जयपुर. राजस्थान कांग्रेस की गुरुवार को हुई महत्वपूर्ण बैठक में यह बात निकलकर आई है कि भले ही कांग्रेस ने निगम और निकाय चुनाव के लिए अपने मेनिफेस्टो में किए वादे के अनुसार एक्ट में परिवर्तन कर सीधे चुनाव करवाने का निर्णय ले लिया हो, लेकिन ताजा बने राजनीतिक हालातों में यह कांग्रेस के लिए ही गले की हड्डी बन गया है. अब कांग्रेस के नेता ही सीधे चुनाव से डरने लगे हैं.
आज हुई प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में कांग्रेस उपाध्यक्ष रफीक मंडेलिया ने कहा कि अगर सीधे चुनाव करवाए जाते हैं तो उसका नुकसान पार्टी का हो सकता है, क्योंकि भाजपा इन चुनाव को अनुच्छे 370 के नाम पर लड़ेगी. इसका समर्थन भी कई नेताओं ने किया. वहीं इस बात पर खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बैठक में नेताओं को कहा कि इस तरह का सुझाव कई नेताओं की ओर से पहले भी उनके पास आ चुका है. उनके साथ विचार करने के बाद इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा.
निकाय और निगम चुनाव किसी भी हालत में नहीं हारना चाहती कांग्रेस...
आपको बता दें कि साल 2009 में जब सीधे चुनाव हुए थे उस समय पहले लॉटरी महापौर की निकाली गई थी तो वहीं इस बार के पार्षदों की लॉटरी पहले निकाली गई है. ऐसे में साफ है कि सरकार पहले से ही इस बात को लेकर चर्चा कर रही है कि ज्यादा नुकसान ना हो, इससे बचने के लिए इनडायरेक्ट इलेक्शन करवा दिया जाएं. हालांकि इसके लिए सरकार को अपने ही मेनिफेस्टो के अनुसार बदले गए फिर से बदलना होगा और फिर से इनडायरेक्ट इलेक्शन के लिए नियम बदलने होंगे. जिसमें सरकार की किरकिरी भी होगी. लेकिन जिस तरह से लगातार यह प्रस्ताव हर तरफ से कांग्रेस के आलाकमान के पास पहुंच रहे हैं, उस पर अब आलाकमान गंभीरता से सोचने लगा है. क्योंकि लोकसभा चुनाव में सभी 25 सीटें हारने के बाद अब कांग्रेस निकाय और निगम चुनाव में किसी भी हालत में हारना नहीं चाहती है.
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निकाय चुनाव में प्रभारी मंत्री और संगठन के प्रभारी मिलकर करेंगे प्रचार...
वहीं निकाय चुनाव को लेकर राजस्थान कांग्रेस की ओर से आज यह निर्णय लिया गया कि निकाय चुनाव में सरकार की ओर से लगाए गए प्रभारी मंत्री और संगठन के जिला प्रभारी एक साथ जिलों में जाएंगे. इस दौरान प्रचार के साथ-साथ टिकट किसे देना है इसकी समीक्षा करके प्रदेश कांग्रेस को बताएंगे.
इसके साथ ही कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खून पसीने की मेहनत से प्रदेश में सरकार बनी है. इसके बाद सरकार ने जो काम किया है उस काम को संगठन जनता के बीच लेकर जाएगा और निकाय चुनाव में जीत दर्ज करेगा. वहीं इस बार होने वाले चुनाव में कांग्रेस की ओर से पर्यवेक्षक भी नहीं लगाए जाएंगे. इसे लेकर आज बैठक में शांति धारीवाल के इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट और प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने भी सांस्कृतिक तौर पर स्वीकार कर लिया है.