जयपुर. मुख्यमंत्री आवास पर हुई मंत्रीपरिषद (Council of ministers) की बैठक में राजस्थान में कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षाओं को निरस्त करने का निर्णय तो लिया. लेकिन इससे ज्यादा चर्चा में है, बैठक के दौरान दो मंत्रियों के बीच विवाद. दोनों के दोनों सीएम के करीबी. एक तरफ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा और दूसरी तरफ शहरी विकास मंत्री शांति धारीवाल. दोनों में तीखी नोकझोंक हुई. तकारर हुई और दोनों ने एक-दूसरे को देख लेने तक की धमकी तक दे डाली.
धारीवाल और डोटासरा पहले मंत्रीपरिषद की बैठक के मुख्यमंत्री के सामने ही भिड़े. बैठक खत्म हो गई लेकिन दोनों नेताओं के बीच तकरार जारी रहा. सीएम आवास से बाहर निकलने के बाद भी विवाद थमा नहीं. तब जाकर अन्य मंत्रियों ने बीच बचाव कर उन्हें रोका. एक दूसरे को देख लेने तक की धमकी तक पहुंची इस बात की शुरुआत यह नोंकझोंक से हुई. बैठक के मुख्य एजेंडे पर चर्चा के बाद राजनीतिक विषयों पर चर्चा चल रही थी. इस दौरान डोटासरा को धारीवाल ने बीच में ही टोकने पर बात बिगड़ी.
जब धारीवाल ने कहा- मंत्री का काम ज्ञापन देना नहीं
दरअसल, आज दोनो मंत्रियों के बीच हुई नोंकझोंक उस समय शुरू हुई जब गोविंद सिंह डोटासरा ने बैठक में बताया कि काग्रेस ने आज निशुल्क वैक्सीनेशन की मांग को लेकर सोशल मीडिया पर अभियान चालाया था इसके आगे अब हर जिले में कलैक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देंगे. इस अभियान को ग्राउंड पर भी उतारने की जरूरत है जिसमें प्रदेश के मंत्री भी शामिल होंगे. डोटासरा के यह बात रखते ही धारीवाल ने डोटासरा से कह दिया कि इसकी क्या जरूरत है. मंत्रियों का काम ज्ञापन देने का थोड़े ही हैं.
डोटासरा ने इस पर आपत्ति जताई तो धारीवाल भी अड़ गए और कहा कि मैं अपनी बात रखूंगा. इस पर दोनों में खूब बहस हुई. बात तू-तू, मैं-मैं तक पहुंच गई. साथी मंत्रियों ने बीच बचाव कर दोनों को शांत किया. इस पर डोटासरा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी शिकायती लहजे में कहा कि आपके सामने धारीवाल जी कैसा बर्ताव कर रहे हैं. इनपर कार्रवाई कीजिए. पार्टी संगठन के मुद्दे पर अध्यक्ष को बोलने तक नहीं दिया गया. माामल इतना बढ गया कि डोटासरा बैठक से जाने को तैयार हो गए लेकिन सीएम ने उन्हें शांत करवाते हुए अपनी बात पूरी करने को कहा.
सोनिया गांधी से करूंगा शिकायत- डोटासरा
इसके बावजूद दोनों के बीच विवाद शांत नहीं हुआ. धारीवाल ने डोटासरा से यहां तक कह दिया कि जो बिगाड़ना है बिगाड़ लेना. ऐसे बहुत अध्यक्ष देखे हैं. मंत्रिमण्डल की बैठक खत्म होने के बाद बाहर आकर भी धारीवाल और डोटासरा आपस में झगड़ पड़े. तेज आवाज में बोलने लगे. वहां मौजूद अन्य मंत्रियों ने दोनों को अलग करवाया अन्यथा हाथापाई तक की नौबत आ गई थी. बाहर चर्चा में धारीवाल ने डोटासरा से कह दिया कि- मैं आपके आदेश मानने को बाध्य नहीं. इस पर डोटासरा ने कहा जयपुर के प्रभारी मंत्री होने के नाते एक मीटिंग तक नहीं ली, सोनिया गांधी को रिपोर्ट दूंगा. जब तक पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष हूं आदेश तो मानने ही पड़ेंगे. अभी तक पार्टी में जैसा मैं आदेश दूंगा वह सबको मानना ही पड़ेगा. आपके कौनसे सुर्खाब के पर लगे हैं. यह सुन धारीवाल गुस्सा गए और कहा मैं सब देख लूंगा, मुझे ज्ञान देने की जरूरत नहीं है. मुझे धमकाने की जरूरत नहीं हैं. बाहें चढ़ाते हुए लड़ रहे दोनों मंत्रियों को साथी मंत्रियों ने अलग किया.
