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हिंदी दिवस : 2001 से 2011 में ढाई फीसदी बढ़ी हिंदी बोलने वालों की संख्या

भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में हिंदी पहले नंबर पर है. बता दें कि हिंदी को मातृभाषा बताने वाले लोगों की संख्या में 2001 के जनगणना के मुकाबले 2011 में बढ़ोतरी हुई है. वहीं राज्य सरकार की ओर से हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए कई कार्यक्रम किए जाते हैं.

हिंदी दिवस न्यूज, Hindi Day News
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Published : Sep 12, 2019, 11:52 PM IST

जयपुर. भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में हिंदी पहले नंबर पर है. 2011 की जनगणना के आधार पर भारतीय भाषाओं के आंकड़े के अनुसार हिंदी को मातृभाषा के रूप में बताने वाले लोगों की संख्या में 2001 के जनगणना के मुकाबले में 2011 में बढ़ोतरी हुई है.

2001 से 2011 में ढाई फीसदी बढ़ी हिंदी बोलने वालों की संख्या

बता दें कि भारतीय भाषाओं के आंकड़ों के मुताबिक 2001 में 41.03 फीसदी लोगों की मातृभाषा हिंदी थी, जबकि 2011 में इसकी संख्या बढ़कर 43.63 फीसदी हो गई है. इस तरह 2001 से 2011 के बीच देश में हिंदी बोलने वाले लोगों की संख्या ढाई फीसदी से ज्यादा बढ़ी है. वहीं बंगाली भाषा दूसरे नंबर पर बरकरार है और मराठी ने तेलुगु को तीसरे स्थान पर दस्त कर दिया है. बता दें कि 22 सूचीबद्ध भाषाओं में संस्कृत सबसे कम बोली जाने वाली भाषा है. 24 हजार 821 लोगों ने संस्कृत को अपनी मातृभाषा बताया है. बोलने वालों की संख्या के लिहाज से संस्कृत, बोडो, मणिपुरी, कोंकणी और डोगरी भाषाओं से भी नीचे है.

पढ़ें-मुंह में रुपए दबाकर नाचता हुआ पुलिसकर्मी, VIRAL VIDEO

हिंदी को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान में हिंदी ग्रंथ अकादमी बनाई गई है, जिसमें सभी विषयों की किताबें हिंदी में उपलब्ध है. वहीं राज्य सरकार की ओर से हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए कई कार्यक्रम किए जाते हैं, लेकिन उसके बावजूद राजस्थान के उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी को यह नहीं पता है कि हिंदी भाषा बोलने वालों की संख्या कितनी बढ़ी है.

वहीं हिंदी ग्रंथ अकादमीय में हिंदी भाषा से जुड़ी किताबों का भंडार है. लेकिन वाणिज्य और विज्ञान विषयों में हिंदी किताब उपलब्ध नहीं है. हिंदी ग्रंथ अकादमीय के निदेशक बी एल सैनी ने कहा कि विज्ञान, वाणिज्य और विधि विषयों की परिभाषा अंग्रेजी हुआ करती थी. लेकिन हिंदी भाषा को जब संविधान सभा में राष्ट्र भाषा में स्वीकार किया, उसके बाद शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने के लिए जहां हिंदी क्षेत्र राज्य है वहां हिंदी ग्रंथ अकादमीय और जो गैर हिंदी क्षेत्र है वहां पर वहां की संवैधानिक भाषा के अनुसार अकादमीय है. जिससे उच्च शिक्षा में फायदा मिल सके.

जयपुर. भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में हिंदी पहले नंबर पर है. 2011 की जनगणना के आधार पर भारतीय भाषाओं के आंकड़े के अनुसार हिंदी को मातृभाषा के रूप में बताने वाले लोगों की संख्या में 2001 के जनगणना के मुकाबले में 2011 में बढ़ोतरी हुई है.

2001 से 2011 में ढाई फीसदी बढ़ी हिंदी बोलने वालों की संख्या

बता दें कि भारतीय भाषाओं के आंकड़ों के मुताबिक 2001 में 41.03 फीसदी लोगों की मातृभाषा हिंदी थी, जबकि 2011 में इसकी संख्या बढ़कर 43.63 फीसदी हो गई है. इस तरह 2001 से 2011 के बीच देश में हिंदी बोलने वाले लोगों की संख्या ढाई फीसदी से ज्यादा बढ़ी है. वहीं बंगाली भाषा दूसरे नंबर पर बरकरार है और मराठी ने तेलुगु को तीसरे स्थान पर दस्त कर दिया है. बता दें कि 22 सूचीबद्ध भाषाओं में संस्कृत सबसे कम बोली जाने वाली भाषा है. 24 हजार 821 लोगों ने संस्कृत को अपनी मातृभाषा बताया है. बोलने वालों की संख्या के लिहाज से संस्कृत, बोडो, मणिपुरी, कोंकणी और डोगरी भाषाओं से भी नीचे है.

