जयपुर. कटारिया ने अपने पत्र में लिखा कि इस मामले में सहायक अभियंता हरमीत सिंह ने 2 प्रतिशत के हिसाब से रिश्वत मांगी थी और एंटी करप्शन ब्यूरो के अधिकारियों ने उसे रंगे हाथ पकड़ भी लिया. आरोपी से पूछताछ में रिश्वत की राशि अधीक्षण अभियंता रिछपाल सिंह के लिए ली जाने के बात भी कही और उनकी कार से 3,30,000 रुपये भी बरामद भी किए. एसीबी अधिकारियों ने इस मामले की सत्यापन भी किया.
कटारिया ने कहा कि इस मामले में मीडिया और समाचार पत्रों में भी 7 सितंबर को खबरें छपीं, जिसमें अधीक्षण अभियंता रिछपाल सिंह को एसीबी ने हिरासत में लिया गया बताया गया. लेकिन एसीबी की सरकारी वेबसाइट प्रेस रिलीज में ये प्रकरण दर्ज होना नहीं बताया जाता है. कटारिया ने कहा कि मुझे जो जानकारी प्राप्त हुई है, उसमें एसीबी ने इस प्रकरण को ठंडे बस्ते में डाल दिया है और न जानें किन कारणों से अधीक्षण अभियंता रिछपाल सिंह को हिरासत में लेने के बाद भी छोड़ दिया गया जो एसीबी के अधिकारियों की मिलीभगत को जाहिर करता है.
गुलाबचंद कटारिया ने अपने पत्र के साथ इस मामले की खबरों की कटिंग भी भेजी और आगे कहा कि इस संबंध में बिना कोई भेदभाव किए भ्रष्टाचार में पकड़े गए दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए मुझे भी अवगत कराए. कटारिया ने लिखा कि ऐसे गंभीर प्रकरण में अधिकारियों की संलिप्तता हो ना भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला है और इतने बड़े भ्रष्टाचार को दबाने की कोशिश की जा रही है.
नेता प्रतिपक्ष के अनुसार शिक्षा विभाग के समग्र शिक्षा अभियान के तहत लगभग 100 करोड़ रुपये के भवन निर्माण का कार्य कराए जाते हैं. ऐसे में इस संबंध में हो रहे भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई होना चाहिए.