जयपुर. प्रदेश में एक बार फिर एमबीसी आरक्षण की आग भड़क सकती है. प्रदेश में 5 फीसदी आरक्षण का पूरा लाभ अब तक नहीं मिलने से नाराज गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति ने प्रदेश सरकार को 15 दिन और एमबीसी आरक्षण संविधान को नौवीं अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग पर केंद्र सरकार को 1 महीने का अल्टीमेटम दिया है.
वहीं, मांग पूरी नहीं होने पर आंदोलन की आग भड़कने की संभावना है, क्योंकि गुर्जर बाहुल्य क्षेत्रों में गुर्जर समाज की बैठकों का दौर शुरू हो चुका है. इसी मामले को लेकर गुर्जर सहित 5 जातियों की अलग-अलग बैठक ले रहे कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के पुत्र विजय बैंसला ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.
ये हैं इनकी प्रमुख मांगें...
- साल 2011 से जो 4 फीसदी एमबीसी में रिजर्व पद रखे गए हैं, उसमें भर्ती की जाए.
- ऑन गोइंग भर्तियां हैं उनमें 5 फीसदी एमबीसी आरक्षण का लाभ दिया जाए.
- देवनारायण योजना के क्रियान्वयन की मांग.
- कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में इस समाज से जो वादे किए थे वो पूरा करें.
- पूर्व में आंदोलन में जो केस हुए, उन्हें वापस लिया जाए.
- केंद्र सरकार को एमबीसी आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए भेजे गए पत्र पर तुरंत कार्रवाई हो.
'नौवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया तो दिल्ली का होगा घेराव'
गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति से जुड़े विजय सिंह बैंसला ने साफ तौर पर कहा कि समिति ने केंद्र सरकार को 1 महीने का अल्टीमेटम दिया है और अल्टीमेटम की तारीख 12 सितंबर से शुरू हो चुकी है. यदि सकारात्मक परिणाम नहीं आए तो ना केवल राजस्थान बल्कि देशभर के गुर्जर समाज और एमबीसी में शामिल सभी पांचों जातियों के लोग दिल्ली की तरफ कूच करेंगे. विजय बैंसला ने यह भी कहा कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से निवेदन करते हैं कि वह इस दिशा में सकारात्मक निर्णय करें. उन्होंने साथ ही आंदोलन की चेतावनी दी.
आंदोलन की चेतावनी
गुर्जर नेता विजय बैंसला का कहना है कि प्रदेश सरकार इस प्रकार की कोई नौबत ही ना आने दें कि समाज को आंदोलन की राह पकड़ना पड़े. उन्होंने कहा कि हम कोई नई चीज नहीं मांग रहे हैं बल्कि जो वादा प्रदेश सरकार ने किया था उसी को याद दिला रहे हैं कि अब तो उसे पूरा कर दो. विजय बैंसला ने यह भी कहा कि समाज नहीं चाहता कि सड़कों पर उतरे और उन लोगों के लिए परेशानी का सबब बने.
पायलट के प्रश्न पर बोले बैंसला- बहुत देर कर दी सनम आते-आते
पिछले दिनों पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा था. जब यही सवाल विजय बैंसला से पूछा गया कि उसका क्या असर होगा और इस पत्र को किस दृष्टि से देखते हैं तो उन्होंने कहा कि पत्र ना लिखें और पत्र लिखने से कुछ नहीं होता है. सचिन पायलट से जुड़े सवाल के जवाब में बैंसला ने यह भी कहा कि बहुत देर कर दी सनम आते-आते.
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साथ ही एक बैंसला ने कहा कि दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करे ना कोई, जो सुख में सुमिरन करे तो फिर दुख काहे को होय. उन्होंने कहा कि यह केवल किसी एक व्यक्ति का मामला नहीं है, लेकिन समाज से आने वाले दोनों ही प्रमुख पार्टियों के जनप्रतिनिधियों ने भी क्या किया. जब विधायकों को होटल में बाड़ेबंदी के तहत रखा गया तब समाज के विधायक पत्र लिखकर दे देते कि मांग को पूरा करो वरना हम साथ नहीं देंगे.
विजय बैंसला ने कहा कि इससे तो समाज की मांग और वादा जो सरकार ने पूर्व में किया था वह पूरा हो जाता. लेकिन तब भी किसी विधायक ने ऐसा नहीं किया. यही कारण है कि अब समाज को सरकार के वादे को याद दिलाने के लिए आंदोलन करना पड़ेगा, लेकिन हम चाहते हैं कि इसकी नौबत ना आए.
'कर्नल बैंसला बीजेपी में लेकिन ये समाज का मुद्दा, इसलिए समाज के लिए तो खड़ा होना होगा'
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने लोकसभा चुनाव के दौरान ही भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली थी और उनके पुत्र भी बीजेपी ज्वाइन कर चुके हैं. ऐसे में अब जो आंदोलन को लेकर चेतावनी दी जा रही है, उसमे बड़ा सवाल यही है कि पार्टी विशेष से जुड़े होने के बावजूद क्या वो समाज से जुड़े मामला पुरजोर तरीके से उठा पाएंगे या इसके पीछे भी कोई सियासत है.
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इसके जवाब में विजय बैंसला ने साफ तौर पर कहा कि ना केवल कर्नल बल्कि मैं भी बीजेपी से जुड़ा हूं, लेकिन समाज के लिए कहीं तो आकर खड़ा होना ही होगा. उन्होंने कहा कि हमारे लिए पहले राष्ट्र है और फिर समाज. राष्ट्र के लिए हमने पहले अपना आंदोलन स्थगित कर दिया था, लेकिन अब समाज की बारी है और ऐसे हम प्रधानमंत्री से मांग ही तो कर रहे हैं कि जो वादे थे उसे पूरा कर दें और एमबीसी आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल कर दें.
'हम चर्चा करने में नहीं यथार्थ करने में विश्वास करते हैं'
विजय बैंसला से जब पूछा गया कि यदि सरकार आपके मांगों पर खरी नहीं उतर पाई या कोई सकारात्मक आश्वासन ये काम नहीं हुआ तो समाज क्या करेगा. तब बैंसला ने कहा कि इस बार हम चर्चा नहीं यथार्थ करने में विश्वास करेंगे और क्या कुछ होगा वह सबके सामने आ जाएगा.
'पंचायती राज चुनाव को इस आंदोलन से ना जोड़ें'
आंदोलन की चेतावनी उस समय दी जा रही है, जब प्रदेश में पंचायत राज चुनाव होने हैं. इस बारे में जब विजय बैंसला से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस मामले को पॉलिटिक्स से ना जोड़ें क्योंकि यह पूरा मामला समाज से जुड़ा है. उन्होंने कहा कि ऐसे भी पंचायत राज चुनाव छोटे चुनाव हैं, लेकिन जब सरकार पंचायत राज चुनाव करवा रही है तो एमबीसी के मांगे भी पूरी करवा दें.