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राजस्थान हाई कोर्ट ने जारी किए अस्थाई तौर पर कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों और एलडीसी को न्यूनतम वेतन देने के निर्देश - जयपुर न्यूज

राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकार को महाधिवक्ता और राजकीय अधिवक्ता कार्यालय में अस्थाई तौर पर कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों और एलडीसी को न्यूनतम वेतन देने के निर्देश जारी किए हैं. अदालत ने यह आदेश हरी मोहन मीणा व अन्य की याचिका का निपटारा करते हुए दिए हैं.

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Published : Nov 16, 2019, 9:04 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान सरकार को महाधिवक्ता और राजकीय अधिवक्ता कार्यालय में अस्थाई तौर पर कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों और एलडीसी को न्यूनतम वेतन देने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही अदालत ने इन्हें नियमित करने के लिए विचार करने को कहा है. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश हरी मोहन मीणा व अन्य की याचिका का निपटारा करते हुए दिए हैं.

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महाधिवक्ता कार्यालय के अस्थाई कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन देने के निर्देश

अधिवक्ता तनवीर अहमद ने बताया कि याचिकाकर्ता चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी उम्मेद सिंह, रामजीलाल शर्मा, रामरतन शर्मा और ब्रजेश शर्मा 5 मई 2005 से महाधिवक्ता और राजकीय अधिवक्ता कार्यालय में कार्यरत हैं. इसके अतिरिक्त अस्थाई तौर पर एलडीसी पद पर कार्यरत मोहन मीणा, रेवंतदान चारण, नीरज कुमार जांगिड़, मनोहर सिंह और अब्दुल सत्तार ने भी नियमित करने और नियमित वेतन श्रृंखला दिलाने की गुहार की थी.

पढ़ें- ट्रैफिक नियमों का उल्लघंन करने वालों के खिलाफ पुलिस ने दिखाई सख्ती, 2 दिन में 212 वाहन जब्त

अदालत ने माना है कि उक्त 5 कांट्रेक्ट पर काम कर रहे थे और उनका कोई नियुक्ति पत्र भी कभी जारी नहीं हुआ. लेकिन, ये कर्मचारी एक नियमित कर्मचारी के समान ही काम कर रहे हैं. उनमें और नियमित नियुक्त एलडीसी में अंतर केवल इतना ही है कि यह पांचों आरपीएससी से सलेक्टेड नहीं हैं और टाइप टेस्ट भी पास नहीं किया है.

वहीं महाधिवक्ता का कहना था कि उक्त पांचों अतिरिक्त महाधिवक्ता और राजकीय अधिवक्ता के ऑफिस में काम करते हैं. सरकार इन्हें सीधे कोई भुगतान नहीं करती, बल्कि इन्हें भुगतान भी एएजी और राजकीय अधिवक्ता ही करते हैं और सरकार पुर्नभुगतान करती है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाककर्ताओं को नियमित एलडीसी की न्यूतनम वेतन श्रृंखला के अनुसार वेतन देने के निर्देश दिए हैं.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान सरकार को महाधिवक्ता और राजकीय अधिवक्ता कार्यालय में अस्थाई तौर पर कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों और एलडीसी को न्यूनतम वेतन देने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही अदालत ने इन्हें नियमित करने के लिए विचार करने को कहा है. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश हरी मोहन मीणा व अन्य की याचिका का निपटारा करते हुए दिए हैं.

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महाधिवक्ता कार्यालय के अस्थाई कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन देने के निर्देश

अधिवक्ता तनवीर अहमद ने बताया कि याचिकाकर्ता चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी उम्मेद सिंह, रामजीलाल शर्मा, रामरतन शर्मा और ब्रजेश शर्मा 5 मई 2005 से महाधिवक्ता और राजकीय अधिवक्ता कार्यालय में कार्यरत हैं. इसके अतिरिक्त अस्थाई तौर पर एलडीसी पद पर कार्यरत मोहन मीणा, रेवंतदान चारण, नीरज कुमार जांगिड़, मनोहर सिंह और अब्दुल सत्तार ने भी नियमित करने और नियमित वेतन श्रृंखला दिलाने की गुहार की थी.

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अदालत ने माना है कि उक्त 5 कांट्रेक्ट पर काम कर रहे थे और उनका कोई नियुक्ति पत्र भी कभी जारी नहीं हुआ. लेकिन, ये कर्मचारी एक नियमित कर्मचारी के समान ही काम कर रहे हैं. उनमें और नियमित नियुक्त एलडीसी में अंतर केवल इतना ही है कि यह पांचों आरपीएससी से सलेक्टेड नहीं हैं और टाइप टेस्ट भी पास नहीं किया है.

वहीं महाधिवक्ता का कहना था कि उक्त पांचों अतिरिक्त महाधिवक्ता और राजकीय अधिवक्ता के ऑफिस में काम करते हैं. सरकार इन्हें सीधे कोई भुगतान नहीं करती, बल्कि इन्हें भुगतान भी एएजी और राजकीय अधिवक्ता ही करते हैं और सरकार पुर्नभुगतान करती है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाककर्ताओं को नियमित एलडीसी की न्यूतनम वेतन श्रृंखला के अनुसार वेतन देने के निर्देश दिए हैं.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान सरकार को महाधिवक्ता और राजकीय अधिवक्ता कार्यालय में अस्थाई तौर पर कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों और एलडीसी को न्यूनतम वेतन देने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही अदालत ने इन्हें नियमित करने के लिए विचार करने को कहा है। न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश हरी मोहन मीणा व अन्य की याचिका का निपटारा करते हुए दिए।Body:अधिवक्ता तनवीर अहमद ने बताया कि याचिकाकर्ता चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी उम्मेद सिंह, रामजीलाल शर्मा, रामरतन शर्मा और ब्रजेश शर्मा 5 मई 2005 से महाधिवक्ता और राजकीय अधिवक्ता कार्यालय में कार्यरत हैं। इसके अतिरिक्त अस्थाई तौर पर एलडीसी पद पर कार्यरत मोहन मीणा, रेवंतदान चारण, नीरज कुमार जांगिड़, मनोहर सिंह और अब्दुल सत्तार ने भी नियमित करने व नियमित वेतन श्रंृखला दिलाने की गुहार की थी। अदालत ने माना है कि उक्त पांचों कांट्रेक्ट पर काम कर रहे थे और उनका कोई नियुक्ति पत्र भी कभी जारी नहीं हुआ। लेकिन ये कर्मचारी एक नियमित कर्मचारी के समान ही काम कर रहे हैं। उनमें और नियमित नियुक्त एलडीसी में अंतर केवल इतना ही है कि यह पांचों आरपीएससी से सलेक्टेड नहीं हैं और टाइप टैस्ट भी पास नहीं किया है। वहीं महाधिवक्ता का कहना था कि उक्त पांचों अतिरिक्त महाधिवक्ता और राजकीय अधिवक्ता के ऑफिस में काम करते हैं। सरकार इन्हें सीधे कोई भुगतान नहीं करती बल्कि इन्हें भुगतान भी एएजी व राजकीय अधिवक्ता ही करते हैं और सरकार पुर्नभुगतान करती है।
जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाककर्ताओं को नियमित एलडीसी की न्यूतनम वेतन श्रृंखला के अनुसार वेतन देने के निर्देश दिए हैं।Conclusion:
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