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HC ने विधि विश्वविद्यालय में वीसी की नियुक्ति पर मांगा जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय में वीसी की नियुक्ति को लेकर जवाब मांगा है. याचिका में कहा गया है कि विधि विश्वविद्यालय के वीसी का शैक्षणिक बैकग्राउंड कानून का नहीं रहा है. इसके साथ ही याचिका में विश्वविद्यालय के अधिनियम की धारा 11(2) और 11(17) के प्रावधानों को चुनौती दिया गया है.

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विधि विश्वविद्यालय में वीसी की नियुक्ति पर मांगा जवाब
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Published : Jun 5, 2020, 5:08 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय में वीसी के तौर पर देव स्वरूप को नियुक्त करने पर प्रमुख उच्च शिक्षा सचिव, विश्वविद्यालय चांसलर, बीसीआई सचिव, बीसीआर सचिव और देव स्वरूप सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश प्रोफेसर केबी अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में कहा गया कि देव स्वरूप को गत 27 फरवरी को भीमराव अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय के वीसी नियुक्त किया गया है, जबकि उनका शैक्षणिक बैकग्राउंड कानून का नहीं रहा है. इसके अलावा याचिका में विश्वविद्यालय के अधिनियम की धारा 11(2) और 11(17) के प्रावधानों को चुनौती देते हुए कहा गया कि, 11(2) के तहत किसी भी एकेडमिक बैकग्राउंड वाले व्यक्ति को वीसी नियुक्त करना गलत है.

ये पढ़ें: बड़ी लापरवाही : डॉक्टर ने लेफ्ट की जगह राइट किडनी का कर दिया ऑपरेशन, मामला दर्ज

याचिका में कहा गया कि देश की सभी नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में विधि प्रोफेसर या एक्सपर्ट ही वीसी बन सकता है. यहां तक कि इनमें कुलपति वहां के राज्यपाल न होकर संबंधित हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश होते हैं. इसके अलावा विषय विशेष के अन्य विश्वविद्यालयों में संबंधित विषय के व्यक्ति को ही वीसी नियुक्त किया गया है.

याचिका में कहा गया कि धारा 11(17) के तहत चांसलर राज्य सरकार के परामर्श के बाद बिना तय प्रक्रिया अपनाएं विवि के पहले वीसी के तौर पर किसी भी व्यक्ति को नियुक्ति दे सकते हैं. जिसके चलते न सिर्फ शक्तियों का दुरुपयोग होगा, बल्कि यह संविधान के प्रावधानों के विपरीत है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय में वीसी के तौर पर देव स्वरूप को नियुक्त करने पर प्रमुख उच्च शिक्षा सचिव, विश्वविद्यालय चांसलर, बीसीआई सचिव, बीसीआर सचिव और देव स्वरूप सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश प्रोफेसर केबी अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में कहा गया कि देव स्वरूप को गत 27 फरवरी को भीमराव अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय के वीसी नियुक्त किया गया है, जबकि उनका शैक्षणिक बैकग्राउंड कानून का नहीं रहा है. इसके अलावा याचिका में विश्वविद्यालय के अधिनियम की धारा 11(2) और 11(17) के प्रावधानों को चुनौती देते हुए कहा गया कि, 11(2) के तहत किसी भी एकेडमिक बैकग्राउंड वाले व्यक्ति को वीसी नियुक्त करना गलत है.

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याचिका में कहा गया कि देश की सभी नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में विधि प्रोफेसर या एक्सपर्ट ही वीसी बन सकता है. यहां तक कि इनमें कुलपति वहां के राज्यपाल न होकर संबंधित हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश होते हैं. इसके अलावा विषय विशेष के अन्य विश्वविद्यालयों में संबंधित विषय के व्यक्ति को ही वीसी नियुक्त किया गया है.

याचिका में कहा गया कि धारा 11(17) के तहत चांसलर राज्य सरकार के परामर्श के बाद बिना तय प्रक्रिया अपनाएं विवि के पहले वीसी के तौर पर किसी भी व्यक्ति को नियुक्ति दे सकते हैं. जिसके चलते न सिर्फ शक्तियों का दुरुपयोग होगा, बल्कि यह संविधान के प्रावधानों के विपरीत है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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