ETV Bharat / city

Crime record: आंकड़ों में राहत, लेकिन वस्तु स्थिति भयावह...! एक रिपोर्ट - राजस्थान क्राइम रिकॉर्ड

मानव तस्करी और बाल श्रम के कलंक से जूझ रहे राजस्थान के लिए साल 2018 के एनसीआरबी यानि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकडे काफी राहत देने वाले हैं. देश में बिहार और पश्चिम बंगाल के बाद बाल तस्करी हो या मानव तस्करी, यहां तक की बाल श्रम के दर्ज मामलों में राजस्थान कभी दूसरे तो कभी तीसरे पायदान पर बना रहा. लेकिन पिछले तीन साल के आंकड़ों पर नजर डाले तो राजस्थान ने अपनी इस धूमिल होती छवि को सुधारा है.

jaipur news  report on crime records  country including rajasthan  crime records of the country including rajasthan  crime news
मानव तस्करी और बाल श्रम के कलंक से जूझ रहे राजस्थान को राहत
author img

By

Published : Feb 10, 2020, 11:52 PM IST

Updated : Feb 11, 2020, 4:21 PM IST

जयपुर. वैसे तो राजस्थान अपनी कला, संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए विश्व के मानचित्र पर अपनी एक अलग पहचान रखता है. लेकिन पिछले कुछ साल में मानव तस्करी, बाल श्रम और बाल तस्करी को लेकर मरुधरा के आंचल में काला धब्बा लगा हुआ था. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों में प्रदेश का स्थान पहले, दूसरे या तीसरे नंबर पर आने लगा था. लेकिन पिछले तीन साल के आंकड़ों से प्रदेश की इस धूमिल होती छवि में कुछ सुधार हुआ है.

मानव तस्करी की बात करें तो साल 2016 में पश्चिम बंगाल के बाद राजस्थान दूसरे स्थान पर पहुंच गया था. लेकिन साल 2017 में इसमें कुछ सुधार हुआ. ऐसे में झारखण्ड, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के बाद चौथे स्थान पहुंचने में कामयाब रहा. साल 2018 में राजस्थान नौंवे स्थान पर पहुंच इस काले धब्बे को कुछ साफ किया. हालांकि अभी साल 2019 के आंकड़े आना बाकी है.

मानव तस्करी और बाल श्रम के कलंक से जूझ रहे राजस्थान को राहत

यह भी पढ़ेंः Special: इस संभाग में 29 फीसदी बिजली पर लगता है 'चूना', यह शहर बिजली चोरी में अव्वल

इसी तरह से बाल श्रम की बात करें तो साल 2016 में महाराष्ट्र, कर्नाटक के बाद राजस्थान बाल श्रम में तीसरे नंबर पर रहा. इसी तरह से साल 2017 महाराष्ट्र के बाद राजस्थान दूसरे नंबर पर रहा. लेकिन साल 2018 में राजस्थान ने अपनी स्थति में सुधार किया और तेलंगाना, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और आसाम के बाद राजस्थान छठवें स्थान पर रहा. वहीं बात बाल तस्करी की बात करें तो इस मामले में साल 2016 से 2018 के आंकड़ों में राजस्थान हमेशा टॉप 10 से बाहर ही रहा.

मानव तस्करी के आंकड़ों पर एक नजर...

  • साल 2016 में पश्चिम बंगाल में 3 हजार 579 मामले दर्ज किये गए, जबकि राजस्थान में 1 हजार 422 मामले दर्ज हुए
  • साल 2017 में झारखण्ड में 373, पश्चिम बंगाल में 357, तेलंगाना में 329 और राजस्थान में 316 मामले दर्ज हुए
  • साल 2018 में झारखण्ड में 273, महाराष्ट्र में 311, पश्चिम बंगाल में 272, आसाम में 262, आंध्र प्रदेश में 240, बिहार में 127, केरला में 105, दिल्ली में 98 और राजस्थान 86 में मामले दर्ज हुए

बाल श्रम के आंकड़े कुछ यूं रहे...

  • साल 2016 में महाराष्ट्र में 93, कर्नाटक में 23 और राजस्थान में 21 मामले दर्ज हुए
  • साल 2017 में महाराष्ट्र में 130 और राजस्थान में 99 मामले दर्ज हुए
  • साल 2018 में तेलंगाना में 125, महाराष्ट्र में 90, कर्नाटक में 63, आसाम में 39, गुजरात में 35 और राजस्थान में 32 मामले दर्ज हुए

बाल तस्करी के मामले...

