जयपुर. कहते है कि योग का मतलब है मिलन, लेकिन इस बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर ऐसा माहौल देखने को नहीं मिलेगा. क्योकिं देश में फैले कोरोना वायरस ने लोगों की गतिविधियों पर अपना असर डाला है, जिसके कारण इस बार योग दिवस लोगों को अपने घर ही मनाना होगा. देश में फैले कोरोना संक्रमण की वजह से इस बार ना ही लोग पार्कों में योग कर पाएंगे और ना ही कही पर योग शिविर का आयोजन होगा. पहली बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर वर्चुअल के माध्यम से लोग एक दूसरे कनेक्ट होंगे और अपने घरों पर ही योग करेंगे.
वर्तमान में कोरोना वायरस और डिप्रेशन ने लोगों को अपनी जद में ले रखा है. इम्यूनिटी कमजोर तो आपका कोरोना से संक्रमित होना तय है. ऐसे में योग एक ऐसा माध्यम है जिसके जरिए आप अपनी इम्यूनिटी को मजबूत कर सकते हैं और डिप्रेशन से बाहर निकल सकते हैं.
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अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत कब हुई...
साल 2015 में भारत में सबसे पहला योग दिवस मनाया गया था. इस बार भारत में छठी बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया जाएगा.
21 जून को ही क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय योग दिवस...
कहते हैं कि 21 जून का दिन साल का सबसे बड़ा दिन होता है. इस दिन सूर्य जल्दी उदय और देर से ढलता है. भारतीय संस्कृति के अनुसार ग्रीष्म संक्राति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है. ये भी कहा जाता है कि 21 जून के दिन सूर्य का प्रभाव काफी तेज होता है और प्रकृति की सकारात्मक ऊर्जा सक्रिय रहती है.
क्या है 2020 की योगा थीम...
हर साल की तरह इस बार भी योग दिवस मनाया जाएगा, लेकिन देश में फैले कोरोना संक्रमण के कारण लोग एकजुट होकर योगा नहीं कर पाएंगे. इस बार थीम यही है कि लोगों को अपने घरों पर ही रहकर योगा करना होगा.
योगा दिवस पर मिलिए 19 साल के अनुज से..
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर आज हम आपको मिलाते हैं जयपुर के 19 साल के अनुज पारीक से. जिसने 12 साल की उम्र से योग शुरू किया था. अपने सात साल के योग सफर में अनुज ने देश ही नहीं बल्कि विदेशी लोगों को भी योग के गुर सीखाएं हैं. अनुज बताते है कि योग सही तरह से जीने का एक विज्ञान है. योग के जरिए कोरोना और डिप्रेशन को दूर किया जा सकता है.
12 साल की उम्र से किया योग शुरू...
नाम अनुज पीरीक, उम्र 19 साल, योग अनुभव 7 साल. योग के आसन की जानकारी दे रहे अनुज ने महज 12 साल की उम्र में योग आसन में दक्षता हासिल कर ली थी. मुंबई, हिमाचल, केरल सहित कई राज्यों के योग आश्रम में योग अभ्यास कर आज अनुज ने देश दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है और आज अनुज चार से अधिक देशों के लोगों को योग आसन सीखा रहे हैं.
योग को दैनिक जीवन में करना चाहिए शामिल..
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर ईटीवी भारत से खास बात चीत में अनुज पारीक बताते हैं कि योग सही तरीके से जीने का विज्ञान है और इसलिए इसे दैनिक जीवन में शामिल किया जाना चाहिए. ये हमारे जीवन से जुड़े भौतिक, मानसिक, भावनात्मक, आत्मिक और आध्यात्मिक आदि से जुड़े पहलुओं पर काम करता है. योग का अर्थ एकता और बांधना है.
वर्तमान में कोरोना जैसी वैश्विक महामारी लोगों पर अपना प्रकोप बरसा रही है. योग एक ऐसा माध्यम है जिसके जरिए आप अपनी इम्यूनिटी को मजबूत कर सकते हैं और कोरोना जैसे संक्रमण से लड़ने के लिए अपने शरीक को मजबूत बना सकते हैं.
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ये हैं आसन जो लोगों को करने चाहिए...
अनुज बताते है कि कोरोना जैसे माहौल में आसन और प्राणायाम करने चाहिए, जिससे शरीर मे संक्रमण से लड़ने की शक्ति बढ़ती है. कोरोना काल में योग आसन और प्राणायाम करना चाहिए. इसके साथ ही लोगों को अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए सूर्य नमस्कार पादहस्तासन, वज्रासन, उत्तानासन, त्रिकोणासन, वीरभद्रासन, कोणासन, प्रसारिता पादोत्तासन पश्चिमोत्तानासन जानू, शीर्षासनअर्ध, बद्ध पद्मा, पश्चिमोत्तानासन पद्मासन अन्य आसन करने चाहिए.
अनुज पारीक बताते है कोरोना लॉकडाउन के चलते आम जन जीवन प्रभावित हुआ है. लोगों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा है. लॉकडाउन के चलते कई लोगों की नौकरी भी चली गई, व्यापारियों के व्यापार ठप हो गए. लोगों को काम नहीं मिल रहा, ऐसे तनाव के माहौल में कई बार लोग जीवन जीने की हिम्मत खो देते है. ऐसे वक्त जब मन में इस तरह के हतास और निराश करने वाले ख्याल आने लगे तो उस वक्त योग एक माध्यम है, जिसके जरिए आप अपने मन मस्तिष्क को बदल सकते हैं. कुछ ऐसे आसन और क्रियाएं है जिनके जरिए आप इस डिप्रेशन से बाहर आ सकते हैं. अनुज ने बताया कि डिप्रेशन के वक्त इन आसन और क्रियाओं को करें- श्वास प्रश्वास प्राणायाम में कुंभका और शून्यकाज्ञान, मुद्रा, चिन मुद्रा, पृथ्वी मुद्रा, आकाश मुद्रा, सूर्य मुद्रा इनको करने से आप के मन में कोई बुरा ख्याल नहीं आता है.