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प्रोटोकॉल को लेकर मंत्री धारीवाल की दो टूक, कहा- Protocol का उल्लंघन करने पर होगी कार्रवाई

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Published : Feb 25, 2020, 7:04 PM IST

सदन में विधायकों के प्रोटोकॉल को लेकर सरकार ने अपने वक्तव्य में माना कि जन प्रतिनिधियों के प्रोटोकॉल में हो रहा है उल्लंघन. नेता प्रतिपक्ष बोले जहाजपुर एमएलए तो ग्राम सभा में नहीं जाने दिए, जिसके चलते वह विधायक दल की बैठक में रो पड़े. राठौड़ ने कहा मैंने जिस अंबेडकर भवन का उद्घाटन किया, उसकी पट्टी तोड़कर दोबारा उद्घाटन की बात की जा रही है. सभापति राजेंद्र पारीक ने कहा मामला गंभीर है, जिस भी विधायक के प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ है, वह स्पीकर के सामने रखें अपनी बात.

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राजस्थान विधानसभा में विधायकों के प्रोटोकॉल का उठा मुद्दा...

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को विधायकों के प्रोटोकॉल पर सरकार की ओर से मंत्री शांति धारीवाल ने वक्तव्य दिया. जिसमें उन्होंने स्वीकार किया कि जन प्रतिनिधियों के प्रोटोकॉल का उल्लंघन अधिकारी कर रहे हैं, जो गंभीर बात है. ऐसे अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.

राजस्थान विधानसभा में विधायकों के प्रोटोकॉल का उठा मुद्दा...

धारीवाल ने कहा कि यदि राजकीय धनराशि से निर्मित होने वाले राजकीय भवनों के शिलान्यास अन्य राजकीय समारोह जो राजकीय राशि से हुए हों. वह चाहे बोर्ड स्वायत्तशासी संस्थाओं के ही हों, इसमें जन प्रतिनिधियों चाहे सांसद, विधायक मेयर जिला प्रमुख विशेष तौर पर क्षेत्र से जुड़े जनप्रतिनिधि को आमंत्रित करना जरूरी होगा. लेकिन लगातार यह देखने को मिल रहा है कि अधिकारियों द्वारा इन परिपत्रों और निर्देशों के पालन में अवहेलना की जा रही है.

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यह परिपत्र साल 1995, 2007 और 2018 में जारी किए गए. इसमें 10 बिंदु हैं, जिसमें राजकीय भवनों के उद्घाटन के राजकीय समारोह जन प्रतिनिधियों को कार्यक्रम स्थल पर आमंत्रित किया जाना, तीव्र संसाधनों से सूचना भेजा जाना और इसकी पुष्टि करना, जन प्रतिनिधियों को सम्मान बैठाया जाना, उचित जवाब देना, अधिकारी लोकार्पण न करें न ही उनका नाम शिलालेख में लिखा जाए, वह कोई आश्वासन भी न दें, अधिकारियों के नाम पर परियोजना के नाम न होना, अधिकारी साफा और माला कार्यक्रम में न पहने. इन 10 बिंदुओं की अवहेलना पर सिविल सेवा आचरण नियम उल्लंघन मानकर अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी. इसके लिए सभी जगह अधिकारियों को निर्देश भी दिए गए हैं.

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इस मामले पर बोलते हुए उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने यह व्यवस्था दी थी कि अगर किसी जनप्रतिनिधि का सम्मान में हो तो ऐसा करने वाले अधिकारियों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला भी बनता है, नियम पहले से ही बने हुए हैं. शासन की अदला-बदली प्रदेश में होती है, मैं 7 बार से जीत रहा हूं और एक आयुष औषधालय का उद्घाटन मैंने किया. इसके बाद मेरे सामने हारने वाले नेता ने कहा कि मैं इसका दोबारा उद्घाटन करूंगा. यह घटना एक नहीं है यह कई बार हो चुकी है. प्रदेश में यह घटना आम है, प्रोटोकॉल की जो लिस्ट निकाली गई है, उसमें चीफ सेक्रेट्री से विधायकों को ऊपर रखा जाता है. लेकिन हमारे साथ हो क्या रहा है. जहाजपुर में तो विधायक गोपीचंद मीना को ग्राम सभा में भी नहीं जाने दिया गया. यह पीड़ा सभी विधायकों के मन में है, जिम्मेदारी से मैं यह कह रहा हूं कि समय का चक्र घूम रहा है और अगर आप चाहते हो कि आगे आने वाले समय में हम भी आपके साथ ऐसा ही बर्ताव करें, तो इसके लिए ब्यूरोक्रेसी के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी.

