जयपुर. राजस्थान में सियासी घमासान के बीच पहली बार पूर्व मंत्री और पंजाब के प्रभारी हरीश चौधरी का बयान (Harish Chowdhary on Rajasthan Political Crisis) सामने आया है. हरीश चौधरी ने कहा कि पिछले कुछ समय से जो राजनीतिक घटनाक्रम प्रदेश में चल रहा है वह सिर्फ मिस कम्युनिकेशन के कारण हुआ है. इस घटनाक्रम को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आलाकमान के समक्ष अफसोस भी जाहिर किया है.
हरीश चौधरी ने कहा कि पार्टी के अंदर अपनी बात रखने का हक सभी को है. विधायकों का समूह अपनी बात रखना चाह रहा था, लेकिन उन्होंने जो प्रक्रिया अपनाई वह मिस कम्युनिकेशन के कारण हुई. अब पार्टी में चल रहे सभी मसलों को सॉल्व किया जा चुका है. एक बार फिर से सभी लोग एकजुट दिखाई देंगे.
मुख्यमंत्री के पद को लेकर हरीश चौधरी ने कहा कि प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन बनेगा, यह फैसला हर बार आलाकमान ने किया है. इस बार भी आलाकमान ही इस बात का (Harish Chowdhary on new cm of Rajasthan) फैसला करेगा. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वे आलाकमान के साथ हैं और जो भी फैसला आलाकमान करेगा उस पर अपनी सहमति जाहिर करेंगे. विधायकों की ओर से दिए गए इस्तीफे को लेकर हरीश चौधरी ने कहा कि मुझे इस्तीफे के बारे में जानकारी नहीं है ना ही मैंने कोई इस्तीफे की कॉपी अभी तक देखी है.
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उन्होंने कहा कि मैं पार्टी के साथ हूं और मेरे लिए पद गौण है. उन्होंने सीएम गहलोत और सोनिया गांधी की मुलाकात को लेकर कहा कि सीएम गहलोत ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के समक्ष पूरे घटनाक्रम को लेकर अफसोस जाहिर किया है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए कोई भी नॉमिनेशन कर सकता है, लेकिन पद न लेना भी सभी का अधिकार है. हरीश चौधरी ने पिछले कुछ समय पहले पंजाब में हुए घटनाक्रम को लेकर उन्होंने कहा कि वहां के विधायक चाहते थे कि सीएम बदला जाए और इसके बाद ही आलाकमान ने सीएम बदलने का फैसला लिया था. ऐसे में यहां के विधायकों से भी निश्चित तौर से चर्चा की जाएगी और विधायकों को अपनी बात रखने का पूरा मौका दिया जाएगा.
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ओबीसी आन्दोलन कलः ओबीसी आरक्षण में विसंगतियों को दूर करने की मांग को लेकर शुक्रवार को राजधानी में ओबीसी आरक्षण संघर्ष समिति आंदोलन करने जा रही है. जयपुर के शहीद स्मारक पर बड़ी संख्या में युवा शामिल होंगे. पूर्व मंत्री हरीश चौधरी ने आंदोलन की जानकारी देते हुए बताया कि साल 2018 के परिपत्र में संशोधन और सही रोस्टर बनाने की मांग हैं.
उन्होंने बताया कि साल 2018 के संशोधन आदेश को निरस्त करने की मांग को लेकर आंदोलन किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस मामले में ओबीसी आरक्षण संघर्ष समिति के बैनर तले मुख्यमंत्री और प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात हो चुकी है. लेकिन इस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है.