जयपुर. राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को गुरुकुल विश्वविद्यालय सीकर विधेयक को सरकार ने जांच कमेटी की गलत रिपोर्ट के चलते वापस ले (Gurukul University Sikar bill withdrew) लिया, लेकिन इसका असर विधानसभा में आज पारित किए गए सौरव विश्वविद्यालय हिंडौन सिटी विधेयक 2022 और ड्यून्स विश्वविद्यालय जोधपुर विधेयक 2022 पर भी देखने को मिला.
विपक्ष ने इन दोनों बिलों को भी जांच कमेटी पर शक जाहिर करते हुए 6 महीने के लिए स्थगित करने की मांग रखी. इस मांग में भाजपा विधायकों को कम्युनिस्ट पार्टी का भी सहयोग मिला. मंत्री राजेंद्र यादव ने इन दोनों विश्वविद्यालयों को क्लीन चिट देते हुए कहा कि अगर किसी डॉक्टर से कोई ऑपरेशन गलत हो जाए, तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह डॉक्टर ऑपरेशन ही नहीं करेगा. दोनों विधेयक विधानसभा में पास होने के दौरान जबरदस्त हंगामा हुआ. विपक्ष ने मत विभाजन की मांग की, जिसे सभापति ने स्वीकार नहीं किया, तो भाजपा ने इसके विरोध में सदन से वाकआउट कर दिया.
दोनों विश्वविद्यालयों की जांच करने गई कमेटी भी संदिग्ध: राठौड़ ने कहा कि सौरभ विश्वविद्यालय और ड्यून्स विश्वविद्यालय के मामले में भी पहले जांच कर ली जाए. इनकी जांच करने गई कमेटी के सदस्यों पर भी आरोप हैं और उनकी जांच एसीबी में चल रही है. राजेन्द्र राठौड़ ने इन दोनों विश्वविद्यालयों की जांच करने गई जांच समिति के सदस्यों की संपत्ति की जांच करने की मांग रखी.
स्टैंडिंग कमेटी से पहले जांच हो विधेयकों की: भाजपा विधायक अनिता भदेल ने कहा कि जिस गुरुकुल विश्वविद्यालय के बिल पर हम चर्चा करने के लिए तैयार थे, उसकी ऐसी दुर्गति है, तो फिर बाकी बिलों के लिए हम क्या कल्पना कर सकते हैं. भदेल ने दोनों बिल स्थगित करने के साथ ही पहले एक स्टैंडिंग कमेटी बनाने और कमेटी के विजिट करने के बाद ही विधानसभा में रखने की बात कही.
झूठी जांच रिपोर्ट देने वालों को जेल में डाल जाएं: इस मामले में बोलते हुए भाजपा विधायक मदन दिलावर ने कहा कि अगर जांचकर्ता ही बेईमान हो तो, ऐसे जांच करने वालों को जेल में डालना चाहिए, जिन्होंने करोड़ों अरबों रुपए खाकर इस यूनिवर्सिटी को मान्यता देने का प्रयास किया. झूठी जांच रिपोर्ट पेश कर राजस्थान विधानसभा के सदस्यों को बदनाम करने का काम करने वालों को जेल भेजना चाहिए.
सर्वदलीय जांच कमेटी की मांग: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के विधायक बलवान पूनिया ने कहा कि मेरा राजस्थान की सरकार और मंत्री से आग्रह है कि एक सर्वदलीय कमेटी बनाई जाए. उन्होंने कहा कि इस विधेयक के लिए सर्वदलीय समिति बनाएं और पता करें कि स्थिति वास्तव में क्या है और जब तक कमेटी की रिपोर्ट नहीं आये, तब तक इस विधेयक को स्थगित करें.
दस्तावेजों का हो भौतिक सत्यापन करे: भाजपा विधायक रामलाल शर्मा ने भी गुरुकुल विश्वविद्यालय के साथ ड्यून्स विश्वविद्यालय और सौरव विश्वविद्यालय को जोड़ते हुए कहा कि राजस्थान विधानसभा में कई कमेटियां बनी हुई हैं. ऐसे में एक कमेटी ऐसी बनाई जाए जो विश्वविद्यालय से संबंधित दस्तावेजों का भौतिक सत्यापन करे. उसके बाद ही विधेयकों को विधानसभा में रखा जाए.
