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राज्य सरकार से पूछा हाई कोर्ट, एआरटी सेंटर में एचआईवी ग्रसित की नियुक्ति क्यों नहीं - जयपुर न्यूज

राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और एड्स कन्ट्रोल सोसायटी को नोटिस जारी कर पूछा है कि एआरटी सेंटर में एचआईवी ग्रसित की नियुक्ति क्यों नहीं की गई है. इसके अतिरिक्त पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त मुशाहिद बेग को दस साल की सजा सुनाई है.

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Published : Aug 26, 2019, 11:04 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और एड्स कन्ट्रोल सोसायटी को नोटिस जारी कर पूछा है कि एआरटी सेंटर में एचआईवी ग्रसित की नियुक्ति क्यों नहीं की गई है. मुख्य न्यायाधीश एस रविन्द्र भट्ट और न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश कजोडीराम गुर्जर की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए

याचिका में कहा गया कि एचआईवी एड्स से पीड़ित मरीजों की देखरेख के लिए देशभर में एआरटी सेंटर खोले गए हैं. केन्द्र सरकार की ओर से इन सेंटर्स पर नियुक्ति के लिए निर्देश जारी कर रखे हैं. जिसके तहत सेंटर्स पर तैनात होने वाले कॉर्डिनेटर एचआईवी से पीड़ित होना चाहिए. इसके बावजूद राज्य में इसकी पालना नहीं की जा रही है. वहीं आम व्यक्ति की नियुक्ति करने से एचआईवी पीड़ित की पहचान भी उजागर होने का खतरा रहता है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले को 10 साल की सजा

पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त मुशाहिद बेग को दस साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त पर बीस हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि अभियुक्त और पीड़िता का परिवार पहले एक ही मकान में किराए पर रहता था. वर्ष 2016 में पीडिता सुबह स्कूल जा रही थी. रास्ते में अभियुक्त उसका अपहरण कर कारखाने में ले गया और वहां उसने दुष्कर्म किया. वहीं कुछ दिनों बाद अभियुक्त ने एक बार फिर उसका दुष्कर्म किया. जिसके चलते पीड़िता गर्भवती हो गई और उसने एक अगस्त 2017 को बच्चे को जन्म दिया. बच्चे के जन्म के बाद पीड़िता की ओर से दर्ज कराई रिपोर्ट पर पुलिस ने पांच अगस्त को अभियुक्त को गिरफ्तार किया.

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डीएनए जांच में पीडिता की संतान अभियुक्त की निकली. वहीं दूसरी तरफ पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत ने नाबालिग को बहला-फुसला कर ले जाने वाले अभियुक्त प्रवीण कुमार जाट को चार साल की सजा सुनाई है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और एड्स कन्ट्रोल सोसायटी को नोटिस जारी कर पूछा है कि एआरटी सेंटर में एचआईवी ग्रसित की नियुक्ति क्यों नहीं की गई है. मुख्य न्यायाधीश एस रविन्द्र भट्ट और न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश कजोडीराम गुर्जर की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए

याचिका में कहा गया कि एचआईवी एड्स से पीड़ित मरीजों की देखरेख के लिए देशभर में एआरटी सेंटर खोले गए हैं. केन्द्र सरकार की ओर से इन सेंटर्स पर नियुक्ति के लिए निर्देश जारी कर रखे हैं. जिसके तहत सेंटर्स पर तैनात होने वाले कॉर्डिनेटर एचआईवी से पीड़ित होना चाहिए. इसके बावजूद राज्य में इसकी पालना नहीं की जा रही है. वहीं आम व्यक्ति की नियुक्ति करने से एचआईवी पीड़ित की पहचान भी उजागर होने का खतरा रहता है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

पढ़ें: फिर निकला गुर्जर आरक्षण का 'जिन्न', बैंसला बोले- मुगालते में ना रहें गुर्जर विधायक भी

नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले को 10 साल की सजा

पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त मुशाहिद बेग को दस साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त पर बीस हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि अभियुक्त और पीड़िता का परिवार पहले एक ही मकान में किराए पर रहता था. वर्ष 2016 में पीडिता सुबह स्कूल जा रही थी. रास्ते में अभियुक्त उसका अपहरण कर कारखाने में ले गया और वहां उसने दुष्कर्म किया. वहीं कुछ दिनों बाद अभियुक्त ने एक बार फिर उसका दुष्कर्म किया. जिसके चलते पीड़िता गर्भवती हो गई और उसने एक अगस्त 2017 को बच्चे को जन्म दिया. बच्चे के जन्म के बाद पीड़िता की ओर से दर्ज कराई रिपोर्ट पर पुलिस ने पांच अगस्त को अभियुक्त को गिरफ्तार किया.

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डीएनए जांच में पीडिता की संतान अभियुक्त की निकली. वहीं दूसरी तरफ पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत ने नाबालिग को बहला-फुसला कर ले जाने वाले अभियुक्त प्रवीण कुमार जाट को चार साल की सजा सुनाई है.

Intro:जयपुर। पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त मुशाहिद बेग को दस साल की सजा सुनाई है। इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त पर बीस हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है।Body:अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि अभियुक्त और पीडिता का परिवार पहले एक ही मकान में किराए पर रहता था। वर्ष 2016 में पीडिता सुबह स्कूल जा रही थी। रास्ते में अभियुक्त उसका अपहरण कर कारखाने में ले गया और दुष्कर्म कर दिया। वहीं कुछ दिनों बाद अभियुक्त ने एक बार फिर उसका दुष्कर्म किया। जिसके चलते पीडिता गर्भवती हो गई और उसने एक अगस्त 2017 को बच्चे को जन्म दिया। बच्चे के जन्म के बाद पीडिता की ओर से दर्ज कराई रिपोर्ट पर पुलिस ने पांच अगस्त को अभियुक्त को गिरफ्तार किया।
अभियोजन पक्ष के अनुसार पीडिता और उसके परिजनों को पीडिता के गर्भवती होने का ही पता नहीं चला। गर्भ धारण के बाद पीडिता नियमित रूकूल जाती रही। वहीं डीएनए जांच में पीडिता की संतान अभियुक्त की निकली। वहीं दूसरी तरफ पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत ने नाबालिग को बहला फुसला कर ले जाने वाले अभियुक्त प्रवीण कुमार जाट को चार साल की सजा सुनाई है। 


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