ETV Bharat / city

Independence Day Special: उन बंदूकों की कहानी, जिन्हें आजादी की लड़ाई में सैनिकों ने किया था इस्तेमाल

आजादी की लड़ाई में कोरबा रियासत के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. कोरबा रियासत और आजाद हिंद फौज के कई वीर सपूतों ने मुल्क के लिए अपनी जान की कुर्बानी दी. रियासत के जिन सैनिकों ने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी. आज हम आपको इन्हीं सैनिकों की बंदूकों की कहानी बताएंगे.

author img

By

Published : Aug 14, 2019, 11:31 AM IST

Guns used in freedom fight are present in museum of korba

कोरबा/जयपुर. 48 बंदूकें निशानी के तौर पर आज भी जिला संग्रहालय में मौजूद हैं. ये बंदूकें आजाद हिंद फौज में रहे कोरबा के सैनिकों और यहां के जमींदारों याद हमें दिलाती हैं.

जिला संग्रहालय में 19वीं शताब्दी की कई नायाब बंदूकें मौजूद हैं. कहा यह भी जाता है कि 18वीं और 19वीं शताब्दी में दो नली वाली बंदूकें प्रचलन में थी इसलिए सैनिकों के साथ-साथ कुछ लोग रौब के लिए भी इन्हें अपने पास रखते थे.

उन बंदूकों की कहानी, जिन्हें आजादी की लड़ाई में सैनिकों ने किया था इस्तेमाल

पढ़े- आजादी 'काले पानी' से : पंजाब से बहकर आता 'काला जहर'...

जिला संग्रहालय में रखी हैं बंदूकें
यहां के वीर सैनिकों की बंदूकें पहले बिलासपुर में रखी थीं, बाद में इन्हें कोरबा जिला संग्रहालय लाया गया. इन बंदूकों को अलग-अलग समय में अलग-अलग जगहों से जब्त किया गया था. सबसे पहले बंदूकें 1962 में जब्त हुई थी, और आखिरी बार 1997 में छुरी इलाके में बंदूकें मिली थीं, जिन्हें जिला प्रशासन ने संग्रहालय में रखा था.

कोरबा/जयपुर. 48 बंदूकें निशानी के तौर पर आज भी जिला संग्रहालय में मौजूद हैं. ये बंदूकें आजाद हिंद फौज में रहे कोरबा के सैनिकों और यहां के जमींदारों याद हमें दिलाती हैं.

जिला संग्रहालय में 19वीं शताब्दी की कई नायाब बंदूकें मौजूद हैं. कहा यह भी जाता है कि 18वीं और 19वीं शताब्दी में दो नली वाली बंदूकें प्रचलन में थी इसलिए सैनिकों के साथ-साथ कुछ लोग रौब के लिए भी इन्हें अपने पास रखते थे.

उन बंदूकों की कहानी, जिन्हें आजादी की लड़ाई में सैनिकों ने किया था इस्तेमाल

पढ़े- आजादी 'काले पानी' से : पंजाब से बहकर आता 'काला जहर'...

जिला संग्रहालय में रखी हैं बंदूकें
यहां के वीर सैनिकों की बंदूकें पहले बिलासपुर में रखी थीं, बाद में इन्हें कोरबा जिला संग्रहालय लाया गया. इन बंदूकों को अलग-अलग समय में अलग-अलग जगहों से जब्त किया गया था. सबसे पहले बंदूकें 1962 में जब्त हुई थी, और आखिरी बार 1997 में छुरी इलाके में बंदूकें मिली थीं, जिन्हें जिला प्रशासन ने संग्रहालय में रखा था.

Intro:कोरबा रियासत के लोगों ने भी देश की आजादी के लिए कम पसीना नहीं बहाया। कोरबा रियासत से भी कई वीर सपूत निकले जिन्होंने देश के लिए अपनी जान की कुर्बानी दी। इसमें से कई ऐसे सैनिक थे जिन्होंने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी। करीब सैकड़ों की संख्या में रियासत से सैनिक लड़ाई लड़ने गए थे। इन्हीं सैनिकों के बंदूकों की कहानी हम आपको बताएंगे।


Body:सैंकड़ों बंदूकों में से वर्तमान में कुल 48 बंदूकें निशानी के रूप में जिला संग्रहालय में आज भी मौजूद हैं। जिले में उल्लेख 5 जमींदारियों की बंदूकें यहाँ मौजूद हैं। आज़ाद हिंद फौज में रहे कोरबा के सैनिकों की ये बंदूक उस ज़माने में हमारे सैनिकों के वीरता का प्रमाण देती हैं। जिला संग्रहालय में 19वीं शताब्दी की कई नायाब बंदूकें मौजूद हैं। दरअसल, कहा यह भी जाता है कि 18वीं और 19वीं शताब्दी में दो नली वाली बंदूकें प्रचलन में थी इसलिए सैनिक इसे लड़ाई के लिए और कुछ लोग रौब के लिए रखते थे।


Conclusion:कोरबा जिले से जुड़ी बंदूकें बिलासपुर जिले में रखी हुई थी। बाद में जिले से जुड़ी बंदूकों को कोरबा जिला संग्रहालय में लाया गया। यह सभी बंदूकें अलग अलग समय में अलग अलग जगहों से जब्त की गई थी। सबसे पहले बंदूकें 1962 में जब्त हुई थी, और आखिरी बार 1997 में छुरी में बंदूकें मिली थी जहां से जिला प्रशासन ने इन्हें जब्त कर जिला संग्रहालय लाया था।
बाइट- हरि सिंह क्षत्रिय, इतिहासकार
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.