जयपुर. राजस्थान में 2023-24 होने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भले ही अभी दो साल से ज्यादा का वक्त हो, लेकिन राजनेताओं के साथ प्रदेश के कई नौकरशाह भी टिकट की दावेदारी कर राजनीति में भाग्य आजमाने की कोशिश कर रहे हैं. प्रदेश की प्रशासनिक सेवा हो या पुलिस अधिकारी या फिर कर्मचारी नेता हों, सभी इस चुनाव में अपना भाग्य आजमाने के लिए गुणागणित में लगे हुए हैं. इनमें से कई तो बाकायदा स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर चुनावी दंगल में कूदने की तैयारी में है.
किसकी, कहां से चुनाव लड़ने की चर्चा
चुनाव से दो साल पहले जहां टिकट पाने के लिए तलबगार कई बड़े नेता से संपर्क कर राजनीतिक जमीन तैयार करने में जुटे हैं. राजस्थान से इन तलबगारों की सूची में आईएएस, आईपीएस और आरएएस अधिकारियों के साथ वरिष्ठ कर्मचारी नेता भी शामिल हैं. हालांकि जिन नौकरशाह के चुनाव लड़ने की चर्चा है उनसे Etv भारत ने अनौपचारिक बात की तो सभी ने चुनाव लड़ने की बात से इनकार कर दिया. लेकिन जिस तरह से इनकी अपने-अपने क्षेत्रों में बढ़ रहीं गतिविधियां और राजनीतिक पार्टियों से नजदीकियां दिख रही हैं कुछ तो बात है.
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इन वर्तमान और पूर्व अधिकारियों की चर्चाएं जोरों पर
आईएएस निरंजन आर्य, वर्तमान मुख्यसचिव
निरंजन आर्य 2022 में रिटायर्ड हो जाएंगे. उनकी पत्नी संगीता आर्य ने पहले ही कांग्रेस की सोजत विधानसभा सीट से 2013 में चुनाव मैदान में उतारा था, हालांकि वो चुनाव हार गई थीं और वर्तमान में आरपीएसी चेयरपर्सन हैं. लेकिन रिटायर्ड होने के बाद निरंजन आर्य खुद चुनाव में सोजत सीट से ही दांव आजमा सकते हैं. हालांकि चर्चा यह भी है कि निरंजन आर्य कांग्रेस की बीकानेर से भी लोकसभा उम्मीदवार हो सकते हैं.
आईएएस कुंजीलाल मीणा- वर्तमान में यूडीएच विभाग के प्रमुख सचिव
अपने शायराना अंदाज से अक्सर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तारीफों से चर्चा में रहने वाले आईएएस कुंजीलाल मीणा के चुनाव मैदान में भगय आजमाने की बातें पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भी हुई थी. लेकिन इस बार माना यह जा रहा है कि कुंजीलाल मीणा वीआरएस लेकर सवाई माधोपुर की किसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. मीणा ने जिस तरह से सरकारी आयोजन में मुख्यमंत्री की खुले मंच से तारीफों के पूल बंधे उससे शासन सचिवालय में चर्चा रही कि मीणा सवाई माधोपुर जिले के किसी विधानसभा क्षेत्र से आगामी विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं. एक आईएएस अधिकारी ने जिस अंदाज में मुख्यमंत्री की तारीफ की सियासी और प्रशासनिक हलकों में वह चर्चा का विषय बन गया.
आईएएस नीरज के पवन
वर्तमान में काैशल विकास निगम के चेयरमैन आईएएस नीरज के पवन किसी न किसी करप्शन आरोप में एंटीकरप्शन ब्यूरो के निशाने पर रहते हैं लेकिन इस बार इस बात को लेकर चर्चाएं ज्यादा है कि नीरज के पवन झालावाड़ की किसी विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में दांव आजमा सकते हैं. पिछले कुछ सालों में नीरज के पवन के साथ कई विवाद रहे. उससे ऐसा लग रहा है कि वे चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं. इसके अलावा रिटायर्ड हो चुके उन अधिकारियों की मियाद बड़ी है जो चुनाव लड़ने के लिए खुल कर सामने आ चुके हैं.
पूर्व आईएएस ललित मेहरा- श्रीगंगानगर जिले से , पूर्व आईपीएस महेन्द्र चौधरी-बाड़मेर से, पुर्व आईपीएस सवाईसिंह चौधरी- नागौर जिले से, पूर्व आईपीएस भैरोसिंह गुर्जर- बांदीकुई से, पूर्व एमडी अजमेर डिस्कॉम-पीएस जाट- सीकर जिले से, सांसद किरोड़ी लाल मीणा के भाई और पूर्व आरएएस, जगमोहन मीणा-दौसा से चुनाव लड़ चूके हैं, पूर्व आईएएस जगरूप सिंह यादव- जयपुर जिले से, पूर्व साइंटिस्ट- नारायण धायल -सीकर, आईपीएस सत्यवीर सिंह, पूर्व आईपीएस और राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष हरिप्रसाद शर्मा- फुलेरा से, पूर्व आईएएस केसी वर्मा- निवाई , पूर्व आईएएस आरके मीणा- मीणा के करौली और सवाईमाधोपुर जिले में किसी एक जगह से चुनाव लड़ने की चर्चा हैं.
इस तरह दूदू विधानसभा सीट से सेवानिवृत्त अतिरिक्त परिवहन आयुक्त हरिनारायण बैरवा भाजपा की टिकट की आस में हैं. पूर्व आईएएस ओपी हर्ष , बीकानेर की एक सीट से पिछले चुनाव में भी सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी ओपी हर्ष के चुनावी समर में उतरने और टिकट के लिए उनकी दावेदारी जताई थी. इस बार भी चर्चा जोरों पर हैं. पूर्व आरपीएस राजेन्द्र सिंह शेखावत, इनका नाम दातांरामगढ़ या केकड़ी विधानसभा सीट चर्चा में हैं.