  • राजस्थान पिछले तीन साल यानि 2016 से 2018 के एनसीआरबी के आंकड़ों में टॉप 10 से बाहर रहा

ये तो एनसीआरबी के आंकडे हैं, लेकिन खास बात ये है कि प्रदेश में यानि राजस्थान अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों में अभी तक मानव तस्करी, बाल श्रम और बाल तस्करी को अलग से डिफाइन ही नहीं किया गया. मतलब जिस तरह से एनसीआरबी मानव तस्करी, बाल श्रम और बाल तस्करी का अलग से कॉलम रखकर आंकड़े जारी करता है. लेकिन आरसीआरबी के आंकड़ों में इन तीनों का अलग से कोई कॉलम नहीं बनाया गया, जिससे ये आंकड़े निकालना बड़ा मुश्किल होता है कि प्रदेश मानव तस्करी और बाल श्रम की क्या स्थति है.

यह भी पढ़ेंः झोलाछाप डॉक्टरों पर लगेगी लगाम, सरकार गंभीर : CM अशोक गहलोत

बहरहाल एनसीआरबी के साल 2016 से 2018 के आंकड़ों में राजस्थान ने अपनी छवि में सुधरा किया है. अब साल 2019 के आंकड़े आना बाकी है. लेकिन एक निजी सर्वे की बात करें तो प्रदेश में 10 हजार से अधिक बाल श्रम और इतने ही बाल तस्करी के मामले राजस्थान में हर साल होते हैं. वहीं एक हजार से अधिक मानव तस्करी, लेकिन प्रदेश में इन मामलों को अन्य मामले के कॉलम में जोड़ा जाता है, जिससे वास्तविक आंकड़े सामने नहीं आते.

जयपुर. वैसे तो राजस्थान अपनी कला, संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए विश्व के मानचित्र पर अपनी एक अलग पहचान रखता है. लेकिन पिछले कुछ साल में मानव तस्करी, बाल श्रम और बाल तस्करी को लेकर मरुधरा के आंचल में काला धब्बा लगा हुआ था. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों में प्रदेश का स्थान पहले, दूसरे या तीसरे नंबर पर आने लगा था. लेकिन पिछले तीन साल के आंकड़ों से प्रदेश की इस धूमिल होती छवि में कुछ सुधार हुआ है.

मानव तस्करी की बात करें तो साल 2016 में पश्चिम बंगाल के बाद राजस्थान दूसरे स्थान पर पहुंच गया था. लेकिन साल 2017 में इसमें कुछ सुधार हुआ. ऐसे में झारखण्ड, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के बाद चौथे स्थान पहुंचने में कामयाब रहा. साल 2018 में राजस्थान नौंवे स्थान पर पहुंच इस काले धब्बे को कुछ साफ किया. हालांकि अभी साल 2019 के आंकड़े आना बाकी है.

मानव तस्करी और बाल श्रम के कलंक से जूझ रहे राजस्थान को राहत

यह भी पढ़ेंः Special: इस संभाग में 29 फीसदी बिजली पर लगता है 'चूना', यह शहर बिजली चोरी में अव्वल

इसी तरह से बाल श्रम की बात करें तो साल 2016 में महाराष्ट्र, कर्नाटक के बाद राजस्थान बाल श्रम में तीसरे नंबर पर रहा. इसी तरह से साल 2017 महाराष्ट्र के बाद राजस्थान दूसरे नंबर पर रहा. लेकिन साल 2018 में राजस्थान ने अपनी स्थति में सुधार किया और तेलंगाना, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और आसाम के बाद राजस्थान छठवें स्थान पर रहा. वहीं बात बाल तस्करी की बात करें तो इस मामले में साल 2016 से 2018 के आंकड़ों में राजस्थान हमेशा टॉप 10 से बाहर ही रहा.

मानव तस्करी के आंकड़ों पर एक नजर...

