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पायलट सहित अन्य की याचिका खारिज करवाने वाली अर्जी पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए टली

पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट गुट की बगावत के बाद 19 विधायकों को विधानसभा स्पीकर के नोटिस विवाद मामले के निस्तारण को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई दो सप्ताह के लिए टल गई है. पक्षकार मोहनलाल नामा ने याचिका के निस्तारण की अर्जी लगाई थी और दोनों पक्षों में राजनीतिक समझौते का तर्क दिया था.

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पायलट गुट स्पीकर विवाद
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Published : Jan 21, 2021, 7:36 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने गुरुवार को पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट सहित उनके गुट के अन्य विधायकों को विधानसभा स्पीकर की ओर से नोटिस देने के मामले में लंबित याचिका को खारिज करवाने के लिए पेश अर्जी पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए टाल दी है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश मनोज व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश पीआर मीणा व अन्य की याचिका में मोहनलाल नामा की ओर से पेश अर्जी पर दिए.

पढ़ें : आरोपी अधिकारियों को 'अभय दान' क्यों ?...भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दे रही गहलोत सरकार : भाजपा

मोहनलाल नामा की ओर से अधिवक्ता विमल चौधरी ने अर्जी पेश कर कहा है कि दोनों पक्षों में राजनीतिक समझौता हो गया है. इसके अलावा याचिकाकर्ता पीआर मीणा सहित अन्य विधानसभा में विश्वास मत के समर्थन में अपना वोट दे चुके हैं. ऐसे में उनकी विधानसभा और कांग्रेस में सदस्यता बरकरार रखने की प्रार्थना भी एक तरह से मंजूर हो चुकी है. इसलिए अब याचिका लंबित रखने का कोई औचित्य नहीं है और याचिका को न्याय हित में खारिज की जाए.

वहीं, महाधिवक्ता ने अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि खंडपीठ ने इस मामले को संविधान की अनुसूची दस सहित दो कानूनी बिंदू तय करने के विचारार्थ रखा हुआ है. इसके अलावा प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में भी विचाराधीन है. एजी ने यह भी कहा कि मोहनलाल नामा को अर्जी पेश करने का अधिकार नहीं है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने गुरुवार को पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट सहित उनके गुट के अन्य विधायकों को विधानसभा स्पीकर की ओर से नोटिस देने के मामले में लंबित याचिका को खारिज करवाने के लिए पेश अर्जी पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए टाल दी है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश मनोज व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश पीआर मीणा व अन्य की याचिका में मोहनलाल नामा की ओर से पेश अर्जी पर दिए.

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मोहनलाल नामा की ओर से अधिवक्ता विमल चौधरी ने अर्जी पेश कर कहा है कि दोनों पक्षों में राजनीतिक समझौता हो गया है. इसके अलावा याचिकाकर्ता पीआर मीणा सहित अन्य विधानसभा में विश्वास मत के समर्थन में अपना वोट दे चुके हैं. ऐसे में उनकी विधानसभा और कांग्रेस में सदस्यता बरकरार रखने की प्रार्थना भी एक तरह से मंजूर हो चुकी है. इसलिए अब याचिका लंबित रखने का कोई औचित्य नहीं है और याचिका को न्याय हित में खारिज की जाए.

वहीं, महाधिवक्ता ने अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि खंडपीठ ने इस मामले को संविधान की अनुसूची दस सहित दो कानूनी बिंदू तय करने के विचारार्थ रखा हुआ है. इसके अलावा प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में भी विचाराधीन है. एजी ने यह भी कहा कि मोहनलाल नामा को अर्जी पेश करने का अधिकार नहीं है.

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