाईकोर्ट ने 31 मई 2012 को 16 बिंदुओं पर नगर निगम और राज्य सरकार को दिशा निर्देश दिए थे. इसके बावजूद अब तक आदेश की प्रभावी पालना नहीं की गई है. याचिकाकर्ता की ओर से अदालती आदेश की पालना नहीं करने के विरोध में गत दिनों निगम मुख्यालय के बाहर धरना देने की अनुमति भी मांगी गई, लेकिन सरकार ने इसकी अनुमति भी नहीं दी.
इसके अलावा मोती डूंगरी गणेश मंदिर के पीछे सरकारी जमीन पर बनाया जा रहे सुलभ शौचालय का काम भी बंद कर दिया है. वहीं नगर निगम की ओर से कहा गया कि अदालती आदेश की पालना में शौचालय निर्माण शुरू किया गया था, लेकिन पूर्व राजपरिवार से जुड़े ट्रस्ट के रिसिवर के प्रतिनिधि ने इस भूमि के स्वामित्व को लेकर निगम को नोटिस दिया है. इस पर अदालत ने कहा कि निगम भूमि के स्वामित्व के संबंध में अपने दस्तावेज रिसिवर को दे. वहीं अदालत ने आयुक्त को यहां की सफाई व्यवस्था का निरीक्षण करने और जरूरत पड़ने पर पुलिस बल की सहायता लेने के निर्देश दिए हैं.