जयपुर. जूलॉजिकल पार्क के चलते लोग वन्यजीवों और उनके जीवन शैली को करीब से भी जान पाते थे. साथ ही पर्यावरण और वन्यजीवों के प्रति सहानुभूति को भी बढ़ावा मिलता है. लेकिन लॉकडाउन के चलते सभी जूलॉजिकल और बायोलॉजिकल पार्क बंद हैं. ऐसे में पर्यटक भी पार्कों में नहीं पहुंच पा रहे. जूलॉजिकल पार्क बंद होने से रेवेन्यू पर भी काफी असर पड़ा है. इससे वन विभाग को करोड़ों का नुकसान हुआ है.
राजधानी जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क की बात करें तो यहां पर लॉकडाउन के चलते पर्यटकों की आवाजाही पूरी तरह से बंद हैं. लॉकडाउन से पहले रोजाना यहां पर कई शोधार्थी, स्कूली बच्चे और अन्य लोग विजिट करने पहुंचते थे और वन्यजीवों की जीवन शैली के साथ ही उनके रहन-सहन संबंधित तमाम जानकारियां जुटाते थे. इससे वन्यजीवों के बारे में लोगों को कई जानकारियां मिलती थी. लेकिन लॉकडाउन होने से यह सब बंद हो चुका है. पार्क बंद होने से रोजाना हजारों रुपए का नुकसान भी हो रहा है.
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नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के एसीएफ जगदीश गुप्ता ने बताया कि लॉकडाउन के चलते नाहरगढ़ पार्क में पर्यटकों की आवाजाही बंद होने से वन्यजीवों की जीवन शैली में भी बदलाव हुआ है. वन्य जीव अपने एंक्लोजर्स में खुले वातावरण का आनंद लेते हैं. किसी प्रकार का मनुष्यों से डिस्टर्ब नहीं होता, जिस तरह से जंगलों में वन्यजीवों को प्राकृतिक वातावरण मिलता है. उसी तरह लॉकडाउन के चलते नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के वन्यजीवों को भी प्राकृतिक वातावरण का एहसास हो रहा है. नाहरगढ़ जैविक उद्यान में वन्यजीवों को पूर्ण रूप से प्राकृतिक आवास मिल रहा है. लॉकडाउन से नाहरगढ़ पार्क में होने वाली लोगों की चहल कदमी नदारद है.
नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में वन्यजीवों को करीब से जानने का मौका मिलता है. स्कूली बच्चे भी यहां पर आते थे, जो वन्यजीवो के बारे में जानते थे. लेकिन अब लॉकडाउन के चलते सब बंद है. वन्य जीव के बारे में ऑनलाइन जानकारी भी उपलब्ध करवाई गई है. लोग ऑनलाइन वन्यजीव को देखकर उनके बारे में जान सकते हैं. एसीएफ जगदीश गुप्ता ने बताया कि लॉकडाउन से नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के रेवेन्यू में भी काफी असर पड़ा है. साल भर में करीब 5.50 लाख पर्यटक नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क पहुंचते हैं. रोजाना का एवरेज अनुमान लगाया जाए तो करीब 2 हजार पर्यटक नाहरगढ़ पार्क पहुंचते हैं. लेकिन लॉकडाउन के चलते पर्यटकों का आवागमन बंद होने से वन विभाग को भी नुकसान हुआ है. आय की बात की जाए तो नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में साल भर की करीब 2.50 से पौने तीन करोड़ रुपए की आय होती है. एक महीने में करीब 22 लाख रुपए की आय होती है. रोजाना की बात की जाए तो करीब 76 हजार रुपये प्रतिदिन की आय होती है.
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लॉकडाउन से इनकम तो बंद हो गई, लेकिन खर्चा वही हो रहे हैं. पहले की तरह ही वन्यजीवों के खानपान संबंधित समस्त व्यवस्थाएं जारी हैं. स्टॉफ को भी सैलरी दी जा रही है. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क को बंद हुए करीब 2 महीने से ज्यादा समय हो चुका है. दो महीने में नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क को करीब 45 लाख रुपए रेवेन्यू का नुकसान हुआ है. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में पहले की तरह ही पूरा खर्चा वहन करना पड़ रहा है. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में स्टाफ और वन्यजीवों समेत सारा खर्चा करीब डेढ़ करोड़ रुपए प्रति वर्ष होता है. एक माह में करीब 12.50 लाख रुपए का खर्चा हो रहा है. एक दिन में करीब 41 हजार रुपये का खर्चा होता है. 2 महीने में करीब 25 लाख रुपए से ज्यादा का खर्च हुआ है.
नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में करीब 34 कर्मचारियों का स्टॉफ काम करता है. कर्मचारी लॉकडाउन में अपनी ड्यूटी पर आ रहे हैं. सभी अपने काम को बखूबी से निभा रहे हैं. केयर टेकर्स वन्यजीवों की देखभाल पहले की तरह कर रहे हैं. पार्क काफी बड़ा है, तीन द्वार है, जहां पर सुरक्षा के लिए वन कर्मचारी अपनी ड्यूटी करते हैं. इसके साथ ही वन्यजीवों की देखभाल समेत विभिन्न जिम्मेदारियां वन कर्मचारी निभा रहे हैं. जो कर्मचारी छुट्टी पर गए थे, वो भी वापस आकर ड्यूटी जॉइन कर चुके हैं.
