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गहलोत सरकार का बड़ा निर्णय, GPF ब्याज दर में नहीं होगी कटौती

सरकार ने प्रदेश के करीब साढ़े 12 लाख कर्मचारियों और पेंशनर्स को बड़ी राहत देते हुए GPF की ब्याज दरों में कटौती नहीं करने का निर्णय लिया है. सरकार ने जीपीएफ, सीपीएफ और अन्य बचत योजनाओं की ब्याज दरें स्थिर रखी है.

GPF interest rate will not be cut ,  Gehlot government decision
गहलोत सरकार का बड़ा निर्णय
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Published : Aug 5, 2020, 9:07 PM IST

जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार भले ही कोरोना काल में आर्थिक संकट से जूझ रही हो, लेकिन उसके बावजूद सरकार ने प्रदेश के करीब साढे 12 लाख कर्मचारियों और पेंशनर्स को बड़ी राहत देते हुए जीपीएफ (General Provident Fund) की ब्याज दरों में कटौती नहीं करने का साहसिक निर्णय ले लिया है. सरकार ने जीपीएफ, सीपीएफ और अन्य बचत योजनाओं की ब्याज दरें स्थिर रखी है.

गहलोत सरकार का बड़ा निर्णय

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोरोना काल में सरकारी कर्मचारियों ओर पेंशनर्स को बड़ी राहत दी है. गहलोत सरकार ने जीपीएफ (General Provident Fund), सीपीएफ (Central Provident Fund) और अन्य बचत योजनाओं में ब्याज दरें स्थिर रखी है. जीपीएफ, सीपीएफ और अन्य बचत योजनाओं में ब्याज दर 7.1 प्रतिशत ही रहेगी.

पढ़ें- सीएम गहलोत ने VC के जरिए 151 कर्मचारी संगठनों से किया संवाद

वित्त विभाग की ओर से जारी परिपत्र के अनुसार सरकार ने ब्याज दरों में कटौती नहीं करने का निर्णय लिया है. सरकार के इस निर्णय से करीब 12.50 लाख सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों को बड़ी राहत मिली है. सरकार ने इससे पहले 30 अप्रैल, 2020 को जीपीएफ और सीपीएफ के तहत जमा राशि पर मिलने वाली ब्याज दर में 0.8 फीसदी की कटौती की थी. इस कटौती से सरकारी कर्मचारियों को बड़ा झटका लगा था. सरकार ने ब्याज दर घटाकर 7.1 फीसदी कर दी थी, इससे पहले यह ब्याज दर 7.9 फीसदी थी.

विभाग के परिपत्र अनुसार नई दरें 1 जुलाई, 2020 से लागू होगी और 30 अक्टूबर, 2020 तक प्रभावी रहेगी. बता दें कि राज्य में जीपीएफ पर मिलने वाली ब्याज दर की समीक्षा हर 3 महीने में की जाती है. कोरोना वायरस के कारण इससे पहले भी राज्य और केंद्र सरकार ब्याज दरों में कटौती कर चुकी है. इस बार भी कटौती करने का खतरा मंडरा रहा था, लेकिन सरकार ने कर्मचारियों के हित में फिलहाल ब्याज दरें स्थिर रखने का निर्णय लिया है.

पढ़ें- सियासी संग्राम में नेता मस्त, विकास की रफ्तार सुस्त, अधिकारी अलग कन्फ्यूजन में!

गहलोत सरकार ने कोरोना काल में आर्थिक संकट को झेलने के बावजूद भी प्रदेश के कर्मचारियों और पेंशनर्स को बड़ी राहत दी है. राजस्थान में करीब 8 लाख कर्मचारी हैं, जबकि 4.50 लाख से अधिक पेंशनर हैं, जिन्हें सरकार के इस निर्णय का सीधे तौर पर फायदा मिलेगा.

क्या है जीपीएफ...

GPF यानी जनरल प्रोविडेंट फंड (General Provident Fund). कर्मचारी अपनी सैलरी में से न्यूनतम 6 फीसदी हिस्सा इसमें जमा कर सकते हैं, जिसे वे अपने रिटायरमेंट के समय निकाल सकते हैं. इस योजना में जमा पैसे और ब्याज दर को टैक्स के दायरे से बाहर रखा है.

जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार भले ही कोरोना काल में आर्थिक संकट से जूझ रही हो, लेकिन उसके बावजूद सरकार ने प्रदेश के करीब साढे 12 लाख कर्मचारियों और पेंशनर्स को बड़ी राहत देते हुए जीपीएफ (General Provident Fund) की ब्याज दरों में कटौती नहीं करने का साहसिक निर्णय ले लिया है. सरकार ने जीपीएफ, सीपीएफ और अन्य बचत योजनाओं की ब्याज दरें स्थिर रखी है.

गहलोत सरकार का बड़ा निर्णय

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोरोना काल में सरकारी कर्मचारियों ओर पेंशनर्स को बड़ी राहत दी है. गहलोत सरकार ने जीपीएफ (General Provident Fund), सीपीएफ (Central Provident Fund) और अन्य बचत योजनाओं में ब्याज दरें स्थिर रखी है. जीपीएफ, सीपीएफ और अन्य बचत योजनाओं में ब्याज दर 7.1 प्रतिशत ही रहेगी.

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वित्त विभाग की ओर से जारी परिपत्र के अनुसार सरकार ने ब्याज दरों में कटौती नहीं करने का निर्णय लिया है. सरकार के इस निर्णय से करीब 12.50 लाख सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों को बड़ी राहत मिली है. सरकार ने इससे पहले 30 अप्रैल, 2020 को जीपीएफ और सीपीएफ के तहत जमा राशि पर मिलने वाली ब्याज दर में 0.8 फीसदी की कटौती की थी. इस कटौती से सरकारी कर्मचारियों को बड़ा झटका लगा था. सरकार ने ब्याज दर घटाकर 7.1 फीसदी कर दी थी, इससे पहले यह ब्याज दर 7.9 फीसदी थी.

विभाग के परिपत्र अनुसार नई दरें 1 जुलाई, 2020 से लागू होगी और 30 अक्टूबर, 2020 तक प्रभावी रहेगी. बता दें कि राज्य में जीपीएफ पर मिलने वाली ब्याज दर की समीक्षा हर 3 महीने में की जाती है. कोरोना वायरस के कारण इससे पहले भी राज्य और केंद्र सरकार ब्याज दरों में कटौती कर चुकी है. इस बार भी कटौती करने का खतरा मंडरा रहा था, लेकिन सरकार ने कर्मचारियों के हित में फिलहाल ब्याज दरें स्थिर रखने का निर्णय लिया है.

पढ़ें- सियासी संग्राम में नेता मस्त, विकास की रफ्तार सुस्त, अधिकारी अलग कन्फ्यूजन में!

गहलोत सरकार ने कोरोना काल में आर्थिक संकट को झेलने के बावजूद भी प्रदेश के कर्मचारियों और पेंशनर्स को बड़ी राहत दी है. राजस्थान में करीब 8 लाख कर्मचारी हैं, जबकि 4.50 लाख से अधिक पेंशनर हैं, जिन्हें सरकार के इस निर्णय का सीधे तौर पर फायदा मिलेगा.

क्या है जीपीएफ...

GPF यानी जनरल प्रोविडेंट फंड (General Provident Fund). कर्मचारी अपनी सैलरी में से न्यूनतम 6 फीसदी हिस्सा इसमें जमा कर सकते हैं, जिसे वे अपने रिटायरमेंट के समय निकाल सकते हैं. इस योजना में जमा पैसे और ब्याज दर को टैक्स के दायरे से बाहर रखा है.

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