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गुलाबी नगरी में छोटी चौपड़ को गोल किए जाने का विरोध, दोबारा चौकोर करने की उठी मांग

गुलाबी नगरी में स्थित छोटी चौपड़ को गोल किए जाने का विरोध अब तेज हो रहा है. ईटीवी भारत पर खबर प्रसारित होने के बाद विभिन्न सामाजिक संगठन, व्यापारिक संगठन और बीजेपी ने भी इसका विरोध किया है. साथ ही चौपड़ को दोबारा चौकोर नहीं किए जाने पर आंदोलन की चेतावनी दी है.

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छोटी चौपड़ को गोल किए जाने का विरोध शुरू
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Published : Feb 7, 2020, 1:44 PM IST

जयपुर. हाल ही में जयपुर को विश्व विरासत शहर का सर्टिफिकेट मिला. लेकिन जयपुर की इसी विरासत को खत्म किया जा रहा है. जयपुर की जिन चौपड़ों को आधार बनाकर यूनेस्को के सामने प्रेजेंटेशन दिया गया था. उनमें अब महज एक रामगंज चौपड़ ही बची है. मेट्रो के निर्माण कार्य में छोटी चौपड़ को गोल किया जा रहा है. वहीं बड़ी चौपड़ पर भी यही स्वरूप देने की प्लानिंग है.

छोटी चौपड़ को गोल किए जाने का विरोध शुरू

हालांकि इन चौपड़ों को चौकोर से गोल किए जाने के विरोध में अब विभिन्न सामाजिक संगठन, व्यापारिक संगठन और बीजेपी भी विरोध कर रही है. इसे लेकर जहां बीजेपी ने आंदोलन की चेतावनी दी है. वहीं क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि हैं चौपड़ का अर्थ ही चौकोर से है. लेकिन यहां इसका स्वरूप बदलकर 25 फुट तक गोलाई में निर्माण किया गया है, जो यातायात को भी प्रभावित करेगा.

यह भी पढ़ेंः बजट से आस: रिवरफ्रंट की 1 साल में केवल DPR, टेंडर स्वीकृति भी सरकार के पाले में

यही नहीं भविष्य में यहां पर अतिक्रमण होने की भी आशंका है. लोगों ने कहा कि मेट्रो प्रशासन धरोहर का स्वरूप नष्ट करने का काम कर रही है. ऐसे में इसे तुरंत रोका जाना चाहिए. वहीं व्यापारिक संगठनों ने कहा कि मेट्रो के काम से पहले व्यापार प्रभावित हुआ, पुराने खंदों को खत्म किया गया और अब चौपड़ से छेड़छाड़ की जा रही है. जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.

चूंकि, चौपड़ जयपुर की विरासत का एक अभिन्न अंग है. ऐसे में इसका मूल स्वरूप बरकरार रखना चाहिए. इस संबंध में मुख्य सचेतक महेश जोशी ने भी मेट्रो प्रशासन और एलएसजी सचिव को पत्र लिखकर इस काम को रोकने और राज्य स्तरीय हेरिटेज कमेटी की बैठक में इसका फैसला लेने को कहा है. बावजूद इसके यहां अभी भी कार्य प्रगति पर है.

जयपुर. हाल ही में जयपुर को विश्व विरासत शहर का सर्टिफिकेट मिला. लेकिन जयपुर की इसी विरासत को खत्म किया जा रहा है. जयपुर की जिन चौपड़ों को आधार बनाकर यूनेस्को के सामने प्रेजेंटेशन दिया गया था. उनमें अब महज एक रामगंज चौपड़ ही बची है. मेट्रो के निर्माण कार्य में छोटी चौपड़ को गोल किया जा रहा है. वहीं बड़ी चौपड़ पर भी यही स्वरूप देने की प्लानिंग है.