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हिंदी को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान में हिंदी ग्रंथ अकादमी बनाई गई है, जिसमें सभी विषयों की किताबें हिंदी में उपलब्ध है. वहीं राज्य सरकार की ओर से हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए कई कार्यक्रम किए जाते हैं, लेकिन उसके बावजूद राजस्थान के उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी को यह नहीं पता है कि हिंदी भाषा बोलने वालों की संख्या कितनी बढ़ी है.

वहीं हिंदी ग्रंथ अकादमीय में हिंदी भाषा से जुड़ी किताबों का भंडार है. लेकिन वाणिज्य और विज्ञान विषयों में हिंदी किताब उपलब्ध नहीं है. हिंदी ग्रंथ अकादमीय के निदेशक बी एल सैनी ने कहा कि विज्ञान, वाणिज्य और विधि विषयों की परिभाषा अंग्रेजी हुआ करती थी. लेकिन हिंदी भाषा को जब संविधान सभा में राष्ट्र भाषा में स्वीकार किया, उसके बाद शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने के लिए जहां हिंदी क्षेत्र राज्य है वहां हिंदी ग्रंथ अकादमीय और जो गैर हिंदी क्षेत्र है वहां पर वहां की संवैधानिक भाषा के अनुसार अकादमीय है. जिससे उच्च शिक्षा में फायदा मिल सके.

Intro:जयपुर- भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में हिंदी पहले नंबर पर है। 2011 की जनगणना के आधार पर भारतीय भाषाओं के आंकड़े के अनुसार हिंदी को मातृभाषा के रूप में बताने वाले लोगों की संख्या में 2001 के जनगणना के मुकाबले में 2011 में बढ़ोतरी हुई है।

भारतीय भाषाओं के आंकड़ों के मुताबिक 2001 में 41.03 फ़ीसदी लोगों की मातृभाषा हिंदी थी जबकि 2011 में इसकी संख्या बढ़कर 46.63 फीसदी हो गई है। इस तरह 2001 से 2011 के बीच देश में हिंदी बोलने वाले लोगों की संख्या ढाई फीसदी से ज्यादा बढ़ी है।


Body:बंगाल भाषा दूसरे नंबर पर बरकरार है वहीं मराठी ने तेलुगु को तीसरे स्थान पर दस्त कर दिया है। 22 सूचीबद्ध भाषाओं में संस्कृत सबसे कम बोली जाने वाली भाषा है। केवल 24821 लोगों ने संस्कृत को अपनी मातृभाषा बताया है। बोलने वालों की संख्या के लिहाज से संस्कृत बोडो, मणिपुरी, कोंकणी और डोगरी भाषाओं से भी नीचे है।

हिंदी को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान में हिंदी ग्रन्थ अकादमीय बनाई गई है जिसमें सभी विषयों की किताबें हिंदी में उपलब्ध है। वही राज्य सरकार द्वारा हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए कई कार्यक्रम किए जाते है लेकिन उसके बावजूद राजस्थान के उच्च शिक्षा मंत्री भवंर सिंह भाटी को ये नहीं पता है कि हिंदी भाषा बोलने वालों की संख्या कितनी बढ़ी।

वही हिंदी ग्रन्थ अकादमीय में हिंदी भाषा से जुड़ी किताबों का भंडार है लेकिन वाणिज्य और विज्ञान विषयों में हिंदी किताबों उपलब्ध नहीं है जिसको लेकर हिंदी ग्रन्थ अकादमीय के निदेशक बीएल सैनी ने कहा कि विज्ञान, वाणिज्य और विधि विषयों की परिभाषा अंग्रेजी हुआ करती थी। लेकिन हिंदी भाषा को जब संविधान सभा में राष्ट्र भाषा में स्वीकार किया उसके बाद शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने के लिए जहां हिंदी क्षेत्र राज्य है वहां हिंदी ग्रंथ अकादमीय और जो गैर हिंदी क्षेत्र है वहां पर वहां की संवैधानिक भाषा के अनुसार अकादमीय है जिससे उच्च शिक्षा में फायदा मिल सके।

बाईट- भवंर सिंह भाटी, उच्च शिक्षा मंत्री
बाईट- बीएल सैनी, निदेशक, हिंदी ग्रंथ अकादमीय


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