एक व्यक्ति से गलती हो, तो सजा सबको नहीं: मंत्री राजेंद्र यादव ने कहा कि यदि किसी डॉक्टर से किसी मरीज का ऑपरेशन फेल हो जाए, इसका तात्पर्य यह नहीं है कि वह डॉक्टर अयोग्य है और सर्जरी करना ही बंद कर दे. इसी तरह कुछ विश्वविद्यालय के संबंध में शिकायत प्राप्त हो रही है इसका तात्पर्य यह नहीं है कि सभी निजी विश्वविद्यालय खराब हैं. इस दौरान जब दोनों बिल पास करवाए गए, तो भाजपा की ओर से मत विभाजन की मांग की गई, जिसे सभापति ने अस्वीकार किया तो भाजपा के सदस्यों ने सदन से वाकआउट कर दिया.
गौरतलब है कि राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को गुरुकुल विश्वविद्यालय विधेयक 2022 पारित कराने के लिए रखा गया, लेकिन अंतिम समय में सरकार ने यह विधेयक वापस ले लिया. क्योंकि जिस निजी विश्वविद्यालय स्थापना से जुड़ा विधेयक सदन में पास कराने के लिए रखा गया था, धरातल पर ना तो उसका भवन निर्माण हुआ और ना ही बिल में दी गई जानकारी धरातल पर सही थी. आलम ये रहा कि निजी विश्वविद्यालयों से जुड़ी जिस सरकारी कमेटी ने इस निजी विश्वविद्यालय के इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर अपनी रिपोर्ट दी, वो पूरी तरह गलत थी.
राजस्थान विस. के इतिहास में इतनी बड़ी चूक, इस तरह हुआ खुलासा: राजस्थान विधानसभा के इतिहास में इस तरह का यह अपने आप में काफी बड़ा और गंभीर मामला है, क्योंकि जिस गुरुकुल विश्वविद्यालय विधेयक को सदन में सदस्यों के बीच चर्चा और पारित कराने के लिए सर्कुलर किया गया. उससे पहले भी एक बड़ी और लंबी प्रक्रिया होती है. जिसमें निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए राज्य स्तरीय जांच समिति संबंधित नए विश्वविद्यालय के आवेदन पर उससे जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर की जांच और जो तथ्य दिए गए हैं उसका परीक्षण करती है.
उसी परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट बैठक में संबंधित विश्वविद्यालय स्थापना के लिए मोहर लगाई जाती है. फिर उसके लिए सदन में विधेयक लाया जाता है. लेकिन इस लंबी प्रक्रिया के दौरान किसी को भी इस विश्वविद्यालय की हकीकत की जानकारी नहीं हुई. हालांकि प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने इस विश्वविद्यालय विधेयक में दिए तथ्यों के आधार पर जब मौके पर इसकी जांच की तो पता चला कि जहां यह विश्वविद्यालय स्थापित होने की बात विधेयक में लिखी गई थी, वहां दूर-दूर तक कोई निर्माण था ही नहीं. संबंधित क्षेत्र के पटवारी से जब इसकी जानकारी ली, तो वह स्थान भी सीकर रोड पर अन्य जगह पर मिला. लेकिन वहां निर्माण के नाम पर कुछ नहीं था.
राठौड़ ने उस स्थान पर खड़े होकर सबूत के रूप में कुछ फोटो लिए और उससे मंगलवार सुबह विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी को अवगत कराया. जोशी ने भी संबंधित जिला कलेक्टर से इस मामले की स्पेशल रिपोर्ट मांगी. जब रिपोर्ट सामने आई तो इस पूरे मामले का खुलासा हो गया और सदन में उच्च शिक्षा मंत्री राजेंद्र यादव ने गुरुकुल विश्वविद्यालय सीकर 2022 विधेयक वापस ले लिया.