  • साल 2016 में पश्चिम बंगाल में 3 हजार 579 मामले दर्ज किये गए, जबकि राजस्थान में 1 हजार 422 मामले दर्ज हुए
  • साल 2017 में झारखण्ड में 373, पश्चिम बंगाल में 357, तेलंगाना में 329 और राजस्थान में 316 मामले दर्ज हुए
  • साल 2018 में झारखण्ड में 273, महाराष्ट्र में 311, पश्चिम बंगाल में 272, आसाम में 262, आंध्र प्रदेश में 240, बिहार में 127, केरला में 105, दिल्ली में 98 और राजस्थान 86 में मामले दर्ज हुए

बाल श्रम के आंकड़े कुछ यूं रहे...

  • साल 2016 में महाराष्ट्र में 93, कर्नाटक में 23 और राजस्थान में 21 मामले दर्ज हुए
  • साल 2017 में महाराष्ट्र में 130 और राजस्थान में 99 मामले दर्ज हुए
  • साल 2018 में तेलंगाना में 125, महाराष्ट्र में 90, कर्नाटक में 63, आसाम में 39, गुजरात में 35 और राजस्थान में 32 मामले दर्ज हुए

बाल तस्करी के मामले...

  • राजस्थान पिछले तीन साल यानि 2016 से 2018 के एनसीआरबी के आंकड़ों में टॉप 10 से बाहर रहा

ये तो एनसीआरबी के आंकडे हैं, लेकिन खास बात ये है कि प्रदेश में यानि राजस्थान अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों में अभी तक मानव तस्करी, बाल श्रम और बाल तस्करी को अलग से डिफाइन ही नहीं किया गया. मतलब जिस तरह से एनसीआरबी मानव तस्करी, बाल श्रम और बाल तस्करी का अलग से कॉलम रखकर आंकड़े जारी करता है. लेकिन आरसीआरबी के आंकड़ों में इन तीनों का अलग से कोई कॉलम नहीं बनाया गया, जिससे ये आंकड़े निकालना बड़ा मुश्किल होता है कि प्रदेश मानव तस्करी और बाल श्रम की क्या स्थति है.

यह भी पढ़ेंः झोलाछाप डॉक्टरों पर लगेगी लगाम, सरकार गंभीर : CM अशोक गहलोत

बहरहाल एनसीआरबी के साल 2016 से 2018 के आंकड़ों में राजस्थान ने अपनी छवि में सुधरा किया है. अब साल 2019 के आंकड़े आना बाकी है. लेकिन एक निजी सर्वे की बात करें तो प्रदेश में 10 हजार से अधिक बाल श्रम और इतने ही बाल तस्करी के मामले राजस्थान में हर साल होते हैं. वहीं एक हजार से अधिक मानव तस्करी, लेकिन प्रदेश में इन मामलों को अन्य मामले के कॉलम में जोड़ा जाता है, जिससे वास्तविक आंकड़े सामने नहीं आते.

Intro:
आंकड़ों में राहत ... लेकिन वस्तुस्थिति भयावह !

एंकर:- मानव तस्करी और बाल श्रम के कलंक से जूझ रहे राजस्थान के लिए वर्ष 2018 के एनसीआरबी यानि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकडे काफी राहत देने वाले है , देश में बिहार और पश्चिम बंगाल के बाद बाल तस्करी हो या मानव तस्करी यहाँ तक की बाल श्रम के दर्ज प्रकरणों में राजस्थान कभी दूसरे तो कभी तीसरा पायदान पर बना रहा , लेकिन पिछले तीन वर्षों के आंकड़ों पर नजर डाले तो राजस्थान ने अपनी इस धूमिल होती छवि को सुधारा है ...
VO:1:- वैसे तो राजस्थान अपनी कला संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहर के लिए विश्व के मान चित्र पर अपनी एक अलग पहचान रखता है , लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मानव तस्करी , बाल श्रम और बाल तस्करी को लेकर मरुधरा के आँचल में काला धब्बा लगा हुआ था , राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों में प्रदेश का स्थान पहले , दूसरे या तीसरे नंबर पर आने लगा था , लेकिन पिछले तीन वर्षों के आंकड़ों ने प्रदेश की इस धूमिल होती छवि में कुछ सुधार हुआ है , बात सबसे पहले मानव तस्करी की करे तो वर्ष 2016 पश्चिम बंगाल के बाद राजस्थान दूसरे स्थान पर पहुँच गया था , लेकिन वर्ष 2017 में इसमें कुछ सुधार हुआ और झारखण्ड , तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के बाद चौथे स्थान पहुँचने में कामयाब रहा , वहीँ 2018 में राजस्थान नवे स्थान पर पहुँच इस काले धब्बे को कुछ साफ़ किया , हालाँकि अभी वर्ष 2019 के आंकड़े आना बाकी है , इसी तरहं से बाल श्रम की बात करे तो वर्ष 2016 में महाराष्ट्र , कर्नाटक के बाद राजस्थान बाल श्रम में तीसरे नंबर पर रहा , इसी तरहं से 2017 महारष्ट्र के बाद राजस्थान दूसरे नंबर पर रहा , लेकिन वर्ष 2018 में राजस्थान ने अपनी स्थति में सुधार किया और तेलंगाना , महाराष्ट्र , कर्नाटक , गुजरात , आसाम के बाद राजस्थान छठे स्थान पर रहा , वही बात बाल तस्करी की बात करे तो इस मामले में वर्ष 2016 से 2018 के आंकड़ों में राजस्थान हमेसा टॉप 10 से बहार रहा ,