ऐसा नहीं कि टिकट की चाह आईएएस, आइपीएस, आरएएस या आरपीएस अफसरों को ही है, कर्मचारी नेता भी टिकट की चाह में राजनीतिक पार्टियों के प्रति अपना समर्पण दिखाते रहे हैं. कर्मचारी नेता गजेंद्र सिंह राठौड़, तेजसिंग राठौड़ राजपूत बाहुल्य सीट झोटवाड़ा से तो सचिवालय अधिकारी संघ के नेता रहे महेश व्यास सेवानिवृत्ति के बाद बीकानेर पश्चिम सीट से भाजपा की टिकट मांग रहे हैं.
बीकानेर पूर्व से कर्मचारी नेता शिवशंकर ओझा भाजपा से टिकट की उम्मीद लगाए हुए हैं. देवली-उनियारा सीट से कर्मचारी नेता डॉ. विक्रमसिंह गुर्जर कांग्रेस से और फुलेरा से शंकरसिंह मनोहर और महेन्द्र सिंह चौधरी टिकट की आस में हैं. सचिवालय अधिकारी संघ के वर्तमान अध्यक्ष मेघराज पंवार बीकानेर भी रिजर्व सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं. टोंक से भाजपा से अबूबकर नकवी चुनाव लड़ने के इच्छुक बताए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री गहलोत के करीबी रहे कर्मचारी नेता धर्मेन्द्र सिंह भी बानसूर से दावेदारी पेश कर रहे हैं. हालांकि धर्मेन्द्र सिंह निर्दलीय बानसूर से चुनाव लड़ चुके हैं जिसमे उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
इन की टूटी थी आस
पिछले विधानसभा चुनाव में पूर्व आईपीएस विजेन्द्र झाला, राज्य मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष एचआर कुड़ी, पूर्व आईएएस ललित मेहरा, पूर्व आईपीएस के.राम, आईपीएस गिर्राज मीणा, पीआर मीणा, रामदेव सिंह खंडेला, भूराराम चौधरी, टीएल मीना, अनिल गोठवाल, पूर्व आईएएस जगरूप यादव के नामों की चर्चा थी, लेकिन इनमें से किसी को भी टिकट नहीं मिला था.
कई बने हैं मंत्री-सांसद और विधायक
कई पूर्व अधिकारी मंत्री, सांसद और विधायक भी रह चुके हैं. केंद्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा प्रदेश के सेवानिवृत्त एडीजी पद पर रह चुके हैं. बीकानेर सांसद अर्जुन मेघवाल प्रशासनिक अधिकारी रह चुके हैं. नागौर से चुनाव लड़ चुके मूलचंद आर्य भी प्रशासनिक अधिकारी रहे हैं. इसी तरह नागौर सांसद भंवर डांगावास उच्च पद पर सेवा दे चुके हैं. पूर्व उपराष्ट्रपति के दामाद और विद्याधर नगर से तीसरी बार विधायक नरपत सिंह राजवी राजस्थान अकाउंट सर्विस से आते हैं. आईपीएस रामनारायण बैरवा, शिक्षक नेता शुभाष गर्ग, इंजीनियर, मुरारी लाल मीणा, बीएसएनएल की नोकरी छोड़ गजराज खटाना भी चुनाव लड़ा और जीते.
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आईआरएस की नौकरी छोड़ ओमप्रकाश हुड़ला दौसा जिले की महवा को हॉट सीट से चुनाव जीते. पूर्व आईएएस ओपी सैनी बीजेपी से करोली से चुनाव लड़े, पिलानी विधानसभा सीट से पूर्व आईपीएस जेपी चंदेलिया कोंग्रेस से विधायक बने. पूर्व आईपीएस रामनारायण बैरवा टोंक निवाई, आरएएस देवकीनंदन भरतपुर, आरएएस राजाराम गोदारा, पीएचडी अधिकारी पीआर पन्नू, पूर्व आईएएस एनके बैरवा, आईएएस महेंद्र सिंह भरतपुर, आईएएस हनुमान प्रसाद , कर्नल राज्यवर्द्धन सिंह, कर्नल सोनाराम, मानवेंद्रसिंह और जसवंत सिंह भी सेना में अधिकारी रह चुके हैं. इतना ही नही कर्मचारी नेताओं में उदयसिंह राठौड़ कोंग्रेस बनीपार्क जयपुर से तो शिव किशोर सनाढ्य बीजेपी उदयपुर से विधायक रह चुके हैं. देश के उपराष्ट्रपति और प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे भूतपूर्व भैरोसिंह शेखावत पुलिस की नौकरी छोड़ राजनीति में सफल पारी खेली है.
मैदान में उतरने का कारण
नौकरशाहों और कर्मचारियों के चुनाव मैदान में उतरने का सबसे अहम कारण उनका जनता से जुड़ाव और शिक्षित होना है. यही वजह है कि प्रशासनिक, पुलिस और अन्य क्षेत्र से जुड़े नौकरशाह राजनीति में भाग्य आजमाने में ज्यादा रुचि दिखाने लगे हैं. हालांकि अब तक के अनुभव के आधार पर अधिकांश नौकरशाह सफल राजनीतिक साबित नहीं होते, क्योंकि ये जनता में घुल-मिल पाने में दिक्कत महसूस करते हैं. फिर भी ये पूर्व नौकरशाह पूरी दमखम के साथ पार्टियों के टिकट के लिए ताल ठोंक रहे हैं.