जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और एड्स कन्ट्रोल सोसायटी को नोटिस जारी कर पूछा है कि एआरटी सेंटर में एचआईवी ग्रसित की नियुक्ति क्यों नहीं की गई है. मुख्य न्यायाधीश एस रविन्द्र भट्ट और न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश कजोडीराम गुर्जर की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए
याचिका में कहा गया कि एचआईवी एड्स से पीड़ित मरीजों की देखरेख के लिए देशभर में एआरटी सेंटर खोले गए हैं. केन्द्र सरकार की ओर से इन सेंटर्स पर नियुक्ति के लिए निर्देश जारी कर रखे हैं. जिसके तहत सेंटर्स पर तैनात होने वाले कॉर्डिनेटर एचआईवी से पीड़ित होना चाहिए. इसके बावजूद राज्य में इसकी पालना नहीं की जा रही है. वहीं आम व्यक्ति की नियुक्ति करने से एचआईवी पीड़ित की पहचान भी उजागर होने का खतरा रहता है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
पढ़ें: फिर निकला गुर्जर आरक्षण का 'जिन्न', बैंसला बोले- मुगालते में ना रहें गुर्जर विधायक भी
नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले को 10 साल की सजा
पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त मुशाहिद बेग को दस साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त पर बीस हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.
अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि अभियुक्त और पीड़िता का परिवार पहले एक ही मकान में किराए पर रहता था. वर्ष 2016 में पीडिता सुबह स्कूल जा रही थी. रास्ते में अभियुक्त उसका अपहरण कर कारखाने में ले गया और वहां उसने दुष्कर्म किया. वहीं कुछ दिनों बाद अभियुक्त ने एक बार फिर उसका दुष्कर्म किया. जिसके चलते पीड़िता गर्भवती हो गई और उसने एक अगस्त 2017 को बच्चे को जन्म दिया. बच्चे के जन्म के बाद पीड़िता की ओर से दर्ज कराई रिपोर्ट पर पुलिस ने पांच अगस्त को अभियुक्त को गिरफ्तार किया.
पढ़ें: कोटा विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव स्थगित, ये है मामला
डीएनए जांच में पीडिता की संतान अभियुक्त की निकली. वहीं दूसरी तरफ पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत ने नाबालिग को बहला-फुसला कर ले जाने वाले अभियुक्त प्रवीण कुमार जाट को चार साल की सजा सुनाई है.