जयपुर. कोरोना वायरस के चलते लागू हुए लॉकडाउन अवधि में आमजन की दिनचर्या के साथ-साथ उनके विचारों पर भी गहरा प्रभाव डाला है. महामारी के इस प्रकोप के बीच कई सालों से चली आ रही पुरानी परंपराओं को भी बदल दिया है. शादी-समारोह में इसका सबसे बड़ा प्रभाव देखने को मिल रहा है और लोगों के दिमाग से दहेज रूपी वायरस कम होता जा रहा है. यही वजह है की जयपुर के श्रवण सारस्वत ने शगुन में 1 रुपया लेकर एक मिसाल पेश की है. श्रवण का ये विवाह का संकल्प दहेज लोभियों के मुंह पर एक तमाचा है, जो दहेज के लिए वधु पक्ष पर अपना रुतबा थोपते हैं.
शहर के गंगोत्री नगर निवासी 28 वर्षीय श्रवण सारस्वत का शनिवार को लग्न टीका आया. इस दौरान शगुन की थाली में सिर्फ एक रुपए और नारियल लेकर उन्होंने बड़ों का आशीर्वाद लिया. इस दौरान वर श्रवण सारस्वत ने कहा कि, बेटी बचाओ-बेटी स्मृति बनाओ कि सोच को मजबूत करने के लिए उन्हें अपने पिता मनमोहन सारस्वत से प्रेरणा मिली. दहेज प्रथा समाज के लिए एक श्राप है. समाज के हर एक युवा को आगे आना चाहिए और इस श्राप को जड़ से उखाड़ देना चाहिए. क्योंकि कई ऐसे माता-पिता हैं जो दहेज देने में असमर्थ होते हैं. जबकि दहेज के लोभी जबरन दहेज की मांग करते हैं.
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वहीं दहेज के भय से कन्या भूर्ण हत्या और दहेज हिंसा अभिशाप की तरह हैं. वधु के पिता अशोक सेंगल ने सभी युवाओं से अपील करते हुए कहा कि, सभी इस पहल के साथ आगे आएं. बता दें कि श्रवण सारस्वत का पेपर होल सेल का व्यापार है. उनके पिता मनमोहन सारस्वत भी इसी व्यापार को संभालते हैं. श्रवण की शादी भरतपुर के बरई बसेड़ी में तय हुई है. वहीं शादी 29 जून को होनी है, लेकिन शनिवार को लग्न टीका आया, जिसमें सिर्फ 1 रुपया श्रवण ने स्वीकार किया. श्रवण की पत्नी अंकिता सेंगर एमएससी की पढ़ाई कर रही हैं.
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श्रवण के पिता मनमोहन सारस्वत ने कहा कि, बेटे का दहेज नहीं लेने का फैसला समाज के हर एक युवा के लिए सीख है, जो मजबूरन बेटी वालों से दहेज की मांग करते हैं. हमें अंकिता बेटी जैसी बहू मिली है, जिसको हम पढ़ा लिखाकर कामयाब बनाएंगे. वहीं इस दौरान शादी समारोह में भी सरकारी आदेशों की अनुपालना करते हुए सोशल डिस्टेंसिग की पालन भी की गई. समारोह में आए मेहमानों के मुंह पर मास्क और हाथो में सेनेटाइजर भी देखे गए. वहीं नियम अनुसार सिर्फ 50 व्यक्ति ही समारोह में शामिल हुए.
बड़े से लेकर छोटे स्तर तक हर व्यक्ति अब शादी-ब्याह में फिजूल खर्च से बचता दिखाई दे रहा है, जो समाज की एक अच्छी सोच है. साथ ही नई परंपरा को जन्म देने का संकेत दे रहा है. इसी सोच के जरिए श्रवण सारस्वत ने देश में मात्र 1 नेक लेकर दहेज की कुप्रथा को ठेंगा दिखाया, जिससे समाज में एक पॉजिटिव संदेश जायेगा.