जयपुर. गोविंद सिंह डोटासरा को राजस्थान कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बने करीब 80 दिन हो चुके हैं. 14 जुलाई को राजस्थान में चल रहे सियासी घटनाक्रम के चलते गोविंद डोटासरा के हाथों में राजस्थान कांग्रेस की कमान सौंपी गई थी, लेकिन करीब 80 दिन बीत जाने के बाद भी डोटासरा के पास अपनी टीम नहीं है.
ऐसा इसलिए क्योंकि प्रदेश में अब तक चुनाव नहीं हुए थे. जिनमें कांग्रेस पार्टी के सिंबल पर चुनाव होते या फिर पदाधिकारियों को इंचार्ज बना कर भेजा जाता. लेकिन अब राजस्थान में स्थितियां बदल चुकी है. हाईकोर्ट ने 31 अक्टूबर तक 129 स्थानीय निकाय और 6 निगम के चुनाव करवाने के आदेश दे दिए हैं. ऐसे में कांग्रेस पार्टी को पदाधिकारियों की आवश्यकता होगी, क्योंकि यह चुनाव ऐसे होते हैं, जिनमें पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़े जाते हैं.
कांग्रेस पार्टी को इस बात की भी आवश्यकता होगी कि वह पर्यवेक्षक लगाए और इस बात की आवश्यकता भी होगी कि वह चुनाव में प्रभारी भी लगाए. इसके लिए गोविंद सिंह डोटासरा को जरूरत पड़ेगी, उन पदाधिकारियों की जो उनके पास नहीं है. गोविंद सिंह डोटासरा जो अपना बीकानेर का दौरा स्थगित कर चुके हैं. उनके दिल्ली जाने की बातें भी सामने आ रही है. कहा जा रहा है कि दिल्ली जाकर वह अपनी पदाधिकारियों की टीम पर प्रदेश प्रभारी महासचिव अजय माकन की मुहर लगाएंगे.
दो रास्ते हैं डोटासरा के सामने या तो बने चुनाव संचालन समिति या फिर छोटी कार्यकारिणी
हालांकि अभी प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की ओर से सभी संभागों के फीडबैक कार्यक्रम पूरे नहीं हुए हैं. ऐसे में पदाधिकारी कौन हो, इस पर एक्सरसाइज भी पूरी नहीं है. लेकिन प्रदेश में क्योंकि निगम और निकाय के चुनाव इसी महीने में होने संभावित हैं. ऐसे में राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के पास दो रास्ते हैं कि या तो वह एक छोटी पदाधिकारियों की टीम बना दे. जिसे बाद में एक्सटेंशन दे दिया जाए और पदाधिकारियों की संख्या बढ़ा दी जाए और दूसरा रास्ता यह है कि जब तक कांग्रेस के कार्यकारिणी की घोषणा नहीं होती है, तब तक प्रदेश में एक प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी वर्किंग कमेटी बना दी जाए. जो चुनाव के काम को संभाल ले. दोनों ही मुद्दों पर अजय माकन से गोविंद डोटासरा कि दिल्ली में चर्चा हो सकती है और इस पर अंतिम फैसला जल्द ही लिया जा सकता है.