छोटी चौपड़ को गोल किए जाने का विरोध शुरू

हालांकि इन चौपड़ों को चौकोर से गोल किए जाने के विरोध में अब विभिन्न सामाजिक संगठन, व्यापारिक संगठन और बीजेपी भी विरोध कर रही है. इसे लेकर जहां बीजेपी ने आंदोलन की चेतावनी दी है. वहीं क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि हैं चौपड़ का अर्थ ही चौकोर से है. लेकिन यहां इसका स्वरूप बदलकर 25 फुट तक गोलाई में निर्माण किया गया है, जो यातायात को भी प्रभावित करेगा.

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यही नहीं भविष्य में यहां पर अतिक्रमण होने की भी आशंका है. लोगों ने कहा कि मेट्रो प्रशासन धरोहर का स्वरूप नष्ट करने का काम कर रही है. ऐसे में इसे तुरंत रोका जाना चाहिए. वहीं व्यापारिक संगठनों ने कहा कि मेट्रो के काम से पहले व्यापार प्रभावित हुआ, पुराने खंदों को खत्म किया गया और अब चौपड़ से छेड़छाड़ की जा रही है. जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.

चूंकि, चौपड़ जयपुर की विरासत का एक अभिन्न अंग है. ऐसे में इसका मूल स्वरूप बरकरार रखना चाहिए. इस संबंध में मुख्य सचेतक महेश जोशी ने भी मेट्रो प्रशासन और एलएसजी सचिव को पत्र लिखकर इस काम को रोकने और राज्य स्तरीय हेरिटेज कमेटी की बैठक में इसका फैसला लेने को कहा है. बावजूद इसके यहां अभी भी कार्य प्रगति पर है.

Intro:जयपुर - छोटी चौपड़ को गोल किए जाने का विरोध अब तेज हुआ है। ईटीवी भारत पर खबर प्रसारित होने के बाद विभिन्न सामाजिक संगठन, व्यापारिक संगठन और बीजेपी ने भी इसका विरोध किया है। साथ ही चौपड़ को दोबारा चौकोर नहीं किए जाने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।


Body:हाल ही में जयपुर को विश्व विरासत शहर का सर्टिफिकेट मिला। लेकिन जयपुर की इसी विरासत को खत्म किया जा रहा है। जयपुर की जिन चौपड़ों को आधार बनाकर यूनेस्को के सामने प्रेजेंटेशन दिया गया था। उनमें अब महज एक रामगंज चौपड़ ही बची है। मेट्रो के निर्माण कार्य में छोटी चौपड़ को गोल किया जा रहा है। वहीं बड़ी चौपड़ पर भी यही स्वरूप देने की प्लानिंग है। हालांकि इन चौपड़ों को चौकोर से गोल किए जाने के विरोध में अब विभिन्न सामाजिक संगठन, व्यापारिक संगठन और बीजेपी भी विरोध कर रही है। इसे लेकर जहां बीजेपी ने आंदोलन की चेतावनी दी है। वहीं क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि हैं चौपड़ का अर्थ ही चौकोर से है। लेकिन यहां इसका स्वरूप बदलकर 25 फुट तक गोलाई में निर्माण किया गया है। जो यातायात को भी प्रभावित करेगा। यही नहीं भविष्य में यहां पर अतिक्रमण होने की भी आशंका है। लोगों ने कहा कि मेट्रो प्रशासन धरोहर का स्वरूप नष्ट करने का काम कर रही है। ऐसे में इसे तुरंत रोका जाना चाहिए। वही व्यापारिक संगठनों ने कहा कि मेट्रो के काम से पहले व्यापार प्रभावित हुआ, पुराने खंदों को खत्म किया गया और अब चौपड़ से छेड़छाड़ की जा रही है। जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।


Conclusion:चूंकि, चौपड़ जयपुर की विरासत का एक अभिन्न अंग है। ऐसे में इसका मूल स्वरूप बरकरार रखना चाहिए। इस संबंध में मुख्य सचेतक महेश जोशी ने भी मेट्रो प्रशासन और एलएसजी सचिव को पत्र लिखकर इस काम को रोकने और राज्य स्तरीय हेरिटेज कमेटी की बैठक में इसका फैसला लेने को कहा है। बावजूद इसके यहां अभी भी कार्य प्रगति पर है।
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