जयपुर : साल 2024 राजस्थान के शिक्षा विभाग के लिए एक ऐतिहासिक साल रहा. इस साल में शिक्षा के क्षेत्र में कई बड़े और महत्वपूर्ण बदलाव हुए, जो राज्य के स्कूली शिक्षा को नए दृष्टिकोण से बदलने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के नेतृत्व में किए गए प्रयासों ने विद्यार्थियों और शिक्षकों दोनों के लिए कई नई योजनाएं और पहल शुरू कीं, जिससे न केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में सुधार हुआ, बल्कि संस्कारों और डिजिटल शिक्षा पर भी जोर दिया गया.
शिक्षकों के प्रशिक्षण और कार्यशैली में बदलाव : राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग में कई बड़े बदलाव किए हैं. मंत्री मदन दिलावर ने बताया कि शिक्षा विभाग का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य बच्चों को सिर्फ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ही नहीं देना है, बल्कि उन्हें जीवन में संस्कार भी देना है. बच्चों का बहुत कुछ उनके शिक्षकों से ही सीखने को मिलता है, उनका बोलने का तरीका, उनकी दृष्टि, उनके कपड़े, आदि. इसलिए यह जरूरी है कि शिक्षक अपनी कार्यशैली को और बेहतर करें, ताकि बच्चे उनसे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ सकें. इसके लिए शिक्षक प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया गया, जिनमें शिक्षकों को यह सिखाया गया कि वे कैसे बच्चों को बेहतर संस्कार दे सकते हैं.
इसके अलावा, शिक्षा मंत्री ने परीक्षा परिणामों में सुधार की भी घोषणा की. अब तक छात्रों को हर विषय में सत्रांक के 20 में से 20 अंक मिलते थे, लेकिन नए निर्देश के अनुसार, छात्रों को 80 अंकों में से कम से कम 40 अंक प्राप्त करना आवश्यक होगा. इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि छात्र सिर्फ अंक प्राप्त करने के बजाय, वास्तव में विषय में ज्ञान अर्जित करें.
स्कूलों में डिजिटल शिक्षा का विस्तार : 2024 में शिक्षा मंत्री ने डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई पहल कीं. "मिशन स्टार्ट", "मिशन ज्ञान", "स्कूल आफ्टर स्कूल", "डिजिटल स्टूडियो" जैसे कार्यक्रमों की शुरुआत की गई. इन कार्यक्रमों के माध्यम से विद्यार्थियों को डिजिटल शिक्षा में दक्ष बनाने के लिए कई पहल की गईं. इसके साथ ही विभागीय कार्यप्रणाली में डिजिटाइजेशन को लागू किया गया. इसके तहत "डिजिटल प्रवेशोत्सव ऐप", "शाला स्वास्थ्य परीक्षण ऐप", "अटल टिंकर प्रेन्योर" कार्यक्रम और "स्कूल इनोवेशन मैराथन" जैसे ऐप और कार्यक्रम शुरू किए गए. इसके अलावा, प्रदेश के स्कूलों में पहली बार जुलाई महीने में ही सभी छात्रों को उनके कक्षा की पूरी अध्ययन सामग्री प्राप्त हुई, जिससे छात्रों को समय से पहले तैयारी करने में मदद मिली.
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स्कूल शिक्षा में किए गए नवाचार
- बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी करने वाले सभी विद्यार्थियों के सहयोग के लिए निदेशालय में सब्जेक्ट एक्सपर्ट ऑन कॉल संचालित किया गया.
- विद्यार्थियों को एक्सपर्ट्स द्वारा कॉल के माध्यम से संकाय चुनने में आने वाली परेशानियों और शंकाओं का समाधान करने के लिए डायल फ्यूचर कार्यक्रम शुरू किया गया.
- स्नातक कर चुके या कर रहे युवाओं को इंटर्नशिप करने के लिए निदेशालय में इंटर्नशिप कार्यक्रम शुरू किया गया.
- शिक्षकों की शंका का समाधान करने के लिए साप्ताहिक विभागीय वेबिनार को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली. इसी तरह शिक्षकों को संबल देने के लिए पीरामल वर्चुअल फील्ड सपोर्ट की शुरुआत की गई.
- डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मिशन स्टार्ट, स्कूल आफ्टर स्कूल, मिशन ज्ञान, डिजिटल स्टूडियो जैसे कार्यक्रम शुरू किए गए.
- विभागीय प्रणाली में डिजिटाइजेशन का उपयोग करते हुए डिजिटल प्रवेशोत्सव एप, शाला स्वास्थ्य परीक्षण एप, अटल इनोवेशन मिशन के तहत अटल टिंकरप्रेन्योर कार्यक्रम और स्कूल इनोवेशन मैराथन जैसे कार्यक्रम चलाए गए.
- पहली बार जुलाई के महीने में ही सभी स्कूली छात्रों के हाथों में उनकी कक्षा की पूरी अध्ययन सामग्री पहुंची.
- बालिका विद्यालयों में आत्मरक्षा प्रशिक्षण की कक्षाएं हुई.
- 68वें स्कूल गेम में राज्य का शानदार प्रदर्शन रहा, जिसमें प्रदेश ने पांच स्वर्ण, तीन रजत और 10 कांस्य पदक जीते.
- छात्रों के स्वास्थ्य की दृष्टि से प्रदेश के स्कूल में सूर्य नमस्कार शुरू किया गया. सूर्य नमस्कार के सामूहिक अभ्यास में 88 हजार स्कूलों के 1.14 करोड़ से ज्यादा विद्यार्थियों सहित 1.33 करोड़ लोगों ने भाग लिया, जिसका वर्ल्ड रिकॉर्ड बना.
- एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत प्रदेश भर में पौधारोपण का भी वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया. 12 घंटे में 98 लाख 86 हजार 471 लोगों ने 1 करोड़ 46 लाख 89 हजार 809 पौधे लगाकर विश्व रिकॉर्ड बनाया.
- प्राध्यापक से लेकर सहायक कर्मचारी के 13 हजार 331 पदों पर अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी गई, जबकि अतिरिक्त निदेशक से लेकर जमादार तक के 13 हजार 598 कार्मिकों की पदोन्नति की गई.
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शिक्षा मंत्री ने बताया कि विभाग अब पाठ्य पुस्तकों और सिलेबस की समीक्षा कर रहा है और इसमें कुछ परिवर्तन किए जाएंगे. विशेष रूप से, महापुरुषों को पाठ्यक्रम में जोड़ा जाएगा, ताकि विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति और इतिहास का सही ज्ञान मिल सके. 2025 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2020 में पेश की गई शिक्षा नीति की अक्षरसह पालन किया जाएगा, जिसमें समावेशी और गुणवत्ता शिक्षा पर जोर दिया गया है.
साल 2024 में राजस्थान ने शिक्षा क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिनसे राज्य का शैक्षिक माहौल बेहतर हुआ है. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का कहना है कि कोई भी अच्छा काम शुरू में उपहास का कारण बनता है, लेकिन जब वह सफल होता है, तो लोगों की अपेक्षाएं भी बढ़ती हैं. सूर्य नमस्कार और पौधारोपण के विश्व रिकॉर्डों ने इस बात को सिद्ध किया. अब विभाग पाठ्यक्रम में बदलाव की ओर भी कदम बढ़ा रहा है, जो आने वाले समय में शिक्षा के क्षेत्र में और भी सुधार की ओर अग्रसर होगा.