जयपुर: बीते दिनों शहर में हुई बारिश ने सड़कों को छलनी कर दिया. राजधानी में JDA और नगर निगम प्रशासन हर साल तकरीबन 300 करोड़ रुपए सड़कों पर खर्च करता है. लेकिन शहर की सड़कें (Potholes In Jaipur) अपने कार्य की गुणवत्ता की कहानी खुद बयां कर रही हैं. पोश एरिया सी स्कीम, मालवीय नगर, जगतपुरा हो या फिर चारदीवारी में बसा पुराना शहर, इनकी सड़कें खुद पूछने लगी हैं कि आखिर वो गड्ढों से कब स्वतंत्र होंगी.
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300 करोड़ पानी में: राजधानी में जेडीए हर साल करीब 200 करोड़ और निगम 100 करोड़ रुपए सड़कों पर खर्च (Potholes In Jaipur) करता है. हर साल 300 करोड़ रुपए से बनने वाली सड़कें बारिश में दम तोड़ देती हैं. यानी जगह जगह से उखड़ जाती हैं. और उसके बाद फिर सड़कों पर अच्छा खासा बजट खर्च किया जाता है. जिम्मेदार ना तो जलभराव को रोकने का काम करते हैं और न ही इस विकट समस्या का समाधान खोजने की ईमानदार कोशिश नजर आती है.
शिकायतें पेंडिंग, पैच वर्क से चल रहा काम!: वॉल सिटी में ब्रह्मपुरी, चांदी की टकसाल, रामगढ़ मोड़, जबकि शहर के मुख्य मार्गों में शामिल सी स्कीम, सहकार मार्ग, क्वींस रोड, मालवीय नगर, सांगानेर, जगतपुरा ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पानी भरने की हर बार शिकायत आती है. हालांकि निगम प्रशासन हो या जेडीए प्रशासन मानसून के बाद सड़कों की मरम्मत और इन्हें दुरुस्त करने की बात जरूर कह रहा है. फिलहाल ठंडी डामर (बीटूमीन) से पैच वर्क कर काम चलाया जा रहा है. हालांकि दोनों निगम में सड़कों से जुड़ी 150 से ज्यादा शिकायतें पेंडिंग हैं. इसके साथ ही ड्रेनेज सिस्टम (Drainage System) सुधारने की भी मांग उठ रही है ताकि जिन जगहों पर पानी भरता है, वहां पानी की निकासी व्यवस्थित हो.
किसको बचा रहे 'सरकार': भ्रष्टाचार की बात से इनकार नहीं किया जा सकता. सड़कों के उधड़ने के साथ ही भ्रष्टाचार की परतें भी खुल रही हैं. जेडीए और निगम प्रशासन सड़कों को किससे, कहां और कब बनवाता है? इसकी जानकारी किसी भी वेबसाइट पर साझा नहीं की गई है. जेडीए ने अपनी वेबसाइट (JDA Website) पर जोन वाइज सड़क निर्माण (Zone Wise) की जानकारी जरूर दी है लेकिन इसी जानकारी के अनुसार वर्ष 2018 से कोई सड़क पूरी बनाई ही नहीं गई है. दो निगम होने के बावजूद निगम प्रशासन अभी पुराने जोन के हिसाब से ही काम कर रहा है. वेबसाइट के अनुसार 2018 के बाद कोई नई सड़क निगम ने बनाई ही नहीं है. यानी तकरीबन 3 साल से जेडीए और निगम ने किसी भी सड़क का कोई खाका नहीं खींचा है, जबकि अधिकतर सड़कों का डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड (Defect Liability Period) खत्म हो चुका है. ऐसे में जेडीए और निगम के अभियंता शाखा कहीं ना कहीं सड़क बनाने वाली प्रमुख फर्मों को बचाती हुई दिखाई देती है.
सड़कों पर हुए गड्ढे न केवल वाहन चालक बल्कि पैदल राहगीरों के लिए भी परेशानी का सबब बने हुए हैं. इन गड्ढों में बारिश के दौरान पानी भरने से हादसा होने का भी डर बना रहता है, लेकिन जेडीए और निगम प्रशासन की कार्यशैली ढाक के तीन पात बनी हुई है.