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GDP expectation in 2022 : 9 फीसदी की दर से बढ़ेगी जीडीपी , 5 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य दूर की कौड़ी: सुभाष गर्ग - ETV Bharat Rajasthan news

इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन की वार्षिक कांफ्रेंस में आर्थिक मामले और वित्त विभाग के पूर्व सचिव सुभाष गर्ग ने बताया कि कोविड के प्रकोप के कारण देश की जीडीपी नकारात्मक अंकों में दर्ज की गई. वर्ष 2022 में देश की जीडीपी 8.5 से 9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करेगी. लेकिन 5 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने में अभी वक्त लगेगा.

indian economic association
इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन की वार्षिक कांफ्रेंस
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Published : Jan 5, 2022, 10:54 PM IST

जयपुर. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर सी. रंगराजन ने कहा कि विकास के लिए तीन आयाम महत्वपूर्ण हैं. हमें वृद्धि, सहभागिता और गरीबी उन्मूलन तीनों को गंभीरता से लेना होगा. इनके सामंजस्य के बिना सही मायने में विकास संभव नहीं है. वे आज बुधवार को मणिपाल यूनिवर्सिटी जयपुर के अर्थशास्त्र विभाग की मेजबानी में हुई इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन की वार्षिक कांफ्रेंस (Indian economic association conference 2022) में बोल रहे थे.

इस दौरान वर्चुअल माध्यम से ही उनका 90वां जन्मदिन भी मनाया गया. प्रथम सत्र की अध्यक्षता बीआरए यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. अशोक मित्तल ने की. इस सत्र में आईजीआईडीआर के कुलपति डा. महेंद्र देव ने भी अपने विचार रखे. कांफ्रेंस के दूसरे सत्र में बतौर मुख्य वक्ता आर्थिक मामले और वित्त विभाग के पूर्व सचिव सुभाष गर्ग ने बताया कि कोविड के प्रकोप के कारण देश की जीडीपी नकारात्मक अंकों में दर्ज की गई. हालांकि सुधार शुरू हो गया है और वर्ष 2022 में देश की जीडीपी 8.5 से 9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करेगी. लेकिन 5 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने में अभी वक्त लगेगा.

पढ़ें: New Corona Guidelines Rajasthan: गृह विभाग ने जारी किए नए दिशा-निर्देश, जानें कहां कितनी सख्ती

उन्होंने कहा कि भारत में न्यूनतम समर्थन मूल्य वैश्विक स्तर से काफी अधिक है. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना और कृषि क्षेत्र में चलाई जा रही योजनाओं से सभी वर्गों को काफी लाभ मिला है. सत्र की अध्यक्षता कर रहे इलहाबाद यूनिवर्सिटी के प्रो. केएन भट्ट ने बताया कि वर्ष 2001 में भारतीय बाजार में 6 प्रतिशत का निवेश था जो अब 2020 में बढ़कर 26 प्रतिशत हो गया है. भारत में तेजी से निवेश हो रहा है. जो देश की अर्थव्यवस्था को अवश्य लाभ पहुंचाएगा.

पढ़ें: भाजपा के बड़े विरोध प्रदर्शन पर कोरोना का ब्रेक, वर्चुअल प्लेटफार्म का होगा उपयोग....सोशल मीडिया की मिलेगी ट्रेनिंग

सरकारी संस्थानों को बनाने में लंबा समय लगा, अंधाधुंध निजीकरण ठीक नहीं

तीसरे सत्र में आईएमटी गाजियाबाद के प्रो. मानस पॉल ने वित्तीय अर्थशास्त्र पर अपनी बात रखी. सत्र की अध्यक्षता राजस्थान यूनिवर्सिटी की पूर्व कुलपति प्रो. कांता अहूजा ने की. उन्होंने कहा कि सरकारी संस्थानों को बनाने में लंबा वक्त लगा हैं. केवल उन्हीं संस्थानों का निजीकरण किया जाना चाहिए जो नुकसान में चल रहे हों. निजीकरण से मिले पैसे को किसी दूसरी जगह पर निवेश करना चाहिए. मुंबई से आए वक्ता डॉ. निशिकांत झा ने भी अपने विचार रखे.

जयपुर. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर सी. रंगराजन ने कहा कि विकास के लिए तीन आयाम महत्वपूर्ण हैं. हमें वृद्धि, सहभागिता और गरीबी उन्मूलन तीनों को गंभीरता से लेना होगा. इनके सामंजस्य के बिना सही मायने में विकास संभव नहीं है. वे आज बुधवार को मणिपाल यूनिवर्सिटी जयपुर के अर्थशास्त्र विभाग की मेजबानी में हुई इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन की वार्षिक कांफ्रेंस (Indian economic association conference 2022) में बोल रहे थे.

इस दौरान वर्चुअल माध्यम से ही उनका 90वां जन्मदिन भी मनाया गया. प्रथम सत्र की अध्यक्षता बीआरए यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. अशोक मित्तल ने की. इस सत्र में आईजीआईडीआर के कुलपति डा. महेंद्र देव ने भी अपने विचार रखे. कांफ्रेंस के दूसरे सत्र में बतौर मुख्य वक्ता आर्थिक मामले और वित्त विभाग के पूर्व सचिव सुभाष गर्ग ने बताया कि कोविड के प्रकोप के कारण देश की जीडीपी नकारात्मक अंकों में दर्ज की गई. हालांकि सुधार शुरू हो गया है और वर्ष 2022 में देश की जीडीपी 8.5 से 9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करेगी. लेकिन 5 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने में अभी वक्त लगेगा.

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उन्होंने कहा कि भारत में न्यूनतम समर्थन मूल्य वैश्विक स्तर से काफी अधिक है. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना और कृषि क्षेत्र में चलाई जा रही योजनाओं से सभी वर्गों को काफी लाभ मिला है. सत्र की अध्यक्षता कर रहे इलहाबाद यूनिवर्सिटी के प्रो. केएन भट्ट ने बताया कि वर्ष 2001 में भारतीय बाजार में 6 प्रतिशत का निवेश था जो अब 2020 में बढ़कर 26 प्रतिशत हो गया है. भारत में तेजी से निवेश हो रहा है. जो देश की अर्थव्यवस्था को अवश्य लाभ पहुंचाएगा.

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सरकारी संस्थानों को बनाने में लंबा समय लगा, अंधाधुंध निजीकरण ठीक नहीं

तीसरे सत्र में आईएमटी गाजियाबाद के प्रो. मानस पॉल ने वित्तीय अर्थशास्त्र पर अपनी बात रखी. सत्र की अध्यक्षता राजस्थान यूनिवर्सिटी की पूर्व कुलपति प्रो. कांता अहूजा ने की. उन्होंने कहा कि सरकारी संस्थानों को बनाने में लंबा वक्त लगा हैं. केवल उन्हीं संस्थानों का निजीकरण किया जाना चाहिए जो नुकसान में चल रहे हों. निजीकरण से मिले पैसे को किसी दूसरी जगह पर निवेश करना चाहिए. मुंबई से आए वक्ता डॉ. निशिकांत झा ने भी अपने विचार रखे.

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