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मास्टर प्लान और जोनल प्लान की प्रस्तावित सड़कों के डिमार्केशन के निर्देश, भूमि निस्तारण नियम और भूखंड व आवास पर दी गई छूट - ETV Bharat Rajasthan news

मंगलवार को नगरीय विकास और स्वायत्त शासन विभाग (Urban Development and Autonomous Government Department) ने निर्देश जारी किए हैं. पढे़ं पूरी खबर...

Urban Development,  Autonomous Government Department
नगरीय विकास और स्वायत्त शासन विभाग
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Published : Nov 3, 2021, 9:56 AM IST

Updated : Nov 3, 2021, 10:46 PM IST

जयपुर. नगरीय विकास और स्वायत्त शासन विभाग (Urban Development and Autonomous Government Department) ने भूमि निस्तारण नियम के तहत आवंटित भूखंड, नीलामी के भूखंडों और कृषि भूमि (Agricultural Land) से अकृषि भूमि (आवासीय, व्यवसायिक, औद्योगिक) के भूखंडों को लेकर आमजन और निकाय अधिकारियों की सुविधा के लिए पूर्व में जारी आदेशों को स्पष्ट किया है. साथ ही निकायों की ओर से नीलामी और निर्धारित दर से आवंटित किए गए ऐसे भूखंड जिनमें ब्याज और पेनल्टी जमा नहीं हुई है, उन्हें छूट प्रदान करते हुए भूखंड बहाल करने की निकायों को शक्तियां प्रदान की गई है.

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विभागीय आदेश में ईडब्ल्यूएस/ एलआईजी/ एमआईजी ए/ एमआईजी बी/ एचआईजी के आवासों की ओर से बकाया किश्तें या बकाया मूल राशि अभियान अवधि के दौरान एक मुश्त जमा कराने पर ब्याज पेनल्टी में 100% छूट देते हुए स्थानीय स्तर पर इन भूखंड/आवास को बहाल करने के निर्देश दिए गए हैं. सभी नगरीय निकाय, विकास प्राधिकरण और विकास न्यास को मास्टर प्लान/जोनल प्लान/डेवलपमेंट प्लान/सेक्टर प्लान और बाईपास की प्रस्तावित सड़कों का मौके पर डिमार्केशन कर चिह्नीकरण करने के निर्देश दिए गए हैं.

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भूमि निस्तारण नियम, 1974 के नियम 17 (आवंटित भूखण्ड बाबत)

* निकायों की ओर से वर्ष 1975 से 18 नवम्बर 1997 तक निकायों की ओर से लॉटरी से रियायती दर पर आवंटित भूखण्डों में आवंटन की तारीख से 3 साल बाद आवंटन के समय की आवंटन दर की 5 % राशि वसूल करने का प्रावधान है. ऐसे आवंटनों के सम्बन्ध में आवंटन की तारीख से 3 साल छोड़कर राशि प्रतिवर्ष से 31 दिसम्बर 2019 तक गणना की जाये.

* निकायों की ओर से 18 नवम्बर 1997 के बाद लॉटरी से रियायती दर पर आवंटन किये गये भूखण्डों में आवंटन की तारीख से 5 साल बाद आवंटन के समय की आवंटन दर की 5% राशि प्रतिवर्ष से 31 दिसम्बर 2019 तक गणना की जाये.

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भूमि निस्तारण नियम, 1974 के नियम 14-ए (नीलामी के भूखण्डों बाबत)

* निकायों की ओर से 15 जनवरी 2002 और इसके बाद 20 अगस्त 2015 से पहले नीलाम किये गये भूखण्डों में कब्जा देने की तारीख से 3 साल बाद वर्तमान आरक्षित दर की 2.5% राशि प्रतिवर्ष से 31 दिसंबर 2019 तक गणना की जाये.

* निकायों की ओर से 20 अगस्त 2015 और इसके बाद नीलामी से आवंटित किये गये 1000 वर्गमीटर तक के भूखण्डों में कब्जा देने की तारीख से 3 साल बाद वर्तमान आरक्षित दर की 1% राशि प्रतिवर्ष से 31 दिसंबर 2019 तक गणना की जाए. (1000 वर्गमीटर से ज्यादा के भूखण्डों पर पुनर्ग्रहण शुल्क निर्धारित अवधि के बाद देय होगा)

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कृषि भूमि से अकृषि भूमि के भूखण्ड (आवासीय, व्यवसायिक, औद्योगिक आदि)

* पट्टे की तिथि से 7 साल बाद पट्टे जारी करने की तारीख से आवासीय (Residencial) मूल्य का 25 प्रतिशत प्रतिवर्ष से 31 दिसम्बर 2019 तक गणना की जाए. (आवासीय मूल्य पट्टे के समय रूपान्तरण शुल्क का चार गुणा)

* भू-राजस्व अधिनियम की धारा 90 बी के अन्तर्गत जारी किये गये पट्टों में आदेश 13 सितंबर 2011 के अनुसार पट्टा जारी करने की तिथि से 10 साल बाद पट्टे के समय के नियमन शुल्क की चार गुना राशि को आरक्षित दर मानते हुए उसकी 5 प्रतिशत राशि प्रति वर्ष से 31 दिसंबर 2019 तक गणना की जाये.

