जयपुर. नगर निगम प्रशासन शहर वासियों को गीला और सूखा कचरा अलग-अलग रखने के लिए ताकीद तो करता है, लेकिन डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाले हूपरों में ये व्यवस्था नदारद रहती है. यही नहीं ग्रेटर नगर निगम मेयर के दौरे में प्रधान मार्ग जैसे प्रमुख से एरिया में भी सफाई के हालात बदतर नजर आए. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि आखिर स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 में जयपुर की रैंक कैसे सुधरेगी. इसी सवाल का जवाब ढूंढने के लिए बुधवार को मेयर डिप्टी मेयर और कमिश्नर ने संयुक्त रूप से सफाई व्यवस्था और स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर बैठक की.
स्वच्छ सर्वेक्षण में अच्छी रैंक हासिल करने के लिए निगम प्रशासन अक्सर जनता को जिम्मेदार ठहराता है. कचरे को सेग्रीगेट करने का पाठ पढ़ाया जाता है, लेकिन हकीकत ये है कि हेरिटेज हो या ग्रेटर नगर निगम डोर टू डोर कचरा संग्रहण का काम करने वाली बीवीजी कंपनी के हूपर में गीला और सूखा कचरा अलग-अलग एकत्रित करने की कोई व्यवस्था ही नहीं है. चूंकि इस बार सर्वेक्षण में इस पर विशेष ध्यान रखा जाएगा. ऐसे में ग्रेटर नगर निगम प्रशासन ने कमर कसते हुए मंथन का दौर शुरू किया.
बुधवार को मेयर की अध्यक्षता में सफाई व्यवस्था और स्वच्छ सर्वेक्षण को लेकर बैठक हुई, जिसमें उपमहापौर और कमिश्नर भी मौजूद रहे. इस दौरान सूखा और गीला कचरा सेग्रीगेट कर डिस्पोज प्रमुख बाजारों में नाइट स्वीपिंग और डोर टू डोर कचरा संग्रहण से जुड़ी शिकायतों की के त्वरित निस्तारण के निर्देश दिए गए. साथ ही स्वच्छ सर्वेक्षण के 6000 अंक में से ज्यादा से ज्यादा कैसे लाए जा सके, इस पर भी विचार विमर्श किया गया. साथ ही प्रेजेंटेशन के माध्यम से स्वच्छ सर्वेक्षण में अंकों और उनके कंपोनेंट्स को प्रस्तुत किया गया. इसके साथ ही सभी उपायुक्तों को क्षेत्र में निकलने और नियमित मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए गए.
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बैठक में लक्ष्य निर्धारित किया गया कि पिछली दफा आई 28वीं रैंक से बेहतर रैंक लाई जाएगी. साथ ही पार्षदों को साथ लेकर जनता को भी जागरूक करने के लिए कैंपेन चलाए जाए. इससे पहले कमिश्नर ने निगम के वित्तीय प्रबंधन के सुदृढ़ीकरण के लिए भी अधिकारियों की बैठक ली.