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भ्रष्ट अफसर-कर्मचारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति में देरी क्यों: हाईकोर्ट

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Published : Jan 24, 2020, 8:36 PM IST

भ्रष्टाचार के मामलों में आरोपी अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति देने में हो रही देरी को लेकर राजस्थान हाई कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार के मुख्य सचिव सहित गृह सचिव और एसीबी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह ने यह आदेश पब्लिक अगेंस्ट करप्शन संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए.

Rajasthan High Court News, जयपुर न्यूज
भ्रष्ट अफसर-कर्मचारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति में देरी पर हाई कोर्ट ने मांगा जवाब

जयपुर. राजस्थान हाई कोर्ट ने केन्द्र सरकार और राज्य के मुख्य सचिव सहित गृह सचिव और एसीबी को नोटिस जारी कर पूछा है कि भ्रष्टाचार के मामलों में अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति देने में देरी क्यों की जा रही है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह ने यह आदेश पब्लिक अगेंस्ट करप्शन संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए.

भ्रष्ट अफसर-कर्मचारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति में देरी पर हाई कोर्ट ने मांगा जवाब

याचिका में कहा गया कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रहा है, लेकिन अधिकांश मामलों में जांच पूरी होने के बाद मुकदमा चलाने के लिए आवश्यक अभियोजन स्वीकृति नहीं मिल रही है. इस कारण इन मामलों में एसीबी चालान पेश नहीं कर पा रही है. इस कारण भ्रष्ट कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई नहीं हो पाती. जिससे शिकायतकर्ता और जांच करने वाले अधिकारी हतोत्साहित होते हैं और दोषी बच निकलते हैं.

पढ़ें- मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व आईएएस अशोक सिंघवी सहित अन्य को राहत से इनकार

सरकार के पास ऐसे करीब 250 मामले लंबित हैं. कई मामलों में तो एसीबी की गिरफ्त में आए कर्मचारी और अधिकारी नौकरी में बहाल तक हो गए हैं. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाई कोर्ट ने केन्द्र सरकार और राज्य के मुख्य सचिव सहित गृह सचिव और एसीबी को नोटिस जारी कर पूछा है कि भ्रष्टाचार के मामलों में अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति देने में देरी क्यों की जा रही है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह ने यह आदेश पब्लिक अगेंस्ट करप्शन संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए.

भ्रष्ट अफसर-कर्मचारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति में देरी पर हाई कोर्ट ने मांगा जवाब

याचिका में कहा गया कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रहा है, लेकिन अधिकांश मामलों में जांच पूरी होने के बाद मुकदमा चलाने के लिए आवश्यक अभियोजन स्वीकृति नहीं मिल रही है. इस कारण इन मामलों में एसीबी चालान पेश नहीं कर पा रही है. इस कारण भ्रष्ट कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई नहीं हो पाती. जिससे शिकायतकर्ता और जांच करने वाले अधिकारी हतोत्साहित होते हैं और दोषी बच निकलते हैं.

पढ़ें- मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व आईएएस अशोक सिंघवी सहित अन्य को राहत से इनकार

सरकार के पास ऐसे करीब 250 मामले लंबित हैं. कई मामलों में तो एसीबी की गिरफ्त में आए कर्मचारी और अधिकारी नौकरी में बहाल तक हो गए हैं. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

Intro:बाईट- याचिकाकर्ता के वकील पूनमचंद भंडारी

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार और राज्य के मुख्य सचिव सहित गृह सचिव और एसीबी को नोटिस जारी कर पूछा है कि भ्रष्टाचार के मामलों में अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति देने में देरी क्यों की जा रही है। न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश नरेन्द्रसिंह ने यह आदेश पब्लिक अगेस्ट करप्शन संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए।Body:न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश नरेन्द्रसिंह ने यह आदेश पब्लिक अगेस्ट करप्शन संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए।
याचिका में कहा गया कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रहा है, लेकिन अधिकांश मामलों में जांच पूरी होने के बाद मुकदमा चलाने के लिए आवश्यक अभियोजन स्वीकृति नहीं मिल रही है। इस कारण इन मामलों में एसीबी चालान पेश नहीं कर पा रही है। इस कारण भ्रष्ट कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई नहीं हो पाती और इससे शिकायतकर्ता और जांच करने वाले अधिकारी हतोत्साहित होते हैं और दोषी बच निकलते हैं। सरकार के पास ऐसे करीब 250 मामले लंबित हैं और कई मामलों में तो एसीबी की गिरफ्त में आए कर्मचारी व अधिकारी नौकरी में बहाल तक हो गए हैं। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।Conclusion:
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