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राठौड़ ने कहा कि ब्यूरोक्रेट को आप सर पर नचा रहे हो, यह आपको भी डसेंगे और हमें भी डसेंगे. ऐसे गैर जिम्मेदार अधिकारी जो प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हैं, उनके खिलाफ विशेषाधिकार का हनन मामला लाया जाए तभी यह सुधरेंगे. इसके बाद सदन में हंगामा हो गया. किसी तरह मामला शांत करने के बाद नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि मामला गंभीर है. यह सिर्फ पक्ष और विपक्ष की बात नहीं है. जन प्रतिनिधि आप भी हैं और हम भी हैं. इस मामले में कई बार निर्देश जारी हो चुके हैं. चर्चा होती है, लेकिन चर्चा इसका समाधान नहीं है. मैं चाहता हूं कि कि जिस अधिकारी की उपस्थिति में प्रोटोकॉल उल्लंघन की बात हुई. उसके खिलाफ जांच की जाए और उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. यदि अधिकारियों को दंड नहीं दिया जाएगा तो यह चर्चा निरर्थक ही रहेगी और उस पर कार्रवाई होगी तो मामला सही होगा.

यह भी पढ़ेंः सदन में ठंड से किसान की मौत के मामले में मचा बवाल, कटारिया-जोशी में तीखी नोकझोंक

कटारिया ने कहा कि जहाजपुर में तो विधायक गोपीचंद के साथ हाथापाई की स्थिति भी आ गई. इसके बाद उन्होंने सभापति राजेंद्र पारीक की ओर इशारा करते हुए कहा कि लोकतंत्र के आसन पर आप बैठे हैं तो यह आसन की भी जिम्मेदारी है कि आप इसकी पुख्ता व्यवस्था करें और जो प्रोटोकॉल उल्लंघन का काम हुआ है, उसकी जांच करवाई जाए. इस पर जहाजपुर के सदस्य को बात बोलने के लिए भाजपा नेताओं ने सभापति से अपील की, जिसे सभापति राजेंद्र पारीक ने अलाउड नहीं किया. उन्होंने कहा कि यह गंभीर मामला है लेकिन इस पर शाम तक चर्चा नहीं हो सकती है. मैं भी इस मामले में सहमत हूं कि यह मामला गंभीर है. अगर किसी भी विधायक के साथ इस तरह की घटना हुई है तो वह अध्यक्ष को अपनी बात भेज दें और मैं मंत्री को भी यह निर्देशित करता हूं कि ऐसे मामलों पर कार्रवाई की जाए. इसके बाद नेता प्रतिपक्ष गुलाब कटारिया ने फिर कहा कि जहाजपुर के विधायक हमारी बैठक मैं अपनी बात रखते हुए रोने तक लगे थे. उनकी बात तो कम से कम सदन में सुनी जाए. लेकिन सभापति ने इसकी इजाजत नहीं दी.

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इस पर धारीवाल ने एक बार फिर खड़े होते हुए कहा कि परिपत्र पहले भी निकल चुके हैं. पहले साल 2018 के परिपत्र में केवल 2 बिंदु थे, अब हमारी सरकार में बने परिपत्र में 10 बिंदु हैं. वहीं मंडलिया की बात रखने पर राजेंद्र राठौड़ को धारीवाल ने कहा कि अगर कोई आदमी कुछ भी कह दे तो इसमें वह क्या कर सकते हैं. इस पर एक बार फिर सदन में हंगामा हुआ और भाजपा विधायक वेल में आ गए और हंगामा करने लगे. इस मामले में हंगामे के बीच सभापति राजेंद्र पारीक ने चर्चा समाप्त कर दी.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को विधायकों के प्रोटोकॉल पर सरकार की ओर से मंत्री शांति धारीवाल ने वक्तव्य दिया. जिसमें उन्होंने स्वीकार किया कि जन प्रतिनिधियों के प्रोटोकॉल का उल्लंघन अधिकारी कर रहे हैं, जो गंभीर बात है. ऐसे अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.

राजस्थान विधानसभा में विधायकों के प्रोटोकॉल का उठा मुद्दा...

धारीवाल ने कहा कि यदि राजकीय धनराशि से निर्मित होने वाले राजकीय भवनों के शिलान्यास अन्य राजकीय समारोह जो राजकीय राशि से हुए हों. वह चाहे बोर्ड स्वायत्तशासी संस्थाओं के ही हों, इसमें जन प्रतिनिधियों चाहे सांसद, विधायक मेयर जिला प्रमुख विशेष तौर पर क्षेत्र से जुड़े जनप्रतिनिधि को आमंत्रित करना जरूरी होगा. लेकिन लगातार यह देखने को मिल रहा है कि अधिकारियों द्वारा इन परिपत्रों और निर्देशों के पालन में अवहेलना की जा रही है.

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यह परिपत्र साल 1995, 2007 और 2018 में जारी किए गए. इसमें 10 बिंदु हैं, जिसमें राजकीय भवनों के उद्घाटन के राजकीय समारोह जन प्रतिनिधियों को कार्यक्रम स्थल पर आमंत्रित किया जाना, तीव्र संसाधनों से सूचना भेजा जाना और इसकी पुष्टि करना, जन प्रतिनिधियों को सम्मान बैठाया जाना, उचित जवाब देना, अधिकारी लोकार्पण न करें न ही उनका नाम शिलालेख में लिखा जाए, वह कोई आश्वासन भी न दें, अधिकारियों के नाम पर परियोजना के नाम न होना, अधिकारी साफा और माला कार्यक्रम में न पहने. इन 10 बिंदुओं की अवहेलना पर सिविल सेवा आचरण नियम उल्लंघन मानकर अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी. इसके लिए सभी जगह अधिकारियों को निर्देश भी दिए गए हैं.

