जयपुर. दिव्यांग वकीलों को नोटरी पब्लिक के पद पर नियुक्ति के मामले में राजस्थान राज्य मानवाधिकार आईजी ने गंभीरता से लिया है. आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति गोपाल कृष्ण व्यास ने दिव्यांग अधिकार महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हेमंत भाई गोयल के परिवाद पर संज्ञान लेते हुए राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव और विधि सचिव को नोटिस जारी की है. जिसमें तीन सप्ताह में तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं.
दिव्यांग अधिकार महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हेमंत भाई गोयल के परिवाद में कहा गया था कि विधि विभाग के अंतर्गत नोटेरी पब्लिक का पद अपेक्षाकृत कम भागदौड़ का होता है. बैठे-बैठे इस पद की जिम्मेदारी को बिना किसी परेशानी के संपादित किया जा सकता है. इसलिए ये पद दिव्यांग अधिवक्ताओं के लिए उपयुक्त माना जा सकता है. नोटरी नियमों में संशोधन केंद्र सरकार के विधि विभाग के स्तर पर ही संभव है. लेकिन प्रदेश सरकार के स्तर पर नोटरी पब्लिक के पद पर होने वाली नियुक्तियों में दिव्यांग अधिवक्ताओं को प्राथमिकता प्रदान करने का प्रावधान अवश्य किया जा सकता है.
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जिससे प्रदेश के सैंकड़ों दिव्यांग अधिवक्ताओं को इस पद पर नियुक्ति की राह आसान हो सकती है. नोटरी रुल्स 1956 के संशोधित प्रावधानों के अनुसार राजस्थान में केंद्र सरकार के स्तर पर अधिकतम 1500 और राज्य सरकार के स्तर पर अधिकतम 2000 नोटरी पब्लिक की नियुक्तियां की जानी होती हैं. इसलिए राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र की नोटरी पब्लिक की नियुक्ति में दिव्यांग अधिवक्ताओं को प्राथमिकता प्रदान की जानी चाहिए.
इतना ही नहीं कांग्रेस के जन घोषणा पत्र पेज 32 बिंदु 18 के अनुसार दिव्यांगजनों की विशेष योग्यता को देखते हुए सरकार में उपलब्ध पदों को चिन्हित कर उनपर नियुक्ति के लिए आरक्षण की व्यवस्था करने का विषय शामिल था. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जन घोषणा पत्र को 29 दिसम्बर 2018 को सरकारी दस्तावेज घोषित किया है. दिव्यांगजन मामलों के विशेषज्ञ हेमंत भाई गोयल ने राजस्थान सरकार से दिव्यांग अधिवक्ताओं को नोटरी पब्लिक की नियुक्ति में अधिकतम प्राथमिकता प्रदान करने की मांग की है. परिवाद को गंभीरता से लेते हुए आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति गोपाल कृष्ण व्यास ने राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव और विधि सचिव को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं.