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पूर्व में आरक्षण का लाभ ले चुके अभ्यर्थियों को सामान्य पदों पर नियुक्ति क्यों-हाईकोर्ट - आरक्षण का लाभ

राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रमुख उच्च शिक्षा सचिव और आरपीएससी को नोटिस जारी कर तवाब तलब किया है. कोर्ट ने पूछा है कि पूर्व में आरक्षण का लाभ ले चुके अभ्यर्थियों को सामान्य पदों पर नियुक्ति क्यों दी गई. मामला कॉलेज व्याख्याता भर्ती-2015 से जुड़ा है.

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Published : Aug 1, 2019, 9:48 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रमुख उच्च शिक्षा सचिव, कॉलेज आयुक्त और आरपीएससी को नोटिस जारी कर पूछा है कि नेट में आरक्षण का लाभ ले चुके अभ्यर्थियों को कॉलेज व्याख्याता भर्ती-2015 में सामान्य पदों पर नियुक्ति कैसे दी जा रही है? न्यायाधीश अशोक गौड़ की एकलपीठ ने यह आदेश सुमित शर्मा व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

पढ़ें: JNU प्रोफेसर जोया हसन के बोल से नाराज भाजपा विधायकों ने सदन का किया बहिष्कार

याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत को बताया कि इस भर्ती में आयोग ने नेट के साथ ही गुड एकेडमिक रिकॉर्ड की शर्त लगाई थी. जिसके तहत सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 55 फीसदी अंक और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए पचास फीसदी अंक रखना अनिवार्य किया गया.

याचिका में कहा गया कि नेट में ओबीसी वर्ग के जिन अभ्यर्थियों ने आरक्षण का लाभ लिया था. वे अभ्यर्थी इस भर्ती में अधिक अंक लाकर सामान्य वर्ग के पदों पर चयनीत हो गए. जबकि यदि नेट में अभ्यर्थी आरक्षण का लाभ नहीं लेते तो इस भर्ती में शामिल होने के पात्र नहीं होते. ऐसे में इन अभ्यर्थियों को ओबीसी वर्ग में ही नियुक्ति दी जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रमुख उच्च शिक्षा सचिव, कॉलेज आयुक्त और आरपीएससी को नोटिस जारी कर पूछा है कि नेट में आरक्षण का लाभ ले चुके अभ्यर्थियों को कॉलेज व्याख्याता भर्ती-2015 में सामान्य पदों पर नियुक्ति कैसे दी जा रही है? न्यायाधीश अशोक गौड़ की एकलपीठ ने यह आदेश सुमित शर्मा व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

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याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत को बताया कि इस भर्ती में आयोग ने नेट के साथ ही गुड एकेडमिक रिकॉर्ड की शर्त लगाई थी. जिसके तहत सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 55 फीसदी अंक और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए पचास फीसदी अंक रखना अनिवार्य किया गया.

याचिका में कहा गया कि नेट में ओबीसी वर्ग के जिन अभ्यर्थियों ने आरक्षण का लाभ लिया था. वे अभ्यर्थी इस भर्ती में अधिक अंक लाकर सामान्य वर्ग के पदों पर चयनीत हो गए. जबकि यदि नेट में अभ्यर्थी आरक्षण का लाभ नहीं लेते तो इस भर्ती में शामिल होने के पात्र नहीं होते. ऐसे में इन अभ्यर्थियों को ओबीसी वर्ग में ही नियुक्ति दी जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रमुख उच्च शिक्षा सचिव, कॉलेज आयुक्त और आरपीएससी को नोटिस जारी कर पूछा है कि नेट में आरक्षण का लाभ ले चुके अभ्यर्थियों को कॉलेज व्याख्याता भर्ती-2015 में सामान्य पदों पर नियुक्ति कैसे दी जा रही है? न्यायाधीश अशोक गौड़ की एकलपीठ ने यह आदेश सुमित शर्मा व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।Body:याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत को बताया कि इस भर्ती में आयोग ने नेट के साथ ही गुड एकेडमिक रिकॉर्ड की शर्त लगाई थी। जिसके तहत सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 55 फीसदी अंक और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए पचास फीसदी अंक रखना अनिवार्य किया गया। याचिका में कहा गया कि नेट में ओबीसी वर्ग के जिन अभ्यर्थियों ने आरक्षण का लाभ लिया था। वे अभ्यर्थी इस भर्ती में अधिक अंक लाकर सामान्य वर्ग के पदों पर चयनीत हो गए। जबकि यदि नेट में अभ्यर्थी आरक्षण का लाभ नहीं लेते तो इस भर्ती में शामिल होने के पात्र नहीं होते। ऐसे में इन अभ्यर्थियों को ओबीसी वर्ग में ही नियुक्ति दी जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।  Conclusion:null
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