ग्राफिक्स इन >
मानव तस्करी के आंकड़े -
- वर्ष 2016 में पश्चिम बंगाल में 3579 मामले दर्ज किये गए जबकि राजस्थान में 1422 मामले दर्ज हुए
- वर्ष 2017 में झारखण्ड में 373 , पश्चिम बंगाल में 357 और तेलंगाना में 329 , राजस्थान में 316 मामले दर्ज हुए
- वर्ष 2018 में झारखण्ड में 273 , महाराष्ट्र में 311 , पश्चिम बंगाल में 272 , आसाम में 262 , आंध्रप्रदेश में 240, बिहार में 127 , केरला में 105 , दिल्ली में 98 और राजस्थान 86 में मामले दर्ज हुए

बाल श्रम के आंकड़े -
- वर्ष 2016 में महाराष्ट्र में 93 , कर्णाटक में 23 और राजस्थान में 21 मामले दर्ज हुए
- वर्ष 2017 में महाराष्ट्र में 130 , और राजस्थान में 99 मामले दर्ज हुए
- वर्ष 2018 में तेलंगाना में 125 , महाराष्ट्र में 90 , कर्णाटक 63 , आसाम 39 गुजरात 35 राजस्थान 32 मामले दर्ज हुए

बाल तस्करी -
- राजस्थान पिछले तीन साल यानि 2016 से 2018 के एनसीआरबी के आंकड़ों में टॉप 10 से बहार ही रहा

बाइट :- विजय गोयल - सामाजिक कार्यकर्ता

VO:2:- ये तो एनसीआरबी यानि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकडे है , लेकिन ख़ास बात ये है कि प्रदेश में यानि राजस्थान अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों में अभी तक मानव तस्करी , बाल श्रम और बाल तस्करी को अलग से डिफाइन ही नहीं किया गया , मतलब जिस तरहं से एनसीआरबी मानव तस्करी , बाल श्रम और बाल तस्करी का अलग से कॉलम रखा कर आंकड़े जारी करता है , लेकिन आरसीआरबी के आंकड़ों में इन तीनों का अलग से कोई कॉलम नहीं बनाया गया जिससे ये आंकड़े निकालना बड़ा मुश्किल होता है कि प्रदेश मानव तस्करी और बाल श्रम की क्या स्थति है ,

मीड पीटीसी -जसवंत सिंह

VO:3:- बहरहाल एनसीआरबी के वर्ष 2016 से 2018 के ये आंकड़े है , जिनमे राजस्थान ने अपनी छवि में सुधरा किया है , अब वर्ष 2019 के आंकड़े आना बाकी है , लेकिन एक निजी सर्वे की बात करे तो प्रदेश में 10 हजार से अधिक बालश्रम और इतने ही बाल तस्करी के मामले राजस्थान में हर वर्ष होते है , वहीँ एक हजार से अधिक मानव तस्करी , लेकिन प्रदेश में इन मामलों को अन्य मामले के कॉलम में जोड़ा जाता है , जिससे वास्तविक आंकड़े सामने नहीं आते ,

> जयपुर से Etv भारत के लिए जसवंत सिंह की रिपोर्ट Body:ViConclusion:Vo
Last Updated : Feb 11, 2020, 4:21 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.