जयपुर. मिलावट की रोकथाम को लेकर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने मंगलवार को 4 मोबाइल फूड सेफ्टी लैब वैन को हरी झंडी दिखाई. ये वैन जोधपुर, अजमेर, कोटा और जयपुर संभाग में भेजी गई है.
इस मौके पर चिकित्सा मंत्री ने बताया कि प्रयोगशाला में मुख्य उपकरण मिल्को एनालाईजर, डिजिटल रिफ्रेक्टोमीटर, डिजीटल मल्टीमीटर, ऑटो क्लेव, रेपिड पैथोजन डिटेक्शन किट, डायग्नोस्टिक रीडर, फ्राईंग ऑयल मॉनीटर आदि इन उपकरणों के माध्यम से दूध, घी, मावा, पनीर मसाले व अन्य खाद्य पदार्थों की स्पॉट एनालिसिस किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि कोई भी उपभोक्ता, उत्पादक किसी भी तरह की मिलावट होने पर क्षेत्र के सीएमएचओ के जरिए न्यूनतम शुल्क पर जांच करवा सकता है.
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शर्मा ने बताया कि इन पदार्थों की जांच रिपोर्ट ऑन स्पाट 25 से 30 मिनट में उपलब्ध हो सकेगी. उन्होंने बताया कि जांचें सर्विलांस के अधीन होती हैं और उनके अनसेफ, मिसब्रांड और सब स्टैडर्ड होने पर एक्ट के अनुसार कार्रवाई की जा सकती है.
रघु शर्मा ने कहा कि वर्तमान में राज्य में खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकारण, नई दिल्ली की ओर से 5 खाद्य चल प्रयोगशाला वर्ष 2019-2020 में उपलब्ध करवाई गई थी, जो उदयपुर, जोधपुर, जयपुर, भरतपुर और बीकानेर संभाग को आवंटित की गई थी. वर्ष 2020-2021 में 4 अतिरिक्त खाद्य चल प्रयोगशालाओं को अजमेर और कोटा में पहले से उपलब्ध नहीं होने के कारण उपलब्ध करवाई जा रही है. उन्होंने बताया कि जोधपुर और जयपुर में कार्य की अधिकता को ध्यान में रखते हुए 1-1 अतिरिक्त उपलब्ध करवाई जा रही है.
चिकित्सा मंत्री ने बताया कि संभाग स्तर पर चल प्रयोगशालायें मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की ओर से मांग किए जाने पर उपलब्ध करवाई जाएगी. उन्होंने बताया कि एक खाद्य चल प्रयोगशाला की अनुमानित लागत 41 लाख है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में चल प्रयोगशालाओं के लिए वाहन चालक और लैब टेक्नीशियन की व्यवस्था संबंधित संयुक्त निदेशक जोन की ओर से की जाएगी. उन्होंने बताया कि चल प्रयोगशालाओं का मुख्य उद्देश्य सर्विलेंस के आधार पर मौके पर ही खाद्य पदार्थों के नमूनों की जांच कर उपभोक्ता या विक्रेता को खाद्य पदार्थ के सुरक्षित या असुरक्षित होने की जानकारी देना है.