जयपुर. 16 जनवरी को सवाई मानसिंह अस्पताल में पहला कैडेवर हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया और प्रदेश के सरकारी क्षेत्र के अस्पताल में यह हार्ट ट्रांसप्लांट का पहला मामला है. मामले को लेकर चिकित्सकों ने बताया कि जिस मरीज को हार्ट लगाया गया था, उसकी हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है.
मामले को लेकर शुक्रवार को सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज की ओर से प्रेस वार्ता आयोजित की गई, जहां अस्पताल में हुए पहले हार्ट ट्रांसप्लांट के बारे में चिकित्सकों ने जानकारी दी. इस मौके पर सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सुधीर भंडारी ने कहा कि सवाई मानसिंह अस्पताल प्रदेश का पहला ऐसा सरकारी अस्पताल है, जहां कैडेवर हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया है. उन्होंने बताया कि इसके पीछे स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन ने सबसे बड़ा काम किया है. क्योंकि ब्रेन डेड मरीज के परिजनों की समझाइश का काम इस ऑर्गेनाइजेशन ने किया.
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वहीं, इस पूरे ऑपरेशन को अंजाम देने वाले सवाई मानसिंह अस्पताल के कार्डियक सर्जन डॉ. अनिल शर्मा और उनकी टीम को मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने बधाई भी दी. इस मौके पर डॉ. अनिल शर्मा ने कहा कि इस तरह के ऑपरेशन काफी जटिल होते हैं, लेकिन इस हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद मरीज की हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है. उन्होंने बताया कि मरीज को वेंटीलेटर से हटा दिया गया है और अब लिक्विड पदार्थ भी मरीज को पिलाया जा रहा है. शर्मा ने बताया कि मरीज की रिकवरी देखते हुए उसे जल्द ही अस्पताल से डिस्चार्ज भी कर दिया जाएगा.
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दरअसल, 10 जनवरी को ब्यावर के पास सांवरमल नाम का एक व्यक्ति सड़क हादसे में घायल हो गया था और उसे अस्पताल लाया गया. जिसके बाद चिकित्सकों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया. उसके बाद सांवरमल के परिजनों की समझाइश की गई, जिसके बाद उन्होंने उसके अंग दान करने की सहमति दे दी और सांवरमल का हार्ट 17 वर्षीय मरीज को लगाया गया. तो वहीं लिवर एक निजी अस्पताल में प्रत्यारोपित किया गया और दोनों किडनी SMS हॉस्पिटल में ही प्रत्यारोपित की गई.