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PM नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन से कुछ उम्मीद करना समझदारी नहीं : डोटासरा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राष्ट्र के नाम संबोधन दिया. इसके बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि पीएम के इस संबोधन से लोगों को निराशा हाथ लगी है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन से कुछ उम्मीद करना कोई समझदारी वाला काम नहीं है.

Prime Minister Narendra Modi address,  Govind Singh Dotasara
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा
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Published : Oct 20, 2020, 10:07 PM IST

जयपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक बार फिर राष्ट्र के नाम संदेश दिया. प्रधानमंत्री ने त्योहारी समय पर कोरोना से बचाव के लिए लोगों को जागरूक किया, लेकिन कांग्रेस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह संबोधन पूरी तरीके से निराशाजनक लगा. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम दिए संबोधन से कुछ उम्मीद करना समझदारी नहीं है.

'PM के संबोधन से लोगों को निराशा मिली'

गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि जब भी देश के प्रधानमंत्री देश के नाम संदेश देते हैं तो जनता की निगाहें उनके संबोधन पर होती है. जनता को उम्मीद होती है कि प्रधानमंत्री उनसे जुड़ी घोषणाएं करेंगे या उनके लिए कुछ राहत देने वाली योजनाओं को लागू करेंगे. डोटासरा ने कहा कि मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संबोधन दिया वह पूरी तरीके से निराशाजनक था.

'PM ने राज्यों को अपने हाल पर छोड़ दिया'

डोटासरा ने कहा कि इस संबोधन में जनता को कोई राहत नहीं दी. पीएम मोदी को आर्थिक परेशानी से गुजर रहे राज्यों के लिए कुछ पैकेज की घोषणा करनी चाहिए थी. उन्होंने इस कोरोना के आर्थिक संकट के समय राज्यों को अपने हाल पर छोड़ दिया. देश के प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी होती है कि वह सभी राज्यों की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए राहत की घोषणा करें.

'PM के संबोधन से लोगों को निराशा हाथ लगी'

गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि दिल्ली में बैठी सरकार के पास रिजर्व बैंक होता है, नोट छापने की मशीन होती हैं और संकट के दौरान विदेश से आने वाले फंड के सोर्सेज उनके पास होते हैं, लेकिन केंद्र सरकार इनका किसी भी तरीके से सही उपयोग नहीं कर रही है. नोटबंदी हो या जीएसटी या कोरोना का हाल जब भी प्रधानमंत्री ने देश के नाम संबोधन दिया है उससे लोगों को निराशा हाथ लगी है.

पढ़ें- Exclusive : गहलोत-पायलट सब एक, हमारा उद्देश्य पार्टी को आगे बढ़ाना है : मुरारी लाल मीणा

पीएम ने कोरोना काल में राज्यों के बिगड़े आर्थिक हालात के बाद भी उनको अपने हाल पर छोड़ दिया है. इसी तरह से जब नोटबंदी की गई थी तो लोगों को बैंक और एटीएम के बाहर कतार में खड़ा कर दिया, जीएसटी लागू कर पूरे देश में आर्थिक संकट खड़ा कर दिया और इस बीच देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन से कुछ उम्मीद करना कोई समझदारी वाला काम नहीं है.

'जनता को राहत देने जैसा कुछ भी नहीं'

डोटासरा ने कहा कि अच्छा होता कि प्रधानमंत्री को जनता से जुड़ी हुई घोषणा करते हुए राज्यों के लिए आर्थिक संबल देने वाले कुछ पैकेज की घोषणा करते. लेकिन उनके इस भाषण में कुछ भी जनता के लिए राहत देने वाला नहीं था.

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक बार फिर कोरोना वायरस संक्रमण के बीच राष्ट्र के नाम संबोधन दिया. करीब 12 मिनट के संबोधन में उन्होंने भारत में कोरोना वायरस महामारी की स्थिति का उल्लेख किया. साथ ही लोगों को त्योहारी सीजन में कोरोना से बचाव के लिए जागरूक किया.

जयपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक बार फिर राष्ट्र के नाम संदेश दिया. प्रधानमंत्री ने त्योहारी समय पर कोरोना से बचाव के लिए लोगों को जागरूक किया, लेकिन कांग्रेस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह संबोधन पूरी तरीके से निराशाजनक लगा. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम दिए संबोधन से कुछ उम्मीद करना समझदारी नहीं है.

'PM के संबोधन से लोगों को निराशा मिली'

गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि जब भी देश के प्रधानमंत्री देश के नाम संदेश देते हैं तो जनता की निगाहें उनके संबोधन पर होती है. जनता को उम्मीद होती है कि प्रधानमंत्री उनसे जुड़ी घोषणाएं करेंगे या उनके लिए कुछ राहत देने वाली योजनाओं को लागू करेंगे. डोटासरा ने कहा कि मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संबोधन दिया वह पूरी तरीके से निराशाजनक था.

'PM ने राज्यों को अपने हाल पर छोड़ दिया'

डोटासरा ने कहा कि इस संबोधन में जनता को कोई राहत नहीं दी. पीएम मोदी को आर्थिक परेशानी से गुजर रहे राज्यों के लिए कुछ पैकेज की घोषणा करनी चाहिए थी. उन्होंने इस कोरोना के आर्थिक संकट के समय राज्यों को अपने हाल पर छोड़ दिया. देश के प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी होती है कि वह सभी राज्यों की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए राहत की घोषणा करें.

'PM के संबोधन से लोगों को निराशा हाथ लगी'

गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि दिल्ली में बैठी सरकार के पास रिजर्व बैंक होता है, नोट छापने की मशीन होती हैं और संकट के दौरान विदेश से आने वाले फंड के सोर्सेज उनके पास होते हैं, लेकिन केंद्र सरकार इनका किसी भी तरीके से सही उपयोग नहीं कर रही है. नोटबंदी हो या जीएसटी या कोरोना का हाल जब भी प्रधानमंत्री ने देश के नाम संबोधन दिया है उससे लोगों को निराशा हाथ लगी है.

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पीएम ने कोरोना काल में राज्यों के बिगड़े आर्थिक हालात के बाद भी उनको अपने हाल पर छोड़ दिया है. इसी तरह से जब नोटबंदी की गई थी तो लोगों को बैंक और एटीएम के बाहर कतार में खड़ा कर दिया, जीएसटी लागू कर पूरे देश में आर्थिक संकट खड़ा कर दिया और इस बीच देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन से कुछ उम्मीद करना कोई समझदारी वाला काम नहीं है.

'जनता को राहत देने जैसा कुछ भी नहीं'

डोटासरा ने कहा कि अच्छा होता कि प्रधानमंत्री को जनता से जुड़ी हुई घोषणा करते हुए राज्यों के लिए आर्थिक संबल देने वाले कुछ पैकेज की घोषणा करते. लेकिन उनके इस भाषण में कुछ भी जनता के लिए राहत देने वाला नहीं था.

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक बार फिर कोरोना वायरस संक्रमण के बीच राष्ट्र के नाम संबोधन दिया. करीब 12 मिनट के संबोधन में उन्होंने भारत में कोरोना वायरस महामारी की स्थिति का उल्लेख किया. साथ ही लोगों को त्योहारी सीजन में कोरोना से बचाव के लिए जागरूक किया.

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