पढ़ें: सदन में उठा 45 वर्षों से बंद देवनारायण मंदिर का मसला, दिलावर ने कहा- यह सरकार हिन्दू विरोधी...
राठौड़ और कटारिया ने लगाए करोड़ों के लेनदेन के आरोप : सदन में जब यह विधेयक वापस लिए जाने की प्रक्रिया चल रही थी, तब नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने इस मामले में करोड़ों रुपए के लेनदेन का आरोप भी लगाया. राठौड़ ने कहा जिस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में इस विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए तथ्यात्मक रूप से गलत जानकारी दी. यह इस बात का सबूत है कि इस पूरे प्रकरण में समिति सदस्यों और अन्य ने चांदी कूटने का काम किया है. राठौड़ ने यह भी कहा कि यह केवल एक निजी विश्वविद्यालय का विषय नहीं है, बल्कि पूर्व में स्थापित की गई अन्य निजी विश्वविद्यालयों का भी यही हाल रहा होगा. क्योंकि इसी कमेटी की रिपोर्ट पर सदन में नए निजी विश्वविद्यालयों के विधायक आए थे. कटारिया ने कहा की निजी विश्वविद्यालय के इस विधेयक में 17247 वर्ग मीटर में कंस्ट्रक्शन की बात कही गई, लेकिन मौके पर अभी तो जमीन लेवल करने का काम चल रहा है. ठीक से बाउंड्री तक नहीं बनी. यहां तक कि कई प्रकार के खेल मैदान, प्रयोगशाला भवन और फैकल्टी के रहने के भवन के निर्माण की बात भी झूठी निकली.
कटारिया ने कहा निजी विश्वविद्यालयों के लिए जो कमेटी बनी है उसकी सदारत सुखाड़िया विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर अमेरिका सिंह कर रहे हैं, जो खुद फर्जी डिग्री के आधार पर विश्वविद्यालय में कुलपति बनाए गए हैं. कटारिया ने कहा मैंने पूर्व में भी अमेरिका सिंह के फर्जी दस्तावेज के आधार पर कुलपति बनने का मामला उठाया था, तब उच्च शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया था कि इस पूरे मामले की जांच के लिए कमेटी बनाएंगे और जरूरत पड़ी तो एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी. लेकिन अब तक ना ही कमेटी बनी और ना ही जांच शुरू हुई. कटारिया ने कहा कि बिना लेनदेन के यह पूरा काम हो नहीं सकता. इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराकर इसमें लिप्त दोषी अधिकारियों और अन्य पर सख्त कार्रवाई हो ना चाहिए.
स्पीकर जोशी ने दिये यह निर्देश: सदन में विधानसभा अध्यक्ष और स्पीकर डॉ सीपी जोशी ने भी इस घटना को गंभीर माना और कहा कि सरकार ऐसा सुनिश्चित करे कि भविष्य में इस प्रकार की कोई घटना ना हो और जो भी इस प्रकार के प्रकरण में दोषी हो, उसकी जानकारी और जांच करवा कर सख्त कार्रवाई करें.
निजी विश्वविद्यालयों की जांच के लिए कमेटी में लिए है शामिल: राज्य सरकार ने जिस जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर गुरुकुल विश्वविद्यालय सीकर विधेयक 2022 राजस्थान विधानसभा में रखा गया, उस कमेटी में अध्यक्ष सुखाड़िया विश्वविद्यालय के कुलपति अमेरिका सिंह हैं. सदस्य के रूप में इसी विश्वविद्यालय के संकाय अध्यक्ष राजस्थान विश्वविद्यालय के सह आचार्य और राजकीय विधि महाविद्यालय अलवर के सह आचार्य को शामिल किया गया है. भाजपा विधायकों का आरोप है कि इस कमेटी में शामिल सदस्यों पर सख्त कार्रवाई हो. भाजपा ने इस कमेटी और इसमें शामिल सदस्यों पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए.