जयपुर: कोरोना वैश्विक महामारी का असर उद्योगों पर भी देखने को मिल रहा है और रोजमर्रा की जिंदगी में काम आने वाली वस्तुओं पर पहले लॉकडाउन और अब मैन पावर की कमी के चलते आपूर्ति प्रभावित हुई है. खासकर लोहे और पेपर से जुड़ा उद्योग काफी प्रभावित हुआ है.
कोरोना महामारी के बीच सरकार की ओर से पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया था. इस लॉकडाउन डाउन का असर व्यापार और इससे जुड़े मजदूरों पर भी देखने को मिला और लॉकडाउन के दौरान मजदूर एक राज्य से दूसरे राज्य पलायन करने लगे. हालांकि, अब अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. बावजूद इसके उद्योगों के लिए मैन पावर की कमी बनी हुई है. ऐसे में जरूरत की वस्तुओं की कमी देखने को मिल रही है.
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लोहा कारोबार 70 फीसदी तक प्रभावित...
लोहे कारोबार से जुड़े हुए दिनेश सैनी बताते हैं कि लॉकडाउन से पहले जिस तरह का व्यापार था. अब उसमें काफी बदलाव देखने को मिल रहे हैं. लोहे से जुड़ा कारोबार करीब 70% तक कोरोना काल और लॉकडाउन के दौरान प्रभावित हुआ है. सबसे बड़ा नुकसान मैन पावर में देखने को मिल रहा है, क्योंकि लॉकडाउन के दौरान मरीज अपने घर चले गए और उसके बाद अब उद्योग चलाने के लिए मैन पावर की कमी बनी हुई है.
इसके अलावा कच्चे माल की आपूर्ति भी ट्रांसपोर्टेशन की व्यवस्था सही नहीं होने के चलते नहीं हो पा रही है. ऐसे में हालात धीरे-धीरे बिगड़ रहे हैं. कारोबारियों का यह भी कहना है कि अनलॉक की प्रक्रिया शुरू तो हो चुकी है, लेकिन उत्पादन अभी भी लगभग ठप ही पड़ा है. ऐसे में लोहे से जिन वस्तुओं का निर्माण किया जाता था. वह भी लगभग 10 से 15 फीसदी तक ही हो रहा है.
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पेपर उद्योग भी प्रभावित...
इस लॉकडाउन और कोरोना का असर पेपर उद्योग पर भी बड़े स्तर पर देखने को मिला है. पेपर उद्योग से जुड़े जयपुर के कारोबारी सोनू शर्मा ने बताया कि लॉकडाउन के चलते स्कूल-कॉलेज बंद हैं. चूकि स्कूल और कॉलेज में ही सबसे अधिक पेपर की आपूर्ति होती थी, लेकिन अब ऑनलाइन पढ़ाई का सिस्टम शुरू हो चुका है तो ऐसे में पेपर से तैयार होने वाली किताबें और कॉपियों की मांग लगभग खत्म हो चुकी है.
इसके अलावा शादी-ब्याह बंद होने का असर भी पेपर उद्योग पर पड़ा है, क्योंकि शादी ब्याह के एल्बम में उपयोग में आने वाला कागज एक विशेष प्रकार का कागज होता है. जिसकी मांग लगभग खत्म हो चुकी है और शादी-ब्याह के कार्ड भी नहीं छप रहे. इसके अलावा मांग नहीं होने के चलते कच्चे माल की आपूर्ति लगभग बंद हो चुकी है, क्योंकि पेपर से जुड़ा अधिकतर कच्चा माल विदेश से आयात किया जाता है, लेकिन मांग नहीं होने के चलते अब कारोबारी माल नहीं मंगवा रहे हैं. इसके अलावा ट्रांसपोर्टेशन के बिगड़े हालात के कारण ही तैयार माल सप्लाई नहीं किया जा रहा.