* राजस्थान नगरीय क्षेत्र (कृषि भूमि का गैर कृषि प्रयोजन के लिए उपयोग की अनुज्ञा आवंटन) नियमों के तहत पट्टे की तारीख से 7 साल बाद आवंटन के समय की आवासीय कीमत का 2.5% राशि प्रतिवर्ष से 31 दिसम्बर 2019 तक गणना की जाये.

* भूमि अवाप्ति के बदले आवंटित भूखण्डों में लीजडीड जारी होने के 10 साल बाद आवासीय आरक्षित दर की 1 प्रतिशत राशि प्रतिवर्ष से 31 दिसंबर 2019 तक गणना की जाये.

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नगरीय विकास आवासन और स्वास्थ्य शासन विभाग की ओर से जारी आदेश के अनुसार निकायों की ओर से नीलामी और निर्धारित दर से आवंटित किये गये भूखंडों को समस्त ब्याज और पैनल्टी में शत प्रतिशत छूट प्रदान की गई है।.साथ ही भूखण्ड बहाल करने की शक्तियां भी स्थानीय स्तर पर दी गई हैं. इसके अलावा सभी निकायों और आवासन मण्डल की ओर से आवंटित किये गये भूखण्ड, आवास, मकान, फ्लेट्स और अर्द्ध निर्मित मकानों जिनमें आवंटन की मूल राशि पूर्ण रूप से जमा हो चुकी है, उनमें ब्याज व पैनल्टी में छूट प्रदान करते हुऐ स्थानीय स्तर पर ही लीज डीड / कब्जा-पत्र / आवंटन पत्र / पट्टा आदि जारी करने की कार्यवाही की करने के आदेश दिए है. इस तरह के प्रकरण किसी न्यायालय में लम्बित हैं तो संबंधित निकाय / आवासन मण्डल की ओर से न्यायालय में दरख्वावस्त लगाकर प्रकरण का निस्तारण करवाया जाकर कार्यवाही की जाए.

जयपुर. नगरीय विकास और स्वायत्त शासन विभाग (Urban Development and Autonomous Government Department) ने भूमि निस्तारण नियम के तहत आवंटित भूखंड, नीलामी के भूखंडों और कृषि भूमि (Agricultural Land) से अकृषि भूमि (आवासीय, व्यवसायिक, औद्योगिक) के भूखंडों को लेकर आमजन और निकाय अधिकारियों की सुविधा के लिए पूर्व में जारी आदेशों को स्पष्ट किया है. साथ ही निकायों की ओर से नीलामी और निर्धारित दर से आवंटित किए गए ऐसे भूखंड जिनमें ब्याज और पेनल्टी जमा नहीं हुई है, उन्हें छूट प्रदान करते हुए भूखंड बहाल करने की निकायों को शक्तियां प्रदान की गई है.

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विभागीय आदेश में ईडब्ल्यूएस/ एलआईजी/ एमआईजी ए/ एमआईजी बी/ एचआईजी के आवासों की ओर से बकाया किश्तें या बकाया मूल राशि अभियान अवधि के दौरान एक मुश्त जमा कराने पर ब्याज पेनल्टी में 100% छूट देते हुए स्थानीय स्तर पर इन भूखंड/आवास को बहाल करने के निर्देश दिए गए हैं. सभी नगरीय निकाय, विकास प्राधिकरण और विकास न्यास को मास्टर प्लान/जोनल प्लान/डेवलपमेंट प्लान/सेक्टर प्लान और बाईपास की प्रस्तावित सड़कों का मौके पर डिमार्केशन कर चिह्नीकरण करने के निर्देश दिए गए हैं.

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भूमि निस्तारण नियम, 1974 के नियम 17 (आवंटित भूखण्ड बाबत)

* निकायों की ओर से वर्ष 1975 से 18 नवम्बर 1997 तक निकायों की ओर से लॉटरी से रियायती दर पर आवंटित भूखण्डों में आवंटन की तारीख से 3 साल बाद आवंटन के समय की आवंटन दर की 5 % राशि वसूल करने का प्रावधान है. ऐसे आवंटनों के सम्बन्ध में आवंटन की तारीख से 3 साल छोड़कर राशि प्रतिवर्ष से 31 दिसम्बर 2019 तक गणना की जाये.