वन्यजीवों को कोरोना वायरस से बचाने के लिए कई प्रयास
हालांकि कोरोना संक्रमण को देखते हुए सावधानी बरती जा रही है. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में वन्यजीवों की सुरक्षा के साथ ही वन कर्मियों की सुरक्षा के लिए भी विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं. वन्यजीवों को कोरोना वायरस से बचाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में लगातार सेनेटाइजर और सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव किया जा रहा है. वन्यजीव के केयर टेकर को पीपीई किट उपलब्ध करवाए गए हैं. क्योंकि कोरोना संक्रमण का खतरा ज्यादातर इंसानों में फैल रहा है. ऐसे में वन्यजीवों के पास जाने वाले इंसानों से वन्यजीवों को भी संक्रमण का खतरा हो सकता है. इसी को देखते हुए केयर टेकर्स वन्यजीव की देखभाल करते समय पीपीई किट पहनते हैं और वन्यजीवों के एंक्लोजर्स को भी सेनेटाइज किया जा रहा है. साथ ही कर्मचारियों को मास्क और सेनेटाइजर उपलब्ध करवाए गए हैं. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में आने वाले वन कर्मियों का टेंपरेचर गन से स्क्रीनिंग करने के बाद प्रवेश दिया जाता है.
वन्यजीवों के लिए की गई है ये व्यवस्था
नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में वन्यजीवों के लिए विशेष व्यवस्थाए की गई है. वन्यजीवों की डाइट और दिनचर्या में भी बदलाव किया गया है. शाकाहारी वन्यजीवों को ककड़ी, खीरा, तरबूज दिया जाता है. भालू के लिए गर्मी में सत्तू दिया जाता है जो कि ठंडक पैदा करता है. इसके साथ ही भालू को आइसक्रीम भी दी जा रही है. वन्यजीवों को पानी में घोलकर ग्लूकोज भी पिलाई जा रही है, जिससे शरीर में ठंडक बनी रहे. डाइट में बदलाव के साथ ही उनके वातावरण में भी परिवर्तन किया गया है. एंक्लोजर में डक्टिंग, कूलर और फव्वारें लगाए गए हैं. जिससे वन्यजीवों को गर्मी से बचाया जा सके. डक्टिंग और कूलर से टेंपरेचर कम होगा और वन्यजीवों को ठंडा वातावरण भी मिलेगा. जिससे गर्मी का दुष्प्रभाव वन्यजीवों पर नहीं पड़ेगा. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में ओपन एरिया के लिए सेल्टरों पर डक्टिंग सिस्टम की व्यवस्था की गई है, जिससे सेल्टरों से पानी टपकता रहेगा और मिट्टी में नमी बनी रहेगी. वन्यजीव गर्मी में ठंडे मौसम जैसा माहौल महसूस कर सकेंगे. पेड़-पौधों की ग्रोथ और नमी बनाए रखने के लिए फव्वारे चलाए जा रहे हैं. वन्यजीवों के एंक्लोजर में रेनगन भी लगाई गई है. जिससे ठंडा मौसम बना रहेगा और आसपास में घास भी विकसित होगी. बारिश के मौसम का अनुभव महसूस होगा. अधिकारी लगातार वन्यजीवों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. वन्यजीवों को समय पर डाइटिंग दी जा रही है. पशु चिकित्सक भी लगातार वन्यजीवों की सेहत का ख्याल रख रहे हैं. जरूरत पड़ने पर आवश्यक मेडिसिन भी दी जाती है.
क्या कहा डॉक्टर ने?
नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के वन्यजीव चिकित्सक डॉक्टर अशोक तंवर ने बताया कि नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में 26 प्रजातियों के करीब 160 वन्यजीव मौजूद हैं. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में 6 लॉयन हैं, जिसमें दो मादा और चार नर हैं. 5 टाइगर हैं, टाइगर्स में 3 नर और 2 मादा हैं. 6 पैंथर है, जिनमें 3 नर और 3 मादा हैं. गर्मी के मौसम को देखते हुए वन्यजीवों को गर्मी से बचाने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं. डक्टिंग, कुलर, वॉटर गन लगाकर और नदियों को गर्मी से राहत दी जा रही है. शाकाहारी वन्यजीवों को तरबूज खिलाया जा रहा है, जिससे ठंडक महसूस हो सके. इसके अलावा लॉयन, टाइगर, पैंथर, भालू, वुल्फ, जैकाल और हाइना को ग्लूकोस और इलेक्ट्रॉल पाउडर दिया जा रहा है. भालू को रोजाना फ्रूट आइसक्रीम खिलाई जा रही है. साथ ही गुड़िया खांड, शक्कर और सत्तू भी दिया जा रहा है. यह वन्यजीवों का मेटिंग सीजन होता है. इसलिए इनको एक्स्ट्रा खुराक भी दी जाती है.
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नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में वन्यजीवों की देखभाल करने वाले केयरटेकर राजकुमार ने बताया कि तेज गर्मी पड़ना शुरू हो गई है. ऐसे में वन्य जीव की देखभाल का विशेष ख्याल रखा जा रहा है. वन्यजीवों की सुरक्षा के साथ स्वयं की सुरक्षा का भी ध्यान रख रहे हैं. वन्यजीवों के पास भोजन डालने के लिए जाने से पहले पीपीई किट पहनते हैं. उसके बाद ही सेनेटाइज होकर वन्यजीवों के पास जाते हैं, ताकि कोरोना संक्रमण से बचाव हो सके. हालांकि गर्मी में थोड़ी परेशानियों का सामना जरूर करना पड़ता है, लेकिन फिर भी अपनी जिम्मेदारी को बखूबी से निभा रहे हैं. लॉकडाउन के दौरान सैलरी भी समय पर मिल रही है.