जयपुर. राजधानी में लॉक डाउन के दौरान Etv Bharat की टीम ने शहर के हालात का जायजा लिया. इस बीच वैशाली नगर इलाके में कचरा बीनने वाले बच्चे दो वक्त की रोटी के लिए सड़कों पर जद्दोजहद करते नजर आए. इन बच्चों को कोरोना के खतरे का एहसास तो था, लेकिन इस बात की समझ नहीं थी कि उनका यूं सड़कों पर आना उनकी जान पर खतरा बन सकता है.
ऐसे में जब हमारे संवाददाता ने इन बच्चों से बातचीत करने की कोशिश की तो शुरुआत में आनाकानी के बाद इन मासूमों ने बताया कि एक रिक्शा भरकर कचरा ले जाने पर इनको रोजाना करीब 200 से 250 रुपए के करीब मिल जाता है. जो कि इनके गुजारे के लिए काफी है. उनसे पूछा गया कि क्या इस बीमारी के बारे में आपको बताने के लिए कोई पहुंचा तो मासूमियत से सिर हिलाने के सिवा इनके पास भी कोई चारा नहीं था.
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जब संवाददाता ने बताया कि सरकार गुजारे भत्ते के लिहाज से लगभग एक हजार रुपए का भुगतान आपको करने वाली है. इनमें से एक मासूम ने कहा कि हां पता है, आधार कार्ड और पेन कार्ड दिखाने पर हमें अनाज मिल जाता है. वहीं सूरज ने बताया कि वह नाले के पास एक कच्ची बस्ती में रहता है और उनका रूटीन लॉक डाउन के बीच भी वैसे ही है. बल्कि लॉक डाउन के बीच अब कचरा और उससे प्लास्टिक कुछ ज्यादा मिल जाता है. क्योंकि नगर निगम की गाड़ी वक्त पर नहीं पहुंचने के कारण लोग घरों के आसपास ही कचरा डालने लगे हैं.
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जहां एक तरफ नाकाबंदी के बीच लॉक डाउन को सख्ती से लागू कराने के लिए जयपुर के पुलिस कर्मी सड़कों पर थे. वहीं एक तस्वीर यह भी है कि कुछ मासूम शाम की रोटी के जुगाड़ में कोरोना के खतरे को नजर अंदाज कर सड़कों पर कचरा बिनते हुए देखे गए. जिन्हें न नसीहत की फिक्र थी और न ही संक्रमण की चिंता. बस एक बात थी कि कचरा बिका तो शाम को घर पर रोटी जरूर मिल जाएगी.