* निकायों की ओर से 18 नवम्बर 1997 के बाद लॉटरी से रियायती दर पर आवंटन किये गये भूखण्डों में आवंटन की तारीख से 5 साल बाद आवंटन के समय की आवंटन दर की 5% राशि प्रतिवर्ष से 31 दिसम्बर 2019 तक गणना की जाये.

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भूमि निस्तारण नियम, 1974 के नियम 14-ए (नीलामी के भूखण्डों बाबत)

* निकायों की ओर से 15 जनवरी 2002 और इसके बाद 20 अगस्त 2015 से पहले नीलाम किये गये भूखण्डों में कब्जा देने की तारीख से 3 साल बाद वर्तमान आरक्षित दर की 2.5% राशि प्रतिवर्ष से 31 दिसंबर 2019 तक गणना की जाये.

* निकायों की ओर से 20 अगस्त 2015 और इसके बाद नीलामी से आवंटित किये गये 1000 वर्गमीटर तक के भूखण्डों में कब्जा देने की तारीख से 3 साल बाद वर्तमान आरक्षित दर की 1% राशि प्रतिवर्ष से 31 दिसंबर 2019 तक गणना की जाए. (1000 वर्गमीटर से ज्यादा के भूखण्डों पर पुनर्ग्रहण शुल्क निर्धारित अवधि के बाद देय होगा)

यह भी पढ़ें - हॉल मार्क से आप जान सकते हैं सोने की शुद्धता...क्या कहता है भारतीय मानक ब्यूरो

कृषि भूमि से अकृषि भूमि के भूखण्ड (आवासीय, व्यवसायिक, औद्योगिक आदि)

* पट्टे की तिथि से 7 साल बाद पट्टे जारी करने की तारीख से आवासीय (Residencial) मूल्य का 25 प्रतिशत प्रतिवर्ष से 31 दिसम्बर 2019 तक गणना की जाए. (आवासीय मूल्य पट्टे के समय रूपान्तरण शुल्क का चार गुणा)

* भू-राजस्व अधिनियम की धारा 90 बी के अन्तर्गत जारी किये गये पट्टों में आदेश 13 सितंबर 2011 के अनुसार पट्टा जारी करने की तिथि से 10 साल बाद पट्टे के समय के नियमन शुल्क की चार गुना राशि को आरक्षित दर मानते हुए उसकी 5 प्रतिशत राशि प्रति वर्ष से 31 दिसंबर 2019 तक गणना की जाये.

* राजस्थान नगरीय क्षेत्र (कृषि भूमि का गैर कृषि प्रयोजन के लिए उपयोग की अनुज्ञा आवंटन) नियमों के तहत पट्टे की तारीख से 7 साल बाद आवंटन के समय की आवासीय कीमत का 2.5% राशि प्रतिवर्ष से 31 दिसम्बर 2019 तक गणना की जाये.

* भूमि अवाप्ति के बदले आवंटित भूखण्डों में लीजडीड जारी होने के 10 साल बाद आवासीय आरक्षित दर की 1 प्रतिशत राशि प्रतिवर्ष से 31 दिसंबर 2019 तक गणना की जाये.

यह भी पढ़ें -जयपुर में दो निगम फिर भी रोड स्वीपिंग अब तक नहीं हुई मैकेनाइज्ड, केवल एक ट्रक माउंटेड के भरोसे पूरा शहर

नगरीय विकास आवासन और स्वास्थ्य शासन विभाग की ओर से जारी आदेश के अनुसार निकायों की ओर से नीलामी और निर्धारित दर से आवंटित किये गये भूखंडों को समस्त ब्याज और पैनल्टी में शत प्रतिशत छूट प्रदान की गई है।.साथ ही भूखण्ड बहाल करने की शक्तियां भी स्थानीय स्तर पर दी गई हैं. इसके अलावा सभी निकायों और आवासन मण्डल की ओर से आवंटित किये गये भूखण्ड, आवास, मकान, फ्लेट्स और अर्द्ध निर्मित मकानों जिनमें आवंटन की मूल राशि पूर्ण रूप से जमा हो चुकी है, उनमें ब्याज व पैनल्टी में छूट प्रदान करते हुऐ स्थानीय स्तर पर ही लीज डीड / कब्जा-पत्र / आवंटन पत्र / पट्टा आदि जारी करने की कार्यवाही की करने के आदेश दिए है. इस तरह के प्रकरण किसी न्यायालय में लम्बित हैं तो संबंधित निकाय / आवासन मण्डल की ओर से न्यायालय में दरख्वावस्त लगाकर प्रकरण का निस्तारण करवाया जाकर कार्यवाही की जाए.

Last Updated : Nov 3, 2021, 10:46 PM IST
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