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राज्यपाल को पद से हटाने की याचिका को सारहीन बताकर HC ने किया खारिज

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Published : Aug 4, 2020, 7:26 PM IST

राज्यपाल के विधानसभा सत्र नहीं बुलाने को लेकर हाईकोर्ट में दायर याचिका को मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने सारहीन बताते हुए खारिज कर दिया.

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राज्यपाल को पद से हटाने की याचिका खारिज

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कैबिनेट की ओर से प्रस्ताव देने के बाद भी राज्यपाल की ओर से विधानसभा का सत्र नहीं बुलाने पर राज्यपाल के खिलाफ दायर याचिका को सारहीन बताते हुए खारिज कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश यह आदेश शांतनु पारीक की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए.

सुनवाई के दौरान मामले में एसके सिंह की ओर से पेश याचिका को वापस लेने पर अदालत ने उसे भी खारिज कर दिया है. अदालत ने कहा कि राज्यपाल सत्र आहूत करने की अनुमति दे चुके हैं. ऐसे में याचिका सारहीन हो गई है. याचिका में कहा गया कि कैबिनेट ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल से गुहार की थी, लेकिन राज्यपाल ने सत्र बुलाने की अनुमति नहीं दी.

पढ़ें- विधायक खरीद-फरोख्त मामले में SOG ने राजद्रोह से जुड़ी तीनों FIR ली वापस

ऐसे में राज्यपाल संविधान के अनुच्छेद 163 सपठित अनुच्छेद 174 के तहत अपना संवैधानिक कर्तव्य निभाने में असफल रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए पूरी प्रक्रिया को बाधित किया है. याचिका में कहा गया कि राज्यपाल की संवैधानिक स्थिति को देखते हुए उन्हें न तो किसी याचिका में पक्षकार बनाया जा सकता है और ना ही कोर्ट उन्हें निर्देश दे सकता है.

इसके बावजूद इस संवैधानिक संरक्षण के दुरुपयोग की अनुमति नहीं दी जा सकती. ऐसे समय में कोर्ट दर्शक की तरह भी नहीं रह सकता. याचिका में यह भी कहा गया कि न्यायपालिका संविधान की सर्वोच्च रक्षक है. इसलिए केंद्र सरकार को निर्देश दिए जाए कि वह राज्यपाल को हटाने के संबंध में राष्ट्रपति को अपनी सिफारिश भेजे.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कैबिनेट की ओर से प्रस्ताव देने के बाद भी राज्यपाल की ओर से विधानसभा का सत्र नहीं बुलाने पर राज्यपाल के खिलाफ दायर याचिका को सारहीन बताते हुए खारिज कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश यह आदेश शांतनु पारीक की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए.

सुनवाई के दौरान मामले में एसके सिंह की ओर से पेश याचिका को वापस लेने पर अदालत ने उसे भी खारिज कर दिया है. अदालत ने कहा कि राज्यपाल सत्र आहूत करने की अनुमति दे चुके हैं. ऐसे में याचिका सारहीन हो गई है. याचिका में कहा गया कि कैबिनेट ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल से गुहार की थी, लेकिन राज्यपाल ने सत्र बुलाने की अनुमति नहीं दी.

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ऐसे में राज्यपाल संविधान के अनुच्छेद 163 सपठित अनुच्छेद 174 के तहत अपना संवैधानिक कर्तव्य निभाने में असफल रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए पूरी प्रक्रिया को बाधित किया है. याचिका में कहा गया कि राज्यपाल की संवैधानिक स्थिति को देखते हुए उन्हें न तो किसी याचिका में पक्षकार बनाया जा सकता है और ना ही कोर्ट उन्हें निर्देश दे सकता है.

इसके बावजूद इस संवैधानिक संरक्षण के दुरुपयोग की अनुमति नहीं दी जा सकती. ऐसे समय में कोर्ट दर्शक की तरह भी नहीं रह सकता. याचिका में यह भी कहा गया कि न्यायपालिका संविधान की सर्वोच्च रक्षक है. इसलिए केंद्र सरकार को निर्देश दिए जाए कि वह राज्यपाल को हटाने के संबंध में राष्ट्रपति को अपनी सिफारिश भेजे.

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