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राजस्थान वन विभाग: सालों से अटकी पड़ी है मानद वन्यजीव प्रतिपालक की नियुक्ति...

राजस्थान वन विभाग में मानद वन्यजीव प्रतिपालक की नियुक्ति नहीं हो रही है. करीब 7 सालों से मानद वन्यजीव प्रतिपालक की नियुक्ति अटकी पड़ी है. 2013 में केवल 24 घंटों के लिए मानद वन्यजीव प्रतिपालक बनाकर नियुक्ति रद्द कर दी गई थी. जिससे चलते वन्यजीव संरक्षण प्रभावित हो रहा है.

honorary wildlife guardian vacant post,  rajasthan forest department
मानद वन्यजीव प्रतिपालक नियुक्ति
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Published : Nov 17, 2020, 10:14 PM IST

जयपुर. राजस्थान वन विभाग में कई सालों से मानद वन्यजीव प्रतिपालक की नियुक्ति नहीं हो रही है. करीब 7 सालों से मानद वन्यजीव प्रतिपालक की नियुक्ति अटकी पड़ी है. 2013 में केवल 24 घंटों के लिए मानद वन्यजीव प्रतिपालक बनाकर नियुक्ति रद्द कर दी गई थी.

पढ़ें:जयपुर: भारी ट्रैफिक से आमजन को मिलेगी राहत, दक्षिणी रिंग रोड पर शुरू हुआ यातायात

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत मानद वन्यजीव प्रतिपालक का प्रावधान है, लेकिन कई सालों से सरकार नियुक्ति नहीं कर पा रही है. जिससे राजस्थान में वन्यजीव संरक्षण भी प्रभावित हो रहा है. जानकारों की मानें तो मानद वन्यजीव प्रतिपालक वन और वन्य जीव की सुरक्षा में जन सहभागिता और सरकार के साथ पुल का काम करते हैं. वर्ष 2013 में मानद वन्यजीव प्रतिपालकों के नाम का आदेश तो निकाला गया, लेकिन किन्हीं कारणों से 24 घंटे में ही आदेश को वापस ले लिया गया था.

2013 के बाद से अब तक मानद वन्यजीव प्रतिपालक के पद खाली ही पड़े हैं. पहले बीजेपी सरकार के कार्यकाल में भी इन पदों को नहीं भरा गया और अब कांग्रेस सरकार के 2 साल होने के बाद भी खाली पदों को नहीं भरा गया. वन विभाग में मानद वन्यजीव प्रतिपालक की नियुक्ति देने की जरूरत है, ताकी इनके जरिए वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा दिया जा सके. वन विभाग के अधिनियम के तहत इनका प्रावधान किया गया है. जिसके बावजूद भी सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही.

जयपुर. राजस्थान वन विभाग में कई सालों से मानद वन्यजीव प्रतिपालक की नियुक्ति नहीं हो रही है. करीब 7 सालों से मानद वन्यजीव प्रतिपालक की नियुक्ति अटकी पड़ी है. 2013 में केवल 24 घंटों के लिए मानद वन्यजीव प्रतिपालक बनाकर नियुक्ति रद्द कर दी गई थी.

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वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत मानद वन्यजीव प्रतिपालक का प्रावधान है, लेकिन कई सालों से सरकार नियुक्ति नहीं कर पा रही है. जिससे राजस्थान में वन्यजीव संरक्षण भी प्रभावित हो रहा है. जानकारों की मानें तो मानद वन्यजीव प्रतिपालक वन और वन्य जीव की सुरक्षा में जन सहभागिता और सरकार के साथ पुल का काम करते हैं. वर्ष 2013 में मानद वन्यजीव प्रतिपालकों के नाम का आदेश तो निकाला गया, लेकिन किन्हीं कारणों से 24 घंटे में ही आदेश को वापस ले लिया गया था.

2013 के बाद से अब तक मानद वन्यजीव प्रतिपालक के पद खाली ही पड़े हैं. पहले बीजेपी सरकार के कार्यकाल में भी इन पदों को नहीं भरा गया और अब कांग्रेस सरकार के 2 साल होने के बाद भी खाली पदों को नहीं भरा गया. वन विभाग में मानद वन्यजीव प्रतिपालक की नियुक्ति देने की जरूरत है, ताकी इनके जरिए वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा दिया जा सके. वन विभाग के अधिनियम के तहत इनका प्रावधान किया गया है. जिसके बावजूद भी सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही.

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