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मिर्धा अपहरण कांड के अभियुक्त हरनेक सिंह को पैरोल पर रिहा करने के आदेश

राजेंद्र मिर्धा अपहरण कांड के अभियुक्त हरनेक सिंह को राजस्थान हाइकोर्ट ने कोरोना के तहत 28 दिन के विशेष पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांती और न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने ये आदेश हरनेक सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए दिए.

Rajendra Mirdha kidnapping case, जयपुर न्यूज
मिर्धा अपहरण कांड के अभियुक्त हरनेक सिंह को पैरोल पर रिहा करने के आदेश
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Published : May 8, 2020, 3:16 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने राजेंद्र मिर्धा अपहरण कांड के अभियुक्त हरनेक सिंह को कोरोना के तहत 28 दिन के विशेष पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांती और न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने ये आदेश हरनेक सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए दिए. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पूर्व में पैरोल स्वीकार करने के बाद उसे पैरोल से इनकार किया गया, जबकि परिस्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है. ऐसे में याचिकाकर्ता को भी अन्य 147 कैदियों के समान पैरोल पर रिहा किया जाए.

याचिका में कहा गया है कि वह 25 अप्रैल 2020 तक 13 साल 7 महीने और 29 दिन की सजा काट चुका है. उसे पहला पैरोल 3 अगस्त 2019 से 22 अगस्त 2019 तक मिला था और उसने समय पर जेल में समर्पण भी किया था. कोरोना संक्रमण के कारण सुप्रीम कोर्ट ने जेलों से भीड़ कम करने के लिए बंदियों को विशेष पैरोल पर रिहा करने के निर्देश दिए हैं. सरकार ने गत 13 अप्रैल को जारी पैरोल देने की सूची में रखा, लेकिन 17 अप्रैल को उसे ये कहते हुए पैरोल देने से इनकार कर दिया कि वह प्रदेश से बाहर का निवासी है और राजेंद्र मिर्धा अपहरण कांड का दोषी है.

पढ़ें- ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के 2 IAS में विवाद, ACS ने सीज किए विशिष्ट सचिव के अधिकार

गौरतलब है कि आतंकियों ने 17 फरवरी 1995 को कांग्रेस नेता रामनिवास मिर्धा के बेटे राजेंद्र मिर्धा का सी स्कीम स्थित उनके घर से अपहरण कर लिया था. उन्हें छोड़ने के बदले आतंकियों ने खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट के मुखिया देवेंद्र पाल सिंह भुल्लर को रिहा कराने की मांग की थी. इस पर पुलिस ने मॉडल टाउन कॉलोनी के मकान में छापा मारा था और यहां हुई गोलाबारी में आतंकी नवनीत कादिया की मौत हो गई थी. जबकि दया सिंह लाहोरिया, उसकी पत्नी सुमन सूद और हरनेक सिंह वहां से फरार हो गए थे.

पढ़ें- कृषि कल्याण टैक्स और पेट्रोल-डीजल वैट में बढ़ोतरी का विरोध, कटारिया ने CM को पत्र लिखकर किया आगाह

लाहोरिया और सुमन सूद को 3 फरवरी 1997 को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया था. कोर्ट ने लाहोरिया को आजीवन कारावास और सुमन को 5 साल की सजा सुनाई थी. जबकि हरनेक सिंह को 2004 में पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार किया था और 26 फरवरी 2007 को उसे राजस्थान पुलिस को सौंपा गया था. मामले में एडीजे कोर्ट ने 6 अक्टूबर 2017 को हरनेक सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने राजेंद्र मिर्धा अपहरण कांड के अभियुक्त हरनेक सिंह को कोरोना के तहत 28 दिन के विशेष पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांती और न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने ये आदेश हरनेक सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए दिए. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पूर्व में पैरोल स्वीकार करने के बाद उसे पैरोल से इनकार किया गया, जबकि परिस्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है. ऐसे में याचिकाकर्ता को भी अन्य 147 कैदियों के समान पैरोल पर रिहा किया जाए.

याचिका में कहा गया है कि वह 25 अप्रैल 2020 तक 13 साल 7 महीने और 29 दिन की सजा काट चुका है. उसे पहला पैरोल 3 अगस्त 2019 से 22 अगस्त 2019 तक मिला था और उसने समय पर जेल में समर्पण भी किया था. कोरोना संक्रमण के कारण सुप्रीम कोर्ट ने जेलों से भीड़ कम करने के लिए बंदियों को विशेष पैरोल पर रिहा करने के निर्देश दिए हैं. सरकार ने गत 13 अप्रैल को जारी पैरोल देने की सूची में रखा, लेकिन 17 अप्रैल को उसे ये कहते हुए पैरोल देने से इनकार कर दिया कि वह प्रदेश से बाहर का निवासी है और राजेंद्र मिर्धा अपहरण कांड का दोषी है.

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गौरतलब है कि आतंकियों ने 17 फरवरी 1995 को कांग्रेस नेता रामनिवास मिर्धा के बेटे राजेंद्र मिर्धा का सी स्कीम स्थित उनके घर से अपहरण कर लिया था. उन्हें छोड़ने के बदले आतंकियों ने खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट के मुखिया देवेंद्र पाल सिंह भुल्लर को रिहा कराने की मांग की थी. इस पर पुलिस ने मॉडल टाउन कॉलोनी के मकान में छापा मारा था और यहां हुई गोलाबारी में आतंकी नवनीत कादिया की मौत हो गई थी. जबकि दया सिंह लाहोरिया, उसकी पत्नी सुमन सूद और हरनेक सिंह वहां से फरार हो गए थे.

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लाहोरिया और सुमन सूद को 3 फरवरी 1997 को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया था. कोर्ट ने लाहोरिया को आजीवन कारावास और सुमन को 5 साल की सजा सुनाई थी. जबकि हरनेक सिंह को 2004 में पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार किया था और 26 फरवरी 2007 को उसे राजस्थान पुलिस को सौंपा गया था. मामले में एडीजे कोर्ट ने 6 अक्टूबर 2017 को हरनेक सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

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