यह रही विवाद की असली वजह
बैठक में हुई डोटासरा और धारीवाल के बीच की नोंकझोंक के पीछे कारण 30 मई को राजस्थान कांग्रेस की और से चलाया गया सोश्यल मीडिया अभियान 'मोदी मतलब महंगाई' था. जिसे विधानसभा उपसचेतक समेत 13 मंत्रियों ने समर्थन नहीं दिया. इसके बाद ये बात सामने आ रही थी कि मंत्री संगठन के कार्यक्रमों को समर्थन नहीं दे रहे. इस बात से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद डोटासरा पहले से ही नाराज थे. हालात ये थे कि बुधवार को जब एआईसीसी की ओर से फ्री वैक्सीन को लेकर अभियान चला तो खुद मुख्यमंत्री को टवीट कर यह कहना पड़ा कि इस अभियान को हर कोई अपना समर्थन दे. इसके बाद भी प्रदेश के 7 मंत्री और उपमुख्यसचेतक ने इस अभियान को अपना समर्थन नहीं दिया और ऐसा नही करने वाले मंत्रियों में शांति धारीवाल भी शामिल थे.
दोनों के बीच पहले भी हो चुकी तकरार
इस बात की नाराजगी डोटासरा में पहले से ही थी और जब उन्होने इस मामले में कलेक्टर को ज्ञापन देने के लिए मंत्रियों के भी शामिल होने की बात कही तब धारीवाल ने उन्हों टोकते हुए कहा कि मंत्रियों का काम ज्ञापन देने का नहीं. इस बात पर पहले से मंत्रियों से नाराज चल रहे प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा और गुस्सा हो गये और ये नाराजगी दोनों नेताओं के बीच तीखी नोंकझोंक में तबदील हो गई. यहां आपको बता दें दोनों नेताओं के बीच निकाय चुनाव के दौरान 20 अक्टूबर 2020 को भी पार्टी सिंबल को लेकर विवाद हुआ था. लेकिन तब तक यह बात दोनों नेताओं के बीच थी. लेकिन बीती शाम हुई बैठक में दोनों के बीच की दूरी मुख्यमंत्री के सामने ही उजागर हो गई.
मुख्यमंत्री के कहने के बाद भी 7 मंत्रियों ने नहीं दिया कांग्रेस के अभियान को समर्थन
प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा इस बात से पहले ही नाराज थे कि 13 मंत्रियों ने राजस्थान कांग्रेस के 30 मई को 'मोदी मतलब महंगाई' अभियान को समर्थन नहीं दिया और उन्होने अपनी नाराजगी से मुख्यमंत्री को अवगत भी करवा दिया. यही कारण था कि कल एआईसीसी के अभियान में हर किसी को शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री को अपील करनी पड़ी. इसके बाद भी हालत ये बने कि शांति धारीवाल समेत सात मंत्रियों और उप-मुख्यसचेतक महेन्द्र चोधरी ने इस अभियान को समर्थन नहीं दिया. इनमें से एक भंवर सिह भाटी वो मंत्री हैं, जिन्होने प्रदेश कांग्रेस के अभियान में अपना समर्थन दिया था, जबकि बाकी सात नेताओं ने दूरी बनाये रखी. इससे भी खास बात ये है कि इनमे से ज्यादातर नेताओं ने मुख्यमंत्री के पुत्र वैभव गहलोत को अपने सोशल मीडिया अकांउट से जन्मदिन की बधाई तो दी लेकिन कांग्रेस के अभियान पर एक भी पोस्ट नहीं की.
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इन मंत्रियों ने दिया अभियान को समर्थन
- हरीश चौधरी
- बीडी कल्ला
- रधु शर्मा
- गोविंद डोटासरा
- प्रमोद जैन भाया
- उदय लाल आंजना
- प्रताप सिंह खाचरियावास
- भजन लाल जाटव
- ममता भूपेश
- सुखराम बिश्नोई
- अशोक चांदना
- टीकाराम जूली
- महेश जोशी
धारीवाल समेत ये 7 मंत्री रहे अभियान से दूर
- सालेह मोहम्मद
- परसादी लाल मीणा
- लाल चंद कटारिया
- अर्जुन बामनिया
- भंवर सिंह भाटी
- महेन्द्र चोधरी
- शांति धारीवाल
- राजेन्द्र यादव