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इस मामले पर बोलते हुए उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने यह व्यवस्था दी थी कि अगर किसी जनप्रतिनिधि का सम्मान में हो तो ऐसा करने वाले अधिकारियों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला भी बनता है, नियम पहले से ही बने हुए हैं. शासन की अदला-बदली प्रदेश में होती है, मैं 7 बार से जीत रहा हूं और एक आयुष औषधालय का उद्घाटन मैंने किया. इसके बाद मेरे सामने हारने वाले नेता ने कहा कि मैं इसका दोबारा उद्घाटन करूंगा. यह घटना एक नहीं है यह कई बार हो चुकी है. प्रदेश में यह घटना आम है, प्रोटोकॉल की जो लिस्ट निकाली गई है, उसमें चीफ सेक्रेट्री से विधायकों को ऊपर रखा जाता है. लेकिन हमारे साथ हो क्या रहा है. जहाजपुर में तो विधायक गोपीचंद मीना को ग्राम सभा में भी नहीं जाने दिया गया. यह पीड़ा सभी विधायकों के मन में है, जिम्मेदारी से मैं यह कह रहा हूं कि समय का चक्र घूम रहा है और अगर आप चाहते हो कि आगे आने वाले समय में हम भी आपके साथ ऐसा ही बर्ताव करें, तो इसके लिए ब्यूरोक्रेसी के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी.

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राठौड़ ने कहा कि ब्यूरोक्रेट को आप सर पर नचा रहे हो, यह आपको भी डसेंगे और हमें भी डसेंगे. ऐसे गैर जिम्मेदार अधिकारी जो प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हैं, उनके खिलाफ विशेषाधिकार का हनन मामला लाया जाए तभी यह सुधरेंगे. इसके बाद सदन में हंगामा हो गया. किसी तरह मामला शांत करने के बाद नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि मामला गंभीर है. यह सिर्फ पक्ष और विपक्ष की बात नहीं है. जन प्रतिनिधि आप भी हैं और हम भी हैं. इस मामले में कई बार निर्देश जारी हो चुके हैं. चर्चा होती है, लेकिन चर्चा इसका समाधान नहीं है. मैं चाहता हूं कि कि जिस अधिकारी की उपस्थिति में प्रोटोकॉल उल्लंघन की बात हुई. उसके खिलाफ जांच की जाए और उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. यदि अधिकारियों को दंड नहीं दिया जाएगा तो यह चर्चा निरर्थक ही रहेगी और उस पर कार्रवाई होगी तो मामला सही होगा.

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कटारिया ने कहा कि जहाजपुर में तो विधायक गोपीचंद के साथ हाथापाई की स्थिति भी आ गई. इसके बाद उन्होंने सभापति राजेंद्र पारीक की ओर इशारा करते हुए कहा कि लोकतंत्र के आसन पर आप बैठे हैं तो यह आसन की भी जिम्मेदारी है कि आप इसकी पुख्ता व्यवस्था करें और जो प्रोटोकॉल उल्लंघन का काम हुआ है, उसकी जांच करवाई जाए. इस पर जहाजपुर के सदस्य को बात बोलने के लिए भाजपा नेताओं ने सभापति से अपील की, जिसे सभापति राजेंद्र पारीक ने अलाउड नहीं किया. उन्होंने कहा कि यह गंभीर मामला है लेकिन इस पर शाम तक चर्चा नहीं हो सकती है. मैं भी इस मामले में सहमत हूं कि यह मामला गंभीर है. अगर किसी भी विधायक के साथ इस तरह की घटना हुई है तो वह अध्यक्ष को अपनी बात भेज दें और मैं मंत्री को भी यह निर्देशित करता हूं कि ऐसे मामलों पर कार्रवाई की जाए. इसके बाद नेता प्रतिपक्ष गुलाब कटारिया ने फिर कहा कि जहाजपुर के विधायक हमारी बैठक मैं अपनी बात रखते हुए रोने तक लगे थे. उनकी बात तो कम से कम सदन में सुनी जाए. लेकिन सभापति ने इसकी इजाजत नहीं दी.

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इस पर धारीवाल ने एक बार फिर खड़े होते हुए कहा कि परिपत्र पहले भी निकल चुके हैं. पहले साल 2018 के परिपत्र में केवल 2 बिंदु थे, अब हमारी सरकार में बने परिपत्र में 10 बिंदु हैं. वहीं मंडलिया की बात रखने पर राजेंद्र राठौड़ को धारीवाल ने कहा कि अगर कोई आदमी कुछ भी कह दे तो इसमें वह क्या कर सकते हैं. इस पर एक बार फिर सदन में हंगामा हुआ और भाजपा विधायक वेल में आ गए और हंगामा करने लगे. इस मामले में हंगामे के बीच सभापति राजेंद्र पारीक ने चर्चा समाप